जहां पवन बहे संकल्प लिए, जहां पर्वत गर्व सिखाते हैं : नरेन्द्र मोदी

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जीवन सुगम बनाना देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चार दिसंबर को देहरादून (उत्तराखंड) में लगभग 18,000 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन किया और आधारशिला रखी। इसमें दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर (ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे जंक्शन से देहरादून तक), दिल्ली-देहरादून इकोनामिक कॉरिडोर से हलगोआ, सहारनपुर से भद्राबाद, हरिद्वार को जोड़ने वाली ग्रीनफील्ड एलाइनमेंट परियोजना, हरिद्वार रिंग रोड परियोजना, देहरादून-पांवटा साहिब (हिमाचल प्रदेश) सड़क परियोजना, नजीबाबाद-कोटद्वार सड़क चौड़ीकरण परियोजना और लक्ष्मण झूला के पास गंगा नदी पर एक पुल का निर्माण शामिल है। उन्होंने चाइल्ड फ्रेंडली सिटी प्रोजेक्ट, देहरादून, देहरादून में जलापूर्ति, सड़क तथा जल निकासी प्रणाली के विकास, श्री बद्रीनाथ धाम और गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास कार्यों और हरिद्वार में एक मेडिकल कॉलेज की आधारशिला भी रखी।

श्री मोदी ने सात परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं का लक्ष्य इस क्षेत्र में यात्रा को सुगम बनाना है। क्षेत्र में भूस्खलन की समस्या का समाधान, देवप्रयाग से श्रीकोट तक और एनएच-58 पर ब्रह्मपुरी से कोडियाला तक सड़क चौड़ीकरण परियोजना, यमुना नदी पर निर्मित 120 मेगावाट की व्यासी जलविद्युत परियोजना, देहरादून में हिमालयी संस्कृति केंद्र और देहरादून में अत्याधुनिक इत्र तथा सुगंध प्रयोगशाला (सुगंधित पौधों के लिए केंद्र) इनमें शामिल हैं।

साल 2007 से 2014 के बीच जो केंद्र की सरकार थी, उसने सात साल में उत्तराखंड में केवल 288 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाए, जबकि हमारी सरकार ने अपने सात साल में उत्तराखंड में 2000 किलोमीटर से अधिक लंबाई के नेशनल हाईवे का निर्माण किया है

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इस शताब्दी की शुरुआत में अटल जी ने भारत में कनेक्टिविटी बढ़ाने का अभियान शुरू किया था।

श्री मोदी ने कहा कि लेकिन उनके बाद 10 साल देश में ऐसी सरकार रही, जिसने देश का, उत्तराखंड का बहुमूल्य समय व्यर्थ कर दिया। उन्होंने कहा कि 10 साल तक देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर घोटाले हुए, घपले हुए। इससे देश का जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई के लिए हमने दोगुनी गति से मेहनत की और आज भी कर रहे हैं। बदली हुई कार्यशैली के बारे में श्री मोदी ने कहा कि आज भारत आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के इरादे से आगे बढ़ रहा है। आज भारत की नीति ‘गतिशक्ति’ की है, दोगुनी-तीन गुनी तेजी से काम करने की है।

श्री मोदी ने कनेक्टिविटी के लाभों का जिक्र करते हुए कहा कि केदारनाथ त्रासदी से पहले 2012 में 5 लाख 70 हजार लोगों ने दर्शन किए थे। उस समय यह एक रिकॉर्ड था, जबकि कोरोना काल शुरू होने से पहले 2019 में 10 लाख से ज्यादा लोग केदारनाथ जी के दर्शन करने पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि यानी केदार धाम के पुनर्निर्माण ने न सिर्फ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाई, बल्कि वहां के लोगों को रोजगार-स्वरोजगार के भी अनेक अवसर उपलब्ध कराए हैं।

विकास की गति की तुलना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2007 से 2014 के बीच जो केंद्र की सरकार थी, उसने सात साल में उत्तराखंड में केवल 288 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाए, जबकि हमारी सरकार ने अपने सात साल में उत्तराखंड में 2000 किलोमीटर से अधिक लंबाई के नेशनल हाईवे का निर्माण किया है।

उन्होंने कहा कि हमारे पहाड़, हमारी संस्कृति, आस्था के गढ़ तो हैं ही, ये हमारे देश की सुरक्षा के किले भी हैं। पहाड़ों में रहने वालों का जीवन सुगम बनाना देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।
प्रधानमंत्री ने एक सुंदर कविता के साथ अपनी बात समाप्त की, जिनकी प्रमुख चार पंक्तियां निम्न हैं:

“जहां पवन बहे संकल्प लिए, जहां पर्वत गर्व सिखाते हैं;
जहां ऊंचे-नीचे सब रस्ते, बस भक्ति के सुर में गाते हैं।
उस देव भूमि के ध्यान से ही, मैं सदा धन्य हो जाता हूं;
है भाग्य मेरा, सौभाग्य मेरा, मैं तुमको शीश नवाता हूं।।”