आपकी आवाज भारत की आवाज है : नरेन्द्र मोदी

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‘सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने के साथ-साथ ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं’

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 12 जनवरी को ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन 2023’ के उद्घाटन सत्र में अपना उद्घाटन वक्तव्य दिया। 12-13 जनवरी के बीच हुए इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के दौरान 120 से अधिक विकासशील देशों ने भागीदारी की और यह ‘ग्लोबल साउथ’ का अब तक का सबसे बड़ा वर्चुअल सम्मेलन था। इस सम्मेलन में एशिया, अफ्रीका, यूरोप, लैटिन अमेरिका, कैरिबियन व ओशिनिया के विकासशील देशों ने भाग लिया।

वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन का उद्देश्य ‘विचारों की एकता, उद्देश्य की एकता’ को प्राप्त करना था और यह जी20 देशों एवं वैश्विक दक्षिण के सदस्यों के साथ परामर्श के माध्यम से एक सकारात्मक जी20 एजेंडा को आकार देने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के सर्वथा अनुरूप है।

वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ
शिखर सम्मेलन 2023

अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि हम ‘ग्लोबल साउथ’ का भविष्य का सबसे बड़ा दांव हैं। हमारे देशों में मानवता का तीन चौथाई भाग रहता है। हमारी भी समतुल्य आवाज़ होनी चाहिए। इसलिए, जैसे-जैसे वैश्विक शासन का आठ दशक पुराना मॉडल धीरे-धीरे बदलता है, हमें उभरती हुई व्यवस्था को आकार देने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अधिकांश वैश्विक चुनौतियां ग्लोबल साउथ द्वारा सृजित नहीं की गई हैं, लेकिन वे हमें प्रभावित अधिक करती हैं। हमने इसे कोविड महामारी, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और यहां तक कि यूक्रेन संघर्ष के प्रभावों में देखा है। समाधान की खोज में भी हमारी भूमिका या हमारी आवाज़ का कोई महत्व नहीं है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत इस वर्ष अपनी G20 अध्यक्षता शुरू कर रहा है, यह स्वाभाविक है कि हमारा उद्देश्य ग्लोबल साउथ की आवाज को बढ़ाना है। G20 की अपनी अध्यक्षता के लिए हमने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ विषय को चुना है। हमारा मानना है कि ‘एकता’ को महसूस करने का मार्ग मानव-केंद्रित विकास के माध्यम से है। ग्लोबल साउथ के लोगों को अब विकास के परिणाम से बाहर नहीं रखा जाना चाहिए। हमें मिलकर वैश्विक राजनीतिक और वित्तीय शासन को नया स्वरूप देने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि दुनिया को फिर से ऊर्जावान बनाने के लिए हमें मिलकर ‘प्रतिक्रिया, पहचान, सम्मान और सुधार’ के वैश्विक एजेंडे का आह्वान करना चाहिए :

 एक समावेशी और संतुलित अंतरराष्ट्रीय एजेंडा तैयार करके ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर प्रतिक्रिया दें।
 यह स्वीकार करें कि ‘साझा लेकिन विभेदित उत्तरदायित्व’ का सिद्धांत सभी वैश्विक चुनौतियों पर लागू होता है।
 सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान, कानून का शासन और मतभेदों और विवादों का शांतिपूर्ण समाधान; और
 संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार करना, ताकि उन्हें अधिक प्रासंगिक बनाया जा सके।

श्री मोदी ने कहा कि विकासशील दुनिया के सामने की चुनौतियों के बावजूद मैं आशावादी हूं कि हमारा समय आ रहा है। समय की मांग सरल, मापनीय और टिकाऊ समाधानों की पहचान करना है जो हमारे समाजों और अर्थव्यवस्थाओं को बदल सकते हैं। इस तरह के दृष्टिकोण के साथ हम कठिन चुनौतियों से पार पा लेंगे— चाहे वह गरीबी हो, सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा हो या मानव क्षमता निर्माण हो।

उन्होंने कहा कि पिछली शताब्दी में हमने विदेशी शासन के विरुद्ध अपनी लड़ाई में एक-दूसरे का समर्थन किया। हम इस सदी में फिर से ऐसा कर सकते हैं, एक नई विश्व व्यवस्था बनाने के लिए जो हमारे नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करेगी।

आपकी प्राथमिकताएं भारत की प्राथमिकताएं हैं

श्री मोदी ने कहा कि जहां तक भारत का संबंध है, आपकी आवाज भारत की आवाज है। आपकी प्राथमिकताएं भारत की प्राथमिकताएं हैं।

उन्होंने कहा कि भारत में हमारी एक प्रार्थना है— आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः, इसका अर्थ है, ब्रह्मांड की सभी दिशाओं से हमें अच्छे विचार प्राप्त हों। यह वॉयस ऑफ़ ग्लोबल साउथ समिट हमारे सामूहिक भविष्य के लिए अच्छे विचार हासिल करने का एक सामूहिक प्रयास है।