श्रीरामजन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय के बहुप्रतीक्षित निर्णय का पूरे देश में स्वागत हुआ है। इस महत्वपूर्ण निर्णय को पूरे दायित्वबोध एवं एकजुटता के साथ आदरपूर्वक स्वीकार किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के इस सर्वसम्मत निर्णय को देश के विभिन्न समुदायों ने सर्वसम्मति के साथ सम्मान दिया है। यह भारतीय लोकतंत्र, इसके संविधान एवं न्यायिक प्रक्रिया की शक्ति ही है कि जो विषय अत्यंत दुष्कर प्रतीत होता था, उसका भी समाधान कानून एवं न्याय के अंतर्गत संभव हुआ है। श्रीरामजन्मभूमि का विषय सोलहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध से देश में चला आ रहा था तथा दशकों से विभिन्न न्यायालयों से होता हुआ जिस प्रकार के परिणाम को प्राप्त हुआ, उससे निश्चय ही इतिहास के पन्नों में इस निर्णय का स्वर्णाक्षरों में लिखा जाना सुनिश्चित है। इस जटिल प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए संविधान पीठ के माननीय न्यायाधीशों ने जिस प्रतिबद्धता, तत्परता एवं दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिखाया है, यह अभिनंदनीय है। संविधान पीठ के सर्वसम्मत निर्णय ने न्यायपालिका एवं न्यायिक प्रक्रिया की प्रतिष्ठा को कई गुणा बढ़ा दिया है और साथ ही पूरे विश्व को भारतीय संविधान की शक्ति से एक बार पुन: परिचय कराया है। इससे देश में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हुई हैं।
अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण की यात्रा लंबी एवं संघर्षपूर्ण रही है। श्री रामजन्मभूमि विषय पर देश में व्यापक बहस हुई है तथा इसने सामाजिक, न्यायिक, ऐतिहासिक, धार्मिक मान्यताओं एवं आस्थाओं से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर अपनी छाप छोड़ी है। इससे हमारे संविधान, न्यायालय, न्यायिक प्रक्रिया, राजनैतिक वातावरण एवं लोकतांत्रिक मूल्य और भी सुदृढ़ होकर उभरे हैं। यह किसी समुदाय विशेष की जीत या हार से संबंधित न होकर एक व्यापक संदर्भ में चले बहुस्तरीय प्रक्रियाओं की परिणति है। इसी भावना के साथ पूरे देश ने खुले मन से उदारतापूर्वक इस पूरी प्रक्रिया का स्वागत किया हैं तथा किसी एक समुदाय विशेष की मानसिकता से ऊपर उठकर पूरे देश ने सौहार्दपूर्वक इसे स्वीकारा है। भारत सदियों से परस्पर सौहार्द, सह–अस्तित्व, सहिष्णुता, सहनशीलता एवं शांति के लिए जाना जाता रहा है। हर परिस्थिति में इन मूल्यों को सर्वोपरि मानकर भारत ने एक लंबी यात्रा पूरी की है। किसी विषय पर विभिन्न मत होते हुए भी निर्णय आने पर संपूर्ण राष्ट्र सहजता से उसे स्वीकार कर आगे बढ़ता रहा है। युगों–युगों से यही भारत की थाती रही है। आने वाले समय में भी इन्हीं मूल्यों एवं आदर्शों के आधार पर सद्भाव एवं सौहार्द और अधिक सुदृढ़ हो सकता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ठीक ही कहा है कि यह निर्णय न किसी की हार है और न ही जीत। साथ ही उन्होंने आह्वान भी किया है कि समय आ गया है कि राष्ट्रभक्ति की भावना को मजबूत किया जाए। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने कहा है कि इस निर्णय से भारत की एकता, अखंडता एवं महान संस्कृति और भी अधिक सुदृढ़ होगी। भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने इन्हीं भावनाओं को परिलक्षित करते हुए कहा है कि भारत अपने सांस्कृतिक विरासत के साथ एकता के इन्हीं सिद्धांतों पर चलते हुए और अधिक सुदृढ़ होता जाएगा। भाजपा ने संतुष्टि के भाव से इस निर्णय का स्वागत किया है तथा कहा है कि इस लंबी यात्रा में सकारात्मकता एवं गंभीरता के साथ इसने अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए प्रयास किए तथा इसके लिए प्रतिबद्ध भी है। अब जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण की राह के सभी बाधाओं काे दूर कर दिया है, एक लंबी यात्रा पूर्ण हुई है तथा एक ‘नए भारत’ के निर्माण के सभी द्वार खुल चुके हैं। भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर निश्चित ही भारत के प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की भव्यता को दर्शाएगा और चूंकि एक भव्य मंदिर एक महान राष्ट्र को प्रतिबंबित करना चाहिए, इसलिए हर भारतीय को मां भारती के चरणों में स्वयं को समर्पित करना होगा ताकि महान राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा का जन–जन वाहक बन सके।
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