केंद्र सरकार के डिविजिबल पूल में राज्य का हिस्सा 32 से बढ़ाकर 42 फीसद कर दिया गया। इसके साथ ही साढ़े सात फीसदी का प्रावधान स्थानीय निकायों और ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के लिए भी किया गया। कुल मिलाकर केंद्र के खजाने में जमा होने वाली रकम का 70 से 80 प्रतिशत अब राज्यों के खाते में जा रहा है।
प्रकाश जावडेकर
अपने अब तक के कार्यकाल में मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन देने वाली सरकार की छवि जो अर्जित की, वह अर्थव्यवस्था को भी तेजी दे रही है और जीएसटी इसकी सबसे उम्दा मिसाल है। यह कानून सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ कई दौर की मैराथन वार्ताओं के बाद अस्तित्व में आया। यूं तो 75 फीसद बहुमत के साथ विधेयक कानून बन जाता है, लेकिन इसके पक्ष में सौ फीसद समर्थन रहा और मतदान की नौबत ही नहीं आई। सभी की सहमति से जीएसटी का सपना साकार हुआ। सरकार ने सहकारी संघवाद को मजबूत बनाने के लिए भी तमाम प्रयास किए हैं। इस क्रम में एक अनूठा काम भी किया गया, जिसकी किसी राज्य ने मांग भी नहीं की थी। केंद्र सरकार के डिविजिबल पूल में राज्य का हिस्सा 32 से बढ़ाकर 42 फीसद कर दिया गया। इसके साथ ही साढ़े सात फीसदी का प्रावधान स्थानीय निकायों और ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के लिए भी किया गया। कुल मिलाकर केंद्र के खजाने में जमा होने वाली रकम का 70 से 80 प्रतिशत अब राज्यों के खाते में जा रहा है। वित्तीय मोर्चे पर इतना बड़ा विकेंद्रीकरण पहली बार देखने को मिला है। राज्यों में विश्वास करना मोदी सरकार की सबसे बड़ी पहल है।
सरकार ने जनता के विकास के लिए जो अनेक कार्यक्रम शुरू किए उनके मूल में रहे गांव, गरीब, किसान, जवान, नौजवान, दलित, शोषित, पीड़ित, वंचित। इन कार्यक्रमों के तहत प्रत्येक के जीवन में कुछ न कुछ परिवर्तन करने का काम इस सरकार ने करके दिखाया है। गांवों के लिए सड़क भी बनी, बिजली भी आई और विकास के अन्य मदों में पैसा भी अधिक मिलने लगा। ग्रामीण व्यवस्था को भारत की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अब वहां इंटरनेट सहित अन्य सुविधाओं का दायरा बढ़ाया जा रहा है। सरकार का पूरा प्रयास है कि गांवों को भी शहरों जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। गरीब के लिए आवास, मनरेगा और अन्य योजनाओं के तहत रोजगार के नए-नए अवसर पैदा करने से लेकर मुद्रा योजना में तीन करोड़ से अधिक लोगों को चार लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि मुहैया कराने का काम भी मोदी सरकार ने किया है।
किसानों के लिए सप्त सूत्र के तहत अब मृदा स्वास्थ्य कार्ड, उपज का बीमा, बेहतर सिंचाई व्यवस्था, नीम कोटिंग यूरिया उपलब्ध है। इसके साथ ही किसानों को उपज का अच्छा दाम, आसान ऋण और सामाजिक सुरक्षा सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार का लक्ष्य किसानों के लिए और बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करना है, जिससे उनकी उत्पादकता बढ़े। इन्हीं सप्त सूत्रों के आधार पर प्रधानमंत्री ने कहा है कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी होगी। अब ऐसा होने का विश्वास भी किसानों में जग रहा है।
अच्छी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए हमने सरकारी स्कूलों को ही बेहतर बनाने की मुहिम चलाई जहां लोग अपने बच्चों की शिक्षा के लिए आने भी लगे हैं। चार-पांच राज्यों ने तो इस पर इतने बेहतर तरीके से अमल किया है कि अभिभावक अब निजी स्कूलों से अपने बच्चों को निकालकर सरकारी स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं। खासतौर से ग्रामीण इलाकों में यह रुझान खासा मजबूत है। जवानों के लिए वन रैंक, वन पेंशन यानी ओआरओपी की भी तीस-चालीस वर्षों से लंबित पड़ी मांग को भी सरकार ने मान लिया। नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए उनमें कौशल होना आवश्यक है और इसलिए शिक्षा के साथ उन्हें कुशल बनाने का काम कौशल विकास मंत्रालय ने किया है। कौशल विकास और मुद्रा योजना के तहत आसान ऋण द्वारा ऐसी अर्थव्यवस्था बनी है जिसमें रोजगार बढ़ा है।
दलितों, वंचितों, पिछड़ों के प्रणेता डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जन्मभूमि, शिक्षा भूमि (लंदन), महापरिनिर्वाण स्थल तथा चैत्य भूमि मुंबई का विकास पंच तीर्थों के रूप में किया गया। इसके अतिरिक्त दिल्ली में उनकी स्मृति और कार्यों को सहेजने के लिए 15 जनपथ पर अंबेडकर फांउडेशन की स्थापना की गई। ओबीसी के लिए पहली दफा ओबीसी आयोग को संवैधानिक स्वरूप दिया गया, जिससे जुड़े विधेयक को सरकार ने लोकसभा से तो पारित करा लिया, पर दुर्भाग्य से राज्यसभा में विपक्षी दलों के असहयोग से यह थोड़ा लंबित हो गया है। लेकिन हमें विश्वास है कि यह जल्दी ही वहां से भी पास होगा, क्योंकि इसके लिए सरकार की प्रतिबद्धता पक्की है। गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के साथ-साथ महंगाई पर सरकार ने लगाम लगाई है। उनके लिए सस्ती दरों पर एलईडी, एलपीजी जैसे अनेक कार्यक्रम चलाए।
अभी जो नई प्रस्तावना देश के समक्ष प्रधानमंत्री ने रखी है वह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को इस वर्ष 75 साल हो रहे हैं और 2022 में आजादी के 75 साल होंगे। इस ऐतिहासिक अवसर पर 2017 से 2022 तक देश भर में परिवर्तन के लिए वही माहौल कायम करने की उन्होंने सोची है जो 1942 से 1947 तक था। उस वक्त किसी से भी पूछो, सभी लोग एक ही संकल्प से जुड़े थे कि देश को आजाद बनाएंगे। उसी से प्रेरणा लेकर प्रधानमंत्री ने निवेदन किया है कि अब देश को बेहतर बनाएंगे। इस संकल्प के साथ सभी 125 करोड़ भारतीय जुटें और आतंकवाद, संप्रदायवाद, जातिवाद, भ्रष्टाचार, गरीबी और गंदगी से मुक्ति का प्रण लें। इस संकल्प को पूर्ण करने के लिए हर व्यक्ति अपना संकल्प जोड़े कि मैं देश के लिए परिवर्तन लाऊंगा। प्रधानमंत्री जो कर रहे हैं वह मनोवृत्ति बदलने की एक कोशिश है और इसके सकारात्मक परिणाम भी अब दिख रहे हैं। उदाहरण के लिए जब नोटबंदी हुई तब हर भारतीय ने एक कैश सोसायटी से लेसकैश सोसायटी की ओर कदम बढ़ाए। वैसे ही जब जीएसटी लागू हुआ तो हम आयकर अनुपालन न करने वाली व्यवस्था से अनुपालन करने वाली व्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ने लगे हैं। आज करदाताओं की संख्या में 25 फीसदी की वृद्धि हुई है। ये सभी परिणाम बताते हैं कि देश तेजी से बदल रहा है और आगे बढ़ रहा है। लोगों को विश्वास में लेकर और साथ लेकर देश को आगे ले जाने की इसी नीति के कारण हम कह रहे हैं-साथ है, विश्वास है, हो रहा विकास है।
(लेखक केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री हैं) (दैनक जागरण से साभार)