देश में 10 सालों में अंगदान करने वालों की संख्या में तीन गुनी हुई वृद्धि : नरेन्द्र मोदी

| Published on:

‘मन की बात’


आज देश में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। साल 2013 में हमारे देश में अंगदान के

पांच हजार से भी कम मामले थे, लेकिन 2022 में यह संख्या बढ़कर 15 हजार से ज्यादा हो गई है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 26 मार्च को कहा कि आज देश में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और पिछले 10 सालों में अंगदान करने वालों की संख्या में तीन गुनी वृद्धि हुई है। आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 99वीं कड़ी में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री मोदी ने देशवासियों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में अंगदान के लिए सामने आने की अपील की।

अंगदान करने वाले कुछ लोगों के परिजनों के अनुभव सुनने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि आपका एक फैसला कई लोगों की जिंदगी बचा सकता है, जिंदगी बना सकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग अंगदान का इंतजार करते हैं, वह जानते हैं कि इंतजार का एक-एक पल गुजरना कितना मुश्किल होता है और ऐसे में जब कोई अंगदान या देहदान करने वाला मिल जाता है तो उसमें ईश्वर का स्वरूप ही नजर आता है।

श्री मोदी ने कहा कि हमारे देश में आज बड़ी संख्या में ऐसे जरूरतमंद हैं, जो स्वस्थ जीवन की आशा में किसी अंगदान करने वाले का इंतज़ार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के इस दौर में अंगदान किसी को जीवन देने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन चुका है क्योंकि जब एक व्यक्ति मृत्यु के बाद अपना शरीर दान करता है तो उससे 8 से 9 लोगों को एक नया जीवन मिलने की संभावना बनती है।

श्री मोदी ने कहा कि आज देश में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। साल 2013 में हमारे देश में अंगदान के पांच हजार से भी कम मामले थे लेकिन 2022 में यह संख्या बढ़कर 15 हजार से ज्यादा हो गई है। अंगदान करने वाले व्यक्तियों ने, उनके परिवार ने, वाकई बहुत पुण्य का काम किया है।

भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इन दिनों पूरे विश्व में स्वच्छ ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा की खूब बात हो रही है। मैं जब विश्व के लोगों से मिलता हूं, तो वो इस क्षेत्र में भारत की अभूतपूर्व सफलता की जरुर चर्चा करते हैं। खासकर, भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, वो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत के लोग तो सदियों से सूर्य से विशेष रूप से नाता रखते हैं। हमारे यहां सूर्य की शक्ति को लेकर जो वैज्ञानिक समझ रही है, सूर्य की उपासना की जो परंपराएं रही हैं, वो अन्य जगहों पर कम ही देखने को मिलती हैं। मुझे ख़ुशी है कि आज हर देशवासी सौर ऊर्जा का महत्व भी समझ रहा है और स्वच्छ ऊर्जा में अपना योगदान भी देना चाहता है। ‘सबका प्रयास’ की यही भावना आज भारत के सोलर मिशन को आगे बढ़ा रही है।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में समय के साथ, स्थिति-परिस्थितियों के अनुसार अनेक परंपराएं विकसित होती हैं। यही परंपराएं हमारी संस्कृति का सामर्थ्य बढ़ाती हैं और उसे नित्य नूतन प्राणशक्ति भी देती हैं। कुछ महीने पहले ऐसी ही एक परंपरा शुरू हुई काशी में। काशी-तमिल संगमम के दौरान काशी और तमिल क्षेत्र के बीच सदियों से चले आ रहे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को सेलिब्रेट किया गया। ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना हमारे देश को मजबूती देती है।

श्री मोदी ने कहा कि हम जब एक-दूसरे के बारे में जानते हैं, सीखते हैं, तो एकता की ये भावना और प्रगाढ़ होती है। एकता की इसी भावना के साथ अगले महीने गुजरात के विभिन्न हिस्सों में ‘सौराष्ट्र-तमिल संगमम’ होने जा रहा है। ‘सौराष्ट्र-तमिल संगमम’ 17 से 30 अप्रैल तक चलेगा।