भारत सरकार की कुछ प्रमुख सामाजिक कल्याण योजनाएं

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केंद्रीय सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने 15 अप्रैल को भारत सरकार की कुछ प्रमुख सामाजिक कल्याण योजनाओं की जानकारी दी। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं निम्न हैं…

स्टैंड अप इंडिया योजना

स्टैंड अप इंडिया योजना का लक्ष्य जनसंख्या के वंचित वर्गों तक पहुंचने में संस्थागत ऋण संरचना का लाभ उठाना है। यह कम से कम एक अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) उधारकर्ता को और प्रति बैंक शाखा कम से कम एक महिला कर्जदार को ग्रीन फील्ड उद्यम की स्थापना करने के लिए 7 वर्षों तक भुगतान कर सकने योग्य 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक बैंक ऋण की सुविधा उपलब्ध कराता है। सिडबी एवं नाबार्ड स्टैंडअप इंडिया के कनेक्ट सेंटर हैं। इस योजना के तहत वित्त के अलावा, अन्य प्रारंभिक सहायता भी प्रदान की जाती है। पोर्टल पर 106358 शाखाओं के साथ 97 बैंक सक्रिय हैं। अभी तक 19949 आवेदनों का आगे बढ़ाया गया है और 4114 करोड़ रुपये संवितरित किये गये हैं।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत अंतिम पायदान पर खड़े वित्त पोषकों के पुनर्वित्त का कार्य मुद्रा कंपनी द्वारा किया जाता है। मुद्रा कंपनी विनिर्माण, व्यापार एवं सेवा कार्यकलापों से जुड़ी सूक्ष्म एवं लघु व्यावसायिक कंपनियों को ऋण देने से संबंधित सिडबी की एक पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है। इस योजना के तहत दिया जाने वाला अधिकतम ऋण 10 लाख रुपये है। 2016-17 के दौरान खोले गये कुल 34,880,924 खातों में से 6,114,737 खाते अनुसूचित जातियों द्वारा खोले गये।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

माननीय प्रधानमंत्री जी ने 13 जनवरी, 2016 को नई योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का अनावरण किया। यह योजना किसानों पर प्रीमियम का बोझ कम करने में मदद करेगी जो खेती के लिए ऋण लेते हैं। यह योजना मौसम की अनिश्चितता के खिलाफ उन्हें सुरक्षोपाय प्रदान करेगा।
बीमा दावों की निपटान प्रकिया को भी त्वरित एवं सरल बनाने का निर्णय किया गया है जिससे कि किसानों को फसल बीमा योजना को लेकर किसी समस्या का सामना न करना पड़े। संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से इस योजना का कार्यान्वयन भारत के प्रत्येक राज्य में किया जाएगा। इस योजना का प्रबंधन भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत किया जाएगा। इस योजना के तहत अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए 1484.67 करोड़ रुपये की एक राशि निर्धारित की गयी है।

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना

केन्द्र प्रायोजित प्रायोगिक योजना प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (पीएमएजीवाई) का कार्यान्वयन 2500 अनुसूचित जाति बहुल गावों के समेकित विकास के लिए किया जा रहा है, जहां अनुसूचित जाति आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है। 5 राज्यों में 372 गावों को आदर्श ग्राम के रुप में घोषित किया गया है। इसका लक्ष्य अवसंरचना संबंधित परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण में अंतरों को पाटना है।

अनुसूचित जाति कल्याण कार्यक्रम

भारत सरकार के 26 विभागों/मंत्रालयों में 2017-18 में अनुसूचित जाति कल्याण के लिए 233 योजनाओं हेतु 52393.55 करोड़ रुपये की एक राशि आवंटित की गयी है। यह 2016-17 की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। इन योजनाओं के तहत यह राशि इन योजनाओं के लिए आवंटित कुल बजट के लगभग 20.20 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करती है।

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)

सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज अर्जित करने तथा स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने के प्रयासों में तेजी लाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की। इस मिशन का लक्ष्य 2019 तक स्वच्छ भारत अर्जित करना है जो कि महात्मा गांधी की 150वीं जन्म शताब्दी पर उन्हें एक उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता मिशन का अर्थ होगा, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के स्तरों में बेहतरी लाना। इस कार्यक्रम का संचालन पीने का पानी एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। इस योजना के तहत पिछले तीन वर्षों के दौरान अनुसूचित जाति के परिवारों के लिए बनाये गये शौचालयों की कुल संख्या 76.8 लाख की रही है।

राष्ट्रीय ग्रामीण पीने का पानी कार्यक्रम

देश में पीने के पानी की सुविधाएं उपलब्ध कराने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। भारत सरकार केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय ग्रामीण पीने का पानी मिशन के तहत वित्तीय सहायता उपलबध कराने के द्वारा राज्य सरकारों के प्रयासों का संपूरण करती है। इस कार्यक्रम के तहत अनुसूचित जाति बहुल निवास स्थानों को राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों में कवर किया गया है तथा पीने के पानी की सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान कुल 30414 अनुसूचित जाति के निवास स्थानों को कवर किया गया है।

शैक्षणिक ऋणों पर ब्याज सब्सिडी

इस योजना का कार्यान्वयन मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इस योजना के तहत ब्याज सब्सिडी समाज के आर्थिक रूप से निर्बल वर्गों को प्रदान की जाती है, अर्थात ऐसे छात्रों को जिनके माता-पिता की आय 4.5 लाख रूपये वार्षिक तक है। उन्हें यह सहायता भारत में उच्चतर शिक्षा के संबंधित निकायों द्वारा समुचित रूप से मान्यता प्राप्त एवं अनुमोदित व्यावसायिक पाठयक्रमों की शिक्षा प्राप्त करने के लिए दी जाती है। पिछले तीन वर्षों के दौरान अनुसूचित जाति के छात्रों को ब्याज सब्सिडी और लाभार्थियों की संख्या 1.1 लाख रही है, जो 376 करोड़ रूपये के बराबर है।

आईआईटी द्वारा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों को उपलब्ध कराये जाने वाले लाभ

बी.टेक, डुअल डिग्री, एम.टेक, एम.एस.सी., एम.एस. एवं पीएचडी कार्यक्रमों में नामांकित अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सभी छात्रों को टयूशन शुल्क का भुगतान करने से छूट दी जाती है। भले ही उनके माता-पिता की आय कितनी भी क्यों न रही हो। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति संस्थान छात्रवृत्ति धारकों को प्रति सेमेस्टर 500 रूपये के छात्रावास सीट किराये के भुगतान से भी छूट प्रदान की जाती है।
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती हैं, यथा–मेस की निशुल्क सुविधा (मूलभूत मेनू) और 250 रूपये प्रति महीने का जेब भत्ता प्रदान किया जाता है, बशर्ते कि उनके माता पिता की आय दो लाख रुपये वार्षिक से कम हो। आईआईटी के पास अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित मामलों पर ध्यान देने के लिए एक संपर्क अधिकारी/शिकायत समिति होती है।