कांग्रेस नेता राहुल गांधी का अक्षम्य कृत्य

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जिस प्रकार से कांग्रेस एक अक्षम्य कृत्य का बचाव कर रही है, वह न केवल दुर्भाग्यजनक है, बल्कि भर्त्सनीय है। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता स्पष्ट कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत रद्द हुई है, परंतु यह अत्यंत शर्मनाक है कि कांग्रेस इस निर्णय का विरोध कर रही है। जनप्रतिनिधि कानून, 1951 के धारा 8(3) के अंतर्गत न्यायालय द्वारा दंड प्राप्त होने पर सदस्यता का स्वतः रद्द हो जाना कानूनी प्रावधान है। चूंकि न्यायालय एवं कानून ने अपना कार्य किया है, इसलिए अपील के माध्यम से राहत भी कानून के अंतर्गत ही प्राप्त किया जा सकता है। परंतु दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कांग्रेस इस प्रकरण से राजनैतिक लाभ उठाना चाह रही है। राहुल गांधी के अयोग्य घोषित होने के विषय का राजनीतिकरण करने के प्रयास से कांग्रेस की आधारहीन-प्रोपगेंडा वाली राजनीति जनता के सामने बेनकाब हुई है। वो दिन बीत गए जब

राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता स्पष्ट कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत रद्द हुई है, परंतु यह अत्यंत शर्मनाक है कि कांग्रेस इस निर्णय का विरोध कर रही है

जनता कांग्रेस के झूठ एवं फरेब की राजनीति के झांसे में आती थी, अब तो जनता हर चुनाव में कांग्रेस को इसके लिए सबक सिखा रही है। हर कोई स्पष्ट देख सकता है कि राहुल गांधी को न्यायालय ने उनके गैर-जिम्मेदार, विभाजनकारी एवं गाली-गलौज की गिरी हुई राजनीति के कारण सजा दी है। देश किसी भी राजनैतिक दल के राष्ट्रीय नेतृत्व को जिम्मेदार, सामाजिक रूप से स्वीकृत एवं गंभीरतापूर्ण वक्तव्य देते हुए देखना चाहता है, परंतु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राहुल गांधी राजनीति के स्तर को निरंतर इतना गिरा रहे हैं कि जनता उन्हें चुनावों में बार-बार धूल चटाना पसंद करती है।

राहुल गांधी के अयोग्य घोषित होने का विरोध कर कांग्रेस वही गलती कर रही है जो वह बार-बार दुहराती है। देश के संविधान, न्यायालय, संसद, चुनाव आयोग, ईवीएम और अन्य सम्मानित लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमले कर कांग्रेस लगातार अपनी दुरवस्था के लिए आत्मचिंतन से बचती रही है। जब भी कोई न्यायालय इसके विरुद्ध निर्णय देता है, ये न्यायालय को कोसते हैं और जब चुनाव हारते हैं तब चुनाव आयोग फिर ईवीएम और यहां तक कि मतदाताओं तक को गाली देते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अब जबकि राहुल गांधी को न्यायालय ने दंडित किया है, इसके समर्थक कानून को ही गलत ठहरा रहे हैं। परन्तु विडंबना यह है कि इनमें से कोई भी राहुल गांधी को देश के पिछड़ा वर्ग को अपमानित करने वाली भाषा न बोलने की सलाह नहीं दे रहा है। परिणाम यह है कि राहुल गांधी विदेश में जाकर यहां तक कह रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है तथा दूसरे देशों से भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं। जहां एक ओर वे भारत, जो ‘लोकतंत्र की जननी’ के रूप में जाना जाता है, का अपमान कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई चेतावनी के बाद भी वे उन्हीं गलतियों को दुहरा रहे हैं जिसके लिए उन्हें दंडित किया गया है। देश को अब भी याद है कि किस प्रकार से ‘चौकीदार चोर है’ जैसे बयानों के लिए उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में माफी मांगनी पड़ी थी। आज, जब कांग्रेस अपनी गलतियों से सीख लेने में असमर्थ है, यह झूठ, प्रोपगेंडा एवं फरेब की राजनीति कर रही है।

कांग्रेस का निरंतर पतन अब एक ऐसे दौर में इसे ले गया है जहां से इसका लौटना असंभव है। स्वतंत्रता के पश्चात् जिस प्रकार से इसका वैचारिक क्षरण शुरू हुआ, उसका परिणाम इसके संगठनात्मक बिखराब में हुआ। फलतः सत्ता-केंद्रित एवं सिद्धांतहीन राजनीति कांग्रेस के पतन का कारण बनी। आज यह राजनीति में हर प्रकार के दुर्गुण एवं बुराई की प्रतीक बनकर रह गई है। यह केवल वंशवादी राजनीति की अगुअा नहीं है, बल्कि वोट बैंक की राजनीति के कारण समाज को बांटने वाली जाति, क्षेत्र, संप्रदाय, भाषा और अन्य विखंडनकारी राजनीति की पर्याय बन गई है। आज जब जनता ने इसे सत्ता से बेदखल कर दिया है और हर चुनाव में सबक सीखा रही है, कांग्रेस दुष्प्रचार एवं झूठ की राजनीति का सहारा ले रही है। इसे लगता है कि बार-बार आधारहीन आरोपों को दुहराकर यह सत्ता में वापसी कर सकती है। जब तक यह रचनात्मक राजनीति से दूर रह लोकतांत्रिक संस्थाओं का अपमान करती रहेगी तथा देश को तोड़ने वालों का समर्थन करेगी, जनता भी इसे चुनावों में धूल चटाती रहेगी।

                                                          shivshaktibakshi@kamalsandesh.org