राष्ट्रवाद को कोई वाद मिटा नहीं सका दीनदयाल उपाध्याय भारतीय संस्कृति एवं मर्यादाओं को छोड़कर यदि हमारा जीवन अथवा यहां की राजनीति चली तो...