भारत और यूएई के बीच समग्र रणनीतिक साझेदारी में हुई पर्याप्त प्रगति

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अबू धाबी के क्राउन प्रिंस की भारत यात्रा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर अबू धाबी के क्राउन प्रिंस महामहिम शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान 9-10 सितंबर के लिए भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए। अबू धाबी के क्राउन प्रिंस के तौर पर यह उनकी पहली आधिकारिक यात्रा थी। क्राउन प्रिंस ने नौ सितंबर को प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों नेताओं ने पिछले कुछ वर्षों में भारत और यूएई के बीच समग्र रणनीतिक साझेदारी में हुई पर्याप्त प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा करने और बढ़ाने के अवसरों पर चर्चा की।

दोनों नेताओं ने माना कि समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) की सफलता और हाल ही में लागू हुई द्वपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) से दोनों देशों के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक साझेदारी को और मज़बूत करने में मदद मिलेगी। उन्होंने परमाणु ऊर्जा, महत्वपूर्ण खनिजों, हरित हाइड्रोजन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और अत्याधुनिक तकनीक समेत अन्य क्षेत्रों में अप्रयुक्त क्षमताओं पर काम करने पर ज़ोर दिया।

यात्रा के दौरान निम्न समझौता ज्ञापन/समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए:

 न्यूक्लियर पावर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएनपीसीआईएल) और एमिरेट्स न्यूक्लियर एनर्जी कार्पोरेशन (ईएनईसी) के बीच परमाणु सहयोग पर समझौता ज्ञापन
 दीर्घावधि एलएनजी आपूर्ति को लेकर अबू धाबी आयल कंपनी (एडीएनओसी) और इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड के बीच समझौता
 एडीएनओसी और भारतीय सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (आईएसपीआरएल) के बीच समझौता
 अबू धाबी ऑनशोर ब्लॉक 1 के लिए ऊर्जा भारत और एडीएनओसी के बीच उत्पादन रियायत समझौता
 भारत में फूड पार्क के विकास के लिए गुजरात सरकार और अबू धाबी डेवलपमेंटल होल्डिंग कंपनी
पीजेएससी (एडीक्यू) के बीच समझौता ज्ञापन

परमाणु ऊर्जा पर हुए समझौता ज्ञापन से परमाणु ऊर्जा प्लांट के ऑपरेशन और रखरखाव, परमाणु ऊर्जा से जुड़े सामान और सेवाओं को भारत से मंगाने, आपसी निवेश के अवसरों को खोजने और कौशल विकास के क्षेत्र में सहयोग में बढ़ोतरी होगी।

दीर्घावधि एलएनजी आपूर्ति समझौता प्रतिवर्ष 1 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटीपीए) के लिए है और एक वर्ष की अवधि में तीसरा ऐसा समझौता किया गया है। आईओसीएल और जीएआईएल ने इससे पहले एडीएनओसी के साथ क्रमश: 1.2 एमएमटीपीए और 0.5 एमएमटीपीए के दीर्घावधि समझौते किए हैं। इन समझौतों से एलएनजी स्रोतों में विविधता के ज़रिए भारत में ऊर्जा सुरक्षा को और मज़बूती मिली है।