मोदी के नेतृत्व में भारत पुराने दोस्त को खोए बिना नए दोस्त बना रहा है

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विकास आनंद

20 दिसंबर, 2021 को रूसी राष्ट्रपति श्री व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत में, भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्री पुतिन की हाल की भारत यात्रा के दौरान चर्चा किए गए कुछ मुद्दों पर बात की। टेलीफोनिक एक्सचेंज में इन मुद्दों के कार्यन्वन से सम्बंधित पहलुओं पर दोनों नेता अवगत हुए, जिसमें रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने के अवसर, उर्वरकों की आपूर्ति में सहयोग और रूसी सुदूर पूर्व के साथ भारत के जुड़ाव को बढ़ाना शामिल है। दोनों नेताओं ने भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के तहत शामिल सभी पहलुओं पर नियमित संपर्क में रहने और बहुपक्षीय मंचों पर द्विपक्षीय सहयोग के साथ-साथ परामर्श और समन्वय को और गहरा करने के लिए निरंतर प्रयास करने पर सहमति व्यक्त की।

दिसंबर के पहले सप्ताह में राष्ट्रपति पुतिन ने 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली का दौरा किया था। अपने वार्षिक शिखर सम्मेलन में भारत और रूस ने 28 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, व्यापार, सैन्य प्रौद्योगिकी आदि के क्षेत्रों में सहयोग शामिल है। शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणामों में से एक रूसी एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की डिलीवरी के लिए मोदी सरकार की मंजूरी थी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने संयुक्त राज्य अमेरिका के दबाव के बावजूद रूस के साथ इस समझौते को मंजूरी दी। क्योंकि, काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act, सीएएटीएसए) के तहत भारत अमरीकी सम्बन्ध प्रभावित हो सकते थे. सीएएटीएसए को अमरीका ने 2017 में संघीय कानून बनाया। इस कानून के तहत कोई भी देश जो रूस के रक्षा क्षेत्र के साथ ‘महत्वपूर्ण लेनदेन’ करता है, उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करते हुए पहली बार किसी भारतीय नेतृत्व ने वाशिंगटन और क्रेमलिन के साथ भारत के संबंधों को संतुलित करने की क्षमता दिखाई है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने कुटनीतिक कौशल के बद्दौलत सीएएटीएसए के तहत भारत-अमेरिकी आर्थिक-राजनीतिक सम्बन्ध में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं होने दिया। इससे पहले, भारतीय नेतृत्व को दोनों शक्तियों के साथ संबंधों को संतुलित करना मुश्किल पड़ता था। आम तौर पर यह देखा गया कि एक शक्ति के साथ भारत के बढ़ते सम्बन्ध की परिणति दूसरे के साथ संबंधों में गिरावट के रूप में होती थी । अतीत में, पश्चिम के साथ रूस के संबंधों की जटिलता ने भारत के भू-रणनीतिक और सुरक्षा हितों को प्रभावित किया। श्री मोदी के उपयुक्त राजनयिक कौशल ने लम्बे समय से चले आ रहे इस तरह के गतिरोध को दूर किया और भारत को अपनी सुरक्षा चुनौतियों के प्रबंधन में सक्षम बनाया। दूसरे शब्दों में, मोदी के नेतृत्व में भारत पुराने दोस्त को खोए बिना नए दोस्त बना रहा है। भारत के दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं।

सुरक्षा विशेषज्ञ एस-400 मिसाइल सौदे को भारत की सुरक्षा जरूरतों के लिहाज से अहम सौदा मानते हैं। यह दुनिया की सबसे अच्छी मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली है। भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के साथ देश की सीमा के साथ पंजाब सेक्टर में S-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली के पहले स्क्वाड्रन को तैनात करना शुरू कर दिया है। वायु रक्षा प्रणाली भारतीय सेना को दक्षिण एशिया में बढ़त दिलाएगी, क्योंकि वे चीन और पाकिस्तान दोनों के आक्रमणकारी विमानों और बैलिस्टिक मिसाइलों का सामना करने में सक्षम होंगे। यह 400 किमी की दूरी से दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को नष्ट करने की क्षमता रखता है। इस रक्षा प्रणाली को तैनात करने में सबसे कम समय लगता है। यह पांच मिनट में लॉन्च के लिए तैयार हो सकता है।

भारतीय समाचार पत्रिका ‘द वीक’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली चार अलग-अलग मिसाइलों से लैस है जो दुश्मन के विमानों, बैलिस्टिक मिसाइलों और AWACS विमानों को 400 किमी, 250 किमी, मध्यम दूरी की दूरी 120 किमी पर और न्यूनतम 40 किमी की दूरी पर मार सकती है। S-400 एक साथ 80 लक्ष्यों का सामना कर सकती है और एक ही समय में 160 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है। S-400, 600 किलोमीटर दूर से लक्ष्य को ट्रैक कर सकती है और 400 किलोमीटर दूर से उसे नष्ट कर सकती है।

थिंक टैंक ओआरएफ (ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन) ने क्षेत्रीय स्थिरता के संदर्भ में सौदे को ‘महत्वपूर्ण’ बताया है। चीन-भारत सीमा के साथ कई स्थानों पर पिछले साल 2020 के सशस्त्र गतिरोध और झड़पों के मद्देनजर, और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन द्वारा अपनी S-400 रक्षा प्रणाली के साथ अपने सैन्य बुनियादी ढांचे के उन्नयन को देखते हुए भारत के उन्नत रक्षा तकनीक के तैनाती से जैसे कि एस-400; भारतीय बलों को किसी भी हवाई खतरे से निपटने में फायदा मिलेगा।