चीनी सत्र 2017-18 की तुलना में 2021-22 में चीनी का निर्यात हुआ 15 गुना

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केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा 19 मई को जारी एक बयान के अनुसार चीनी सत्र 2017-18 की तुलना में वर्तमान चीनी सत्र 2021-22 में चीनी का 15 गुना निर्यात हो चुका है। आयात करने वाले प्रमुख देशों में इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, यूएई, मलेशिया और अफ्रीकी देश शामिल हैं।

चीनी सत्र 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में क्रमशः 6.2 एलएमटी, 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया था। चीनी सत्र 2020-21 में 60 एलएमटी के लक्ष्य की तुलना में लगभग 70 एलएमटी का निर्यात किया गया था। बीते 5 साल के दौरान चीनी के निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए चीनी मिलों को लगभग 14,456 करोड़ रुपये और बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए रखरखाव लागत के रूप में 2,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीनी की कीमतों में तेजी और स्थायित्व का रुख है, इसलिए वर्तमान चीनी सत्र 2021-22 में चीनी के निर्यात के लिए लगभग 90 एलएमटी के निर्यात के अनुबंध किए गए हैं और यह भी बिना किसी निर्यात सब्सिडी के ऐलान के किया गया है। इसमें से 75 एलएमटी का निर्यात 18.05.2022 तक कर दिया गया है।

गौरतलब है कि चीनी सत्र 2013-14 में 9.5 प्रतिशत की रिकवरी पर गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 210 रुपये प्रति क्विंटल था। गन्ना किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने पिछले 8 साल के दौरान समय-समय पर गन्ने के एफआरपी में बढ़ोतरी की है और चीनी सत्र 2021-22 के लिए 10 प्रतिशत रिकवरी पर बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल (जो 9.5 प्रतिशत रिकवरी पर 275.50 रुपये क्विंटल होता है) कर दिया गया है, जो चीनी सत्र 2013-14 के एफआरपी से 31 प्रतिशत ज्यादा है।