सिखों को पुन: निराश किया

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अपनी विदेश यात्रा के दौरान राहुल गांधी की हालिया टिप्पणियों ने न केवल
सिख समुदाय को बल्कि सभी भारतीयों को निराश और हताश किया है

राहुल गांधी की अपनी विदेश यात्रा के दौरान भारत के सिखों को लेकर की गयी हालिया टिप्पणियों ने न केवल सिख समुदाय को बल्कि सभी भारतीयों को निराश और हताश किया है। एक गौरवशाली सिख के रूप में, जिसने 62 वर्षों तक पगड़ी पहनी है, मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि यहां किसी भी सिख को इस बात को लेकर कोई पशोपेश नहीं है कि ‘क्या भारत में एक सिख को अपनी पगड़ी या कड़ा पहनने की अनुमति दी जाएगी या वह एक सिख के तौर पर गुरुद्वारा जाने में समर्थ होगा।’ गौरतलब है कि राहुल गांधी ने वाशिंगटन डीसी में एक ‘टॉक शो’ के दौरान इन बातों का जिक्र किया था। उनका तर्क इतना विचित्र और सभी सिखों के जीवित अनुभव से अलग है कि यह समझ से परे है।

मैंने पहले राजनयिक के रूप में और अब कैबिनेट के सदस्य के रूप में पांच दशकों से अधिक समय तक भारत की सेवा की है। सिख भारत को अपनी मातृभूमि और अपनी कर्मभूमि मानते हैं। गांधी के दुर्भावनापूर्ण और विभाजनकारी प्रचार को पनपने नहीं दिया जा सकता। इस शरारत को जड़ से खत्म किया जाना चाहिए। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने इस तरह की बात कही है, पिछले साल कैम्ब्रिज में उन्होंने सिखों को भारत में दूसरे दर्जे का नागरिक कहा था।

भारत में सिखों को असुरक्षित महसूस करने और अस्तित्व के लिए खतरा महसूस करने का एकमात्र मौका 1980 के दशक की शुरुआत में आया था और गांधी को इस बारे में खुद को शिक्षित करने की जरूरत है। उनके बयान से एक स्वाभाविक सवाल उठता है: क्या राहुल गांधी अपने परिवार एवं पार्टी

क्या राहुल गांधी अपने परिवार एवं पार्टी द्वारा सिखों पर किए गए अत्याचारों के लिए माफी मांगेंगे? यह वह दौर था जब इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया था, जिसमें हरमंदिर साहिब परिसर पर बेशर्मी से हमला किया गया और अकाल तख्त को नष्ट करके सिखों के सबसे पवित्र तीर्थस्थल को नष्ट करने का प्रयास किया गया था?

द्वारा सिखों पर किए गए अत्याचारों के लिए माफी मांगेंगे? यह वह दौर था जब इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया था, जिसमें हरमंदिर साहिब परिसर पर बेशर्मी से हमला किया गया और अकाल तख्त को नष्ट करके सिखों के सबसे पवित्र तीर्थस्थल को नष्ट करने का प्रयास किया गया था? क्या वह इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई हिंसा के लिए माफी मांगेंगे, जब कांग्रेस के गुंडों ने 3,000 सिखों की निर्मम हत्या कर दी थी, जिसमें से ज्यादातर दिल्ली में हुई थी? क्या वह अपने पिता राजीव गांधी की निंदा करेंगे, जिन्होंने अत्याचारों के बाद कहा था कि ‘जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तो जमीन हिलती है’, क्या इस तरह की जघन्य हिंसा किसी भी तरह से कानून के शासन वाले लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए उचित थी?

मुझे संदेह है कि हमें इस माफी के लिए लंबे समय तक इंतजार करना होगा। यह तथ्य कि उनके बयानों को हाशिये पर पड़े अलगाववादी लोगों ने समर्थन दिया है, कुछ असहज सवाल खड़े करता है जिसका जवाब गांधी को देना चाहिए। वह उन्हें यूं ही खारिज नहीं कर सकते, जैसाकि उनके सबसे करीबी सलाहकार सैम पित्रोदा ने सिखों के खिलाफ की गई हिंसा के बारे में कहा था,‘हुआ तो हुआ’।

श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इन घावों को भरने का प्रयास किया है। सिख शिक्षाओं, विशेष रूप से एकात्म मानववाद के दर्शन के प्रति प्रधानमंत्री की श्रद्धा, सरकार के अधिकांश कार्यों में स्पष्ट है। हम सिख समुदाय की निष्ठा, ईमानदारी और कड़ी मेहनत का सम्मान करते हैं। पिछले 10 वर्षों में सिख समुदाय के कल्याण और लंबे समय से चली आ रही शिकायतों को दूर करने के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए गए हैं, जो कांग्रेस के शासन से बिल्कुल भिन्न है।

यह मोदी सरकार ही थी जिसने 312 सिखों को ब्लैक लिस्ट या ‘केंद्रीय प्रतिकूल सूची’ से हटाया गया, जिसे कांग्रेस की सरकार द्वारा जारी किया गया था। पंजाब में अशांति के दौरान सरकारी उत्पीड़न के कारण विदेशों में शरणार्थी के रूप में रह रहे सिख हमारे हस्तक्षेप के कारण घर वापस आ पाए। यह मोदी सरकार ही थी जिसने 1984 के अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने के लिए कदम उठाए और प्रत्येक पीड़ित परिवार को 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की, जिसकी मांग लंबे समय से की जा रही थी।

यह मोदी सरकार ही थी जिसने श्री दरबार साहिब, अमृतसर के लिए एफसीआरए पंजीकरण की सुविधा प्रदान की एवं लंगर तथा लंगर की वस्तुओं को कर-मुक्त बनाया। जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया, तो मोदी सरकार ने 230 सिख परिवारों की वतन वापसी एवं पवित्र गुरुग्रंथ साहिब की पांच प्रतियां को सुरक्षित वापस लाने के लिए कदम उठाया। मोदी सरकार ने नवंबर, 2019 में करतारपुर साहिब कॉरिडोर का उद्घाटन किया। यह मोदी सरकार ही थी जिसने गुरु नानकदेव जी के 550वें प्रकाश पर्व के साथ-साथ गुरु गोविंद सिंह जी के 350वें प्रकाश उत्सव एवं श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व को पूरे भारत तथा दुनिया भर में बड़े उत्साह के साथ मनाया। यह मोदी सरकार ही थी जिसने घोषणा की कि 26 दिसंबर को ‘छोटे साहिबजादों’ के सम्मान में वीर बल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस प्रकार एक ऐतिहासिक गलती को सुधार कर सिख परंपरा को गौरव प्रदान किया।

इसके विपरीत, कांग्रेस ने सिखों को अपमानित करने और उनका अनादर करने के अलावा क्या किया? राहुल गांधी को कांग्रेस के इतिहास के काले अध्यायों के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी लेनी चाहिए। अगर कभी सिखों को पहचान के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ा है, तो वह कांग्रेस के शासन में और जो पार्टी के स्पष्ट दिशानिर्देशों के तहत हुआ था। 1982 में पुलिस ने सिखों को बसों और कारों से घसीटकर नीचे उतारा, उनकी पगड़ी और कड़ा से उनकी पहचान की, ताकि उन्हें 1982 के एशियाई खेलों से पहले दिल्ली में प्रवेश करने से रोका जा सके, क्योंकि कांग्रेस नेताओं द्वारा इस समुदाय को ‘खतरा’ माना जाता था। यही वही विरासत है, जिससे गांधी को अब जूझना होगा।

अमेरिका में राहुल गांधी की अपमानजनक टिप्पणी की कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए।

        (लेखक केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हैं)