सभ्यता और संस्कृति के केंद्रों की पुनर्प्रतिष्ठा

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘श्री काशी विश्वनाथ धाम काॅरिडोर’ के उद्घाटन के साथ ही देश की सभ्यता एवं संस्कृति के केंद्रों के गौरव एवं भव्यता को पुनर्प्रतिष्ठित करने का कार्य और अधिक सुदृढ़ हुआ है। देशभर में लोगांे ने ‘भव्य काशी, दिव्य काशी’ कार्यक्रम के माध्यम से करोड़ों की संख्या में इस गौरवशाली समारोह में भागीदारी की। हाल ही में श्री केदारनाथ धाम जो कुछ वर्ष पूर्व बाढ़ से प्रभावित हो गया था, उसका पुनर्निर्माण कार्य पूर्ण हुआ है। अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और शीघ्र ही पूर्ण हो जाएगा। इन्हीं प्रयासों के क्रम में करतारपुर गलियारा जिसका हाल ही में निर्माण हुआ था तथा कोविड-19 महामारी के कारण बंद करना पड़ा था, अब पुनः श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। इसमें कोई संशय नहीं कि सभ्यता एवं संस्कृति के केंद्र देश के लिए शक्ति के वे केंद्र हैं जिनसे राष्ट्र अपनी अनवरत यात्रा के लिए ऊर्जा एवं गति प्राप्त करता है।

अब तक उपेक्षित रहे सभ्यता एवं संस्कृति के केंद्र हाल के वर्षों में देश के लिए प्रेरणा एवं ऊर्जा के स्रोत बनकर उभरे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 जून को हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा के साथ ही यह प्रक्रिया शुरू हो गई थी। इस पहल को 177 देशों का अभूतपूर्व समर्थन प्राप्त हुआ जो इसके सह-प्रस्तावक बन गए। जहां योग पूरी मानवता के लिए एक वरदान बन गया है, वहीं कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान पूरे विश्व में इसे स्वीकारा गया है। विदेशांे में राष्ट्राध्यक्षों को ‘भगवद्गीता’ का उपहार एवं उन्हें देश में ‘मंदिर-दर्शन’ एवं ‘गंगा आरती’ में आमंत्रित कर भारत के गौरवशाली आध्यात्मिक परंपराओं से विश्व को साक्षात्कार कराने का महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के मंत्र को आत्मसात करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नेपाल-बांग्लादेश सहित कई देशों में पवित्र स्थानों के दर्शन किए एवं भगवान् पशुपतिनाथ के चरणों में 500 क्विंटल चंदन की लकड़ी भेंट की। कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा के लिए नाथू-ला दर्रा का खोला जाना तथा संयुक्त अरब अमीरात सरकार के सहयोग से अबू धाबी में भव्य मंदिर के निर्माण से यह पता चलता है कि पूरा विश्व अब भारतीय सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत को कितने सम्मान एवं श्रद्धा से देखता है।

एक ओर जहां चोरी हुई प्राचीन कलाकृतियों– देवी-देवताओं की पवित्र मूर्तियों को देश में वापस लाने का कार्य हुआ है, वहीं दूसरी ओर ‘हृदय’ एवं ‘प्रसाद’ योजनाओं के अंतर्गत वैभवशाली विरासत को समेटे सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक केंद्रों को भी भव्य एवं दिव्य बनाया जा रहा है। ‘मां गंगा’ को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने के लक्ष्य से चल रहे ‘नमामि गंगे’ योजना में अनेक यूरोपीय देश अपनी नवीनतम तकनीक के साथ सहयोग कर रहे हैं, ताकि गंगा का पवित्र एवं अविरल प्रवाह निरंतर देश की भूमि को तृप्त करता रहे। जहां कुंभ मेले को यूनेस्को ने मान्यता दी है, वहीं यह अत्यंत गौरव का विषय है कि पश्चिम बंगाल के दुर्गा पूजा को भी यूनेस्को द्वारा स्वीकारा गया है। चार धाम, राम सर्किट, कृष्ण सर्किट, बुद्ध सर्किट, पंचतीर्थ जैसे विशाल कार्य से देश सभ्यतागत एवं सांस्कृतिक ऊर्जा प्राप्त कर शक्तिसंपन्न एवं सुदृढ़ बनेगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ठीक ही कहा है कि दासता के लंबे काल के कारण राष्ट्र का विश्वास अपनी स्वयं की रचनात्मकता एवं सर्जनात्मकता पर से डोल गया था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उठाए जा रहे कदमों से न केवल सभ्यता एवं संस्कृति के केंद्रों की पुनर्प्रतिष्ठा एवं वैभव वापस आ रहे हैं, बल्कि नए आत्मविश्वास से भरा राष्ट्र ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। जहां कांग्रेस एवं इसके सहयोगी संसद की गरिमा पर आघात करते हुए लोकतंत्र पर हमला बोल रहे हैं, वहीं देशभर में जनता मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे इन व्यापक परिवर्तनों के पक्ष में मजबूती से खड़ी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि सांस्कृतिक केंद्रों के अभ्युदय से एक ‘आत्मनिर्भर भारत’ का उदय हो रहा है।

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