आतंकवाद ने विश्व की मानवता को ललकारा है : नरेंद्र मोदी

| Published on:

हमारा कर्तव्य है कि हम संविधान का अक्षरशः पालन करें। नागरिक हों या प्रशासक, संविधान की भावना के अनुरूप आगे बढ़ें। किसी को किसी भी तरह से क्षति ना पहुंचे- यही तो संविधान का संदेश है। आज संविधान-दिवस के अवसर पर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की याद आना तो बहुत स्वाभाविक है। इस संविधान-सभा में महत्वपूर्ण विषयों पर 17 अलग-अलग समितियों का गठन हुआ था। इनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण समितियों में से एक ड्राफ्टिंग कमिटी थी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर संविधान की उस ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष थे।

धानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर को आकाशवाणी से ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 38वें संस्करण में कहा कि 26 नवम्बर हमारा संविधान दिवस है। 1949 में आज ही के दिन संविधान-सभा ने भारत के संविधान को स्वीकार किया था। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ और इसलिए तो हम, उसको गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। भारत का संविधान, हमारे लोकतंत्र की आत्मा है। आज का दिन संविधान-सभा के सदस्यों के स्मरण करने का दिन है। उन्होंने भारत का संविधान बनाने के लिए लगभग तीन वर्षों तक परिश्रम किया और जो भी उस डिबेट को पढ़ता है, हमें गर्व होता है कि राष्ट्र को समर्पित जीवन की सोच क्या होती है!

श्री मोदी ने कहा कि क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि विविधताओं से भरे अपने देश का संविधान बनाने के लिए उन्होंने कितना कठोर परिश्रम किया होगा? सूझ-बूझ, दूरदर्शिता के दर्शन कराए होंगे और वो भी उस समय, जब देश ग़ुलामी की जंज़ीरों से मुक्त हो रहा था। इसी संविधान के प्रकाश में संविधान-निर्माताओं, उन महापुरुषों के विचारों के प्रकाश में नया भारत बनाना, ये हम सबका दायित्व है। हमारा संविधान बहुत व्यापक है। शायद जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, प्रकृति का कोई ऐसा विषय नहीं है जो उससे अछूता रह गया हो। सभी के लिए समानता और सभी के प्रति संवेदनशीलता, हमारे संविधान की पहचान है। यह हर नागरिक, ग़रीब हो या दलित, पिछड़ा हो या वंचित, आदिवासी, महिला सभी के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करता है और उनके हितों को सुरक्षित रखता है।

उन्होंने कहा कि हमारा कर्तव्य है कि हम संविधान का अक्षरशः पालन करें। नागरिक हों या प्रशासक, संविधान की भावना के अनुरूप आगे बढ़ें। किसी को किसी भी तरह से क्षति ना पहुंचे- यही तो संविधान का संदेश है। आज संविधान-दिवस के अवसर पर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की याद आना तो बहुत स्वाभाविक है। इस संविधान-सभा में महत्वपूर्ण विषयों पर 17 अलग-अलग समितियों का गठन हुआ था। इनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण समितियों में से एक ड्राफ्टिंग कमिटी थी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर संविधान की उस ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष थे। एक बहुत बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका का वो निर्वाह कर रहे थे। आज हम भारत के जिस संविधान पर गौरव का अनुभव करते हैं, उसके निर्माण में बाबासाहेब अंबेडकर के कुशल नेतृत्व की अमिट छाप है। उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि समाज के हर तबके का कल्याण हो।

श्री मोदी ने कहा कि 6 दिसम्बर को उनके महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर हम हमेशा की तरह उन्हें स्मरण और नमन करते हैं। देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने में बाबासाहेब का योगदान अविस्मरणीय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 15 दिसम्बर को सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि है। किसान-पुत्र से देश के लौह-पुरुष बने सरदार पटेल ने देश को एक सूत्र में बांधने का बहुत असाधारण कार्य किया था। सरदार साहब भी संविधान सभा के सदस्य रहे थे। वे मूलभूत अधिकारों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों पर बनी एडवाइजरी कमिटी के भी अध्यक्ष थे।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 26/11 हमारा संविधान-दिवस है, लेकिन ये देश कैसे भूल सकता हैं कि नौ साल पहले 26/11 को आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला बोल दिया था। देश उन बहादुर नागरिकों, पुलिसकर्मी, सुरक्षाकर्मी, उन हर किसी का स्मरण करता है, उनको नमन करता है, जिन्होंने अपनी जान गंवाई। यह देश कभी उनके बलिदान को नहीं भूल सकता। आतंकवाद आज विश्व के हर भू-भाग में और एक प्रकार से प्रतिदिन होने वाली घटना का, एक अति-भयंकर रूप बन गई है। हम, भारत में तो गत 40 वर्ष से आतंकवाद के कारण बहुत कुछ झेल रहे हैं। हज़ारों हमारे निर्दोष लोगों ने अपनी जान गंवाई है, लेकिन कुछ वर्ष पहले भारत जब दुनिया के सामने आतंकवाद की चर्चा करता था, आतंकवाद से भयंकर संकट की चर्चा करता था तो दुनिया के बहुत लोग थे, जो इसको गंभीरता से लेने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन जब आज आतंकवाद उनके अपने दरवाज़ों पर दस्तक दे रहा है, तब दुनिया की हर सरकार, मानवतावाद में विश्वास करने वाले, लोकतंत्र में भरोसा करने वाली सरकारें, आतंकवाद को एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में देख रही हैं।

श्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद ने विश्व की मानवता को ललकारा है। आतंकवाद ने मानवतावाद को चुनौती दी है। वो मानवीय शक्तियों को नष्ट करने पर तुला हुआ है और इसलिए सिर्फ़ भारत ही नहीं विश्व की सभी मानवतावादी शक्तियों को एकजुट होकर, आतंकवाद को पराजित करके ही रहना होगा। भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, गुरु नानक, महात्मा गांधी ये ही तो ये धरती है, जिसने अहिंसा और प्रेम का संदेश दुनिया को दिया है। आतंकवाद और उग्रवाद, हमारी सामाजिक संरचना को कमज़ोर कर, उन्हें छिन्न-भिन्न करने का नापाक प्रयास करते हैं और इसलिए मानवतावादी शक्तियों का अधिक जागरूक होना समय की मांग है।