78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए राष्ट्र संबोधन से करोड़ों हृदय में ‘विकसित भारत’ का संकल्प और अधिक सुदृढ़ हुआ है। लाल किले की प्राचीर से बोलते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘विकसित भारत’ के स्वप्न को रेखांकित किया और कहा कि वर्तमान काल अवसरों से परिपूर्ण राष्ट्र की ‘स्वर्णिम भारत’ की आकांक्षाएं पूर्ण करेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सपनों एवं प्रतिबद्धताओं पर विश्वास व्यक्त करते हुए देश ने निरंतर तीसरी बार उन्हें ऐतिहासिक जनादेश दिया है ताकि विकसित भारत का संकल्प पूरा हो सकें। आज जब जन-जन का विश्वास लोकतंत्र पर और भी अधिक गहरा हुआ है, ‘राष्ट्र प्रथम’ के सिद्धांतों के प्रति समर्पण से देश वैश्विक स्तर पर अपने तीव्र विकास से पहचान बना रहा है। कोविड वैश्विक महामारी के परिणामस्वरूप आज जब पूरा विश्व कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, भारत विश्व की पांचवीं एवं सबसे तीव्र विकास वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में देखने का करोड़ों लोगों का सामूहिक संकल्प एवं समर्पण के फलस्वरूप आज अनेक क्षेत्रों में देश अकल्पनीय उपलब्धियां प्राप्त कर रहा है।
पिछले दस वर्षों में देश ने हर क्षेत्र में अद्भुत उपलब्धियां प्राप्त कर हर भारतीय का गौरव बढ़ाया है। प्रति व्यक्ति आय दुगुनी हुई है, रोजगार एवं स्वरोजगार के क्षेत्र में नए प्रतिमानों के साथ हर क्षेत्र में गौरवशाली उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं। विभिन्न स्तरों पर अनेक सुधार किए गए हैं, बैंक एवं वित्तीय संस्थान अत्यधिक सुदृढ़ हुए हैं जिनका लाभ गरीब, आम जन एवं मध्यम वर्गीय परिवारों को मिल रहा है। राष्ट्र आज ‘फिनटेक’ क्षेत्र में प्राप्त हुई सफलताओं से सुदृढ़ हुआ है तथा देश के दूरवर्ती एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क निर्माण से ये क्षेत्र देश की विकास की मुख्यधारा में आ गए हैं। पिछले दस वर्षों में व्यापक अवसंरचना निर्माण से सदियों की जंजीरों को तोड़ गरीब, दलित, आदिवासी, शोषित, पीड़ित, पिछड़े, महिला एवं युवाओं को सशक्त कर उनमें नई ऊर्जा का संचार हुआ है। आज जब चार करोड़ पक्के घरों का निर्माण हो चुका है और तीन करोड़ पक्के घर और बनने वाले हैं, गरीबों को शौचालय, बिजली, गैस कनेक्शन, सामाजिक सुरक्षा चक्र, आयुष्मान कार्ड और कई अन्य सुविधाओं से गरिमापूर्ण जीवन मिला है। आज पीड़ित, शोषित एवं वंचित वर्गों के जीवन में व्यापक परिवर्तन आया है। पिछले दशक में लगभग दस करोड़ महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं तथा एक करोड़ महिला ‘लखपति दीदी’ बन गई हैं। इन स्वयं सहायता समूहों को आवंटित राशि को 10 लाख रुपए से दुगुना बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने से अब महिला देश में सामाजिक परिवर्तन का सूत्रधार एवं संवाहक बन रही हैं।
भारत विकसित भारत के स्वप्नों को पूरा करने की राह में आगे बढ़ रहा है, आत्मनिर्भरता के मंत्र से अनुप्राणित रक्षा एवं अंतरिक्ष के क्षेत्र नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। देश के अन्नदाताओं ने वैश्विक स्तर पर अपनी उपलब्धियों से अनाज उत्पादन में कीर्तिमान स्थापित कर पूरे देश को गौरवान्वित किया है तथा भारतीय कृषि उपज को विश्व के कोने-कोने में पहुंचाया है। भारत को विश्व की कौशल राजधानी बनाने के लक्ष्य से युवाओं में नए उत्साह एवं उमंग का संचार हुआ है, उनके लिए अवसरों के नए द्वार खुले हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध को जारी रखने के अपने संकल्प को पुनः दुहराते हुए भ्रष्टाचारियों के लिए डर का वातावरण बनाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि जनता की संपत्ति लूटने की परंपरा का अंत हो। उन्होंने भ्रष्टाचार का महिमामंडन एवं भ्रष्ट आचरणों की स्वीकार्यता बढ़ाये जाने के विरुद्ध समाज को सावधान करते हुए कहा कि ऐसे कार्य स्वस्थ समाज के निर्माण में बाधक हैं। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ लोगों की नियति के परिवर्तन में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जाएगी तथा लोगों का आह्वान किया कि वे अपने सामूहिक दायित्वों को निर्वहन करते हुए देशभक्ति की भावना को बढ़ाने की दिशा में कार्य करें तथा लोकतंत्र में अपना अटूट विश्वास रखते हुए विश्व को अपनी उपलब्धियों से प्रेरित कर ‘विकसित भारत’ के स्वप्नों को साकार करें।
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