एक ताकत के साथ हम दुनिया के सामने प्रस्तुत हों : नरेंद्र मोदी

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संसद में राष्ट्रपति अिभभाषण पर 7 फरवरी 2017 को चर्चा का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा िक आज विश्व की जो अवस्था है, उसमें भारत के लिए एक अवसर आया है। एक ताकत के साथ हम दुनिया के सामने प्रस्तुत हों तो मुझे विश्वास है कि हमारे पूर्वज जो सपना देखकर चले थे, उसको हम पूरा कर सकते हैं। हम यहां श्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण का सारांश प्रकाशित कर रहे हैं।

मैं संसद के दोनों सदनों को संबोधित करने के लिए राष्ट्रपति जी का हृदय से आभार प्रकट करता हूं। उन्होंने अपने अभिभाषण में जनशक्ति को रेखांकित किया है। हम यह जानते हैं कि कोई भी व्यवस्था, लोकतांत्रिक हो या अलोकतांत्रिक, जनशक्ति का मिजाज कुछ और ही होता है। वर्ष 1975 का कालखंड, जब देश पर आपातकाल थोप दिया गया था, हिन्दुस्तान को जेलखाना बना दिया गया था, देश के गणमान्य वरिष्ठ नेता जयप्रकाश बाबू समेत लाखों लोगों को जेल की सलाखों में बंद कर दिया गया था, अखबारों पर ताले लगा दिये गये थे। लेकिन लोकतंत्र को कुचलने के ढेर सारे प्रयासों के बावजूद भी इस देश की जनशक्ति का सामर्थ्य था कि लोकतंत्र पुनः प्रस्थापित हुआ। यह जनशक्ति की ताकत है कि गरीब मां का बेटा भी इस देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। जहां तक स्वतंत्रता संग्राम में योगदान की बात है, मैं उन्हें कहना चाहता हूं कि जब कांग्रेस पार्टी का जन्म भी नहीं हुआ था, वर्ष 1857 का स्वतंत्रता संग्राम देश के कोटि-कोटि लोगों ने जान की बाजी लगाकर लड़ा और सभी ने मिलकर लड़ा था। आज के राजनीतिक वातावरण को हम जानते हैं और पाते हैं कि ज्यादातर राज-व्यवस्थाओं ने, राजनेताओं ने, राज्य सरकारों ने, केन्द्र सरकारों ने जन सामर्थ्य को करीब-करीब पहचानना छोड़ दिया है और यह लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय भी रहता है।

जब हम जनता से कट जाते हैं तो जन-मन से कट जाते हैं। हमने गैस सब्सिडी छोड़ने के लिए सिर्फ कहा था और इस देश के एक करोड़ बीस लाख से ज्यादा लोग गैस सब्सिडी छोड़ने के लिए आगे आए। यह सवा सौ करोड़ देशवासियों की शक्ति का परिचय है। राष्ट्रपति जी के उद्बोधन के माध्यम से मैं इस सदन से प्रार्थना करना चाहता हूं और देश के राजनीतिक जीवन में निर्णायक की अवस्था में बैठे हुए निर्णय प्रक्रिया के भागीदार सबका आह्वान करता हूं कि हम हमारे देश की जनशक्ति और उसके सामर्थ्य को पहचानें। हम भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए जनआंदोलन की अवधारणा लेते हुए एक सकारात्मक माहौल बनाकर देश को आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके कारण देश की ताकत अनेक गुना बढ़ जाएगी। हम देश को उसकी पूर्णता में स्वीकार करें और उसकी जनशक्ति को जोड़ें। इस सरकार ने हर शक्ति को संवारकर जोड़ने और जनशक्ति के भरोसे उसको आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। स्वच्छता के अभियान पर मैं हैरान हूं। इतनी सरकारें आईं और इतने संसद सत्र चले, लेकिन कभी भी संसद में स्वच्छता के विषय पर चर्चा नहीं हुई। यह सरकार आने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। अतः हमें मिलकर एक स्वर में समाज को इस पवित्र कार्य से जोड़कर गांधी जी के समने को पूरा करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।

यह तो स्वाभाविक है कि जब राष्ट्रपति जी के उद्बोधन पर चर्चा होती है, तो उसमें बजट की बातें भी आ जाती हैं, लेकिन एक चर्चा आयी है कि बजट जल्दी क्यों लाया गया। यह अंग्रेजी परंपरा से बाहर निकलने की कोशिश के साथ-साथ बजट का उपयोग समय पर किया जाना सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया कदम है। साथ ही, इसका उद्देश्य दिसम्बर से मार्च तक सरकारी धनराशि के अंधाधुंध खर्च किए जाने की परिपाटी को रोकना भी है। बजट जल्दी लाने के निर्णय पूर्ववर्ती सरकार द्वारा ही गठित समिति की सिफारिश पर लिया गया है। आप भी ऐसा कर सकते थे, लेकिन आपने इसको प्राथमिकता नहीं दी। रेलवे के संबंध में हमें एक बात समझने की आवश्यकता है कि 90 साल पहले जब रेल बजट आता था, जब ट्रांसपोर्टेशन का एक प्रमुख मोड सिर्फ रेलवे ही था, बल्कि अब ट्रांसपोर्टेशन के कई प्रकार के मोड हैं। इसलिए जब तक हम कंप्रिहेंसिवली इस विषय को ट्रांसपोर्ट से जोड़कर नहीं चलेंगे, तो हम समस्याओं से जूझते रहेंगे। इससे रेलवे भी अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में आ जाएगी। इसका न तो निजीकरण किया जा रहा है, न ही इसकी स्वायत्तता से कोई छेड़छाड़ की जा रही है। यह मेरे लिए खुशी की बात है कि मई 2014 से पहले आवाज उठा करती थी कि भ्रष्टाचार में कितना गया, लेकिन आज आवाज आती है कि मोदी जी कितना लाए। इसी प्रकार, वर्ष 1988 में तत्कालीन सरकार ने बेनामी सम्पत्ति का कानून बनाया था। पर क्या कारण था कि 26 साल तक उस कानून को नोटिफाई नहीं किया गया।

वे कौन लोग थे, जिन्हें कानून बनने के बाद ज्ञान हुआ कि अब कानून दबाने में फायदा है? आपको देश को जवाब देना पड़ेगा और यह सरकार है, जिसने नोटबंदी से पहले पहला कदम उनके खिलाफ उठाया है, कानून बनाया है। मैं आज इस सदन के माध्यम से भी देशवासियों को कहना चाहता हूं कि मैं गरीबों के लिए लड़ाई लड़ रहा हूं और गरीबों के लिए लड़ाई लड़ता रहूंगा। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि एक समान्तर अर्थव्यवस्था डैवलप हुई थी और ऐसा नहीं है यह काम भी आपके संज्ञान में पहले भी आया था। यह विषय आप ही की सरकार की आप ही की कमेटियों ने भी आपको सुझाया था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था कि क्या कांग्रेस को चुनाव नहीं लड़ना है। पर हमें चुनाव की चिंता नहीं है, देश की चिंता है। इसलिए हमने यह निर्णय लिया हैं कुछ लोगों को लगता है कि जब अर्थव्यवस्था इतनी अच्छी चल रही थी, तब आपने ऐसे समय में ऐसा निर्णय क्यों किया? मैं यह कहना चाहूंगा कि डीमोनिटाइज़ेशन के लिए यह समय इतना पर्याप्त था कि देश की अर्थव्यवस्था तंदरुस्त थी। यह तभी सफल हुआ है, जब अर्थव्यवस्था मजबूत थी। दूसरा, ऐसा मत सोचिए कि ऐसा हड़बड़ी में होता है। आप देखिए कि हमारे देश में साल भर में जितना व्यापार होता है, करीब-करीब उतना ही व्यापार दीवाली के दिनों में हो जाता है। यह प्रॉपर टाइम था जब कि सामान्य कारोबार ऊंचाई पर पहुंच गया था, उसके बाद अगर 15-20 दिन दिक्कत होती है और फिर 50 दिन में ठीक-ठाक हो जाएगा। मैं मानता हूं कि इससे जैसे स्वच्छ भारत का मेरा अभियान चल रहा है, वैसे ही आर्थिक जीवन में स्वच्छ भारत का अभियान भी बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है।

इसी प्रकार बेनामी सम्पत्ति का कानून पास हो चुका है, नोटिफाई हो चुका है। इसीलिए मेरा सबसे आग्रह है कि मुख्यधारा में आइए, देश के गरीबों का भला करने के लिए आप भी कुछ कन्ट्रिब्यूट कीजिए। एक के बाद एक, विदेश में जमा काले धन के खिलाफ नया कठोर कानून बनाया, प्राॅपर्टी जब्त करने की बात कही इस बार भी बजट में एक नये कानून की बात कही गयी है, सजा भी 7 साल से 10 साल कर दी है। हमने स्विट्जरलैंड से समझौता किया कि अगर कोई भी हिन्दुस्तानी नागरिक पैसा रखेगा तो वे हमें रियल टाइम इन्फार्मेशन देंगे तो उसका पता चल जायेगा। हमने अमेरिका सहित कई देशों के साथ इस प्रकार के समझौते किए हैं। उसी प्रकार प्राॅपर्टी बिक्री में 20 हजार रुपए से ज्यादा नकद नहीं, इसका फैसला हमने लिया। हमने रियल एस्टेट बिल को पास किया। ज्वैलरी के मार्केट में भी एक प्रतिशत एक्साइज टैक्स डाला, क्योकि चीजों को स्ट्रीमलाइन करना था, किसी को परेशान नहीं करना था। हम ‘इन्कम टैक्स डिक्लेरेशन स्कीम’ भी लाए। 1100 से ज्यादा पुराने कानून हमने खत्म किए। देश आजाद होने के बाद नौ प्रकार के अलग-अलग नामों से चली हुई योजना चलते-चलते उसे एक नाम दिया गया, जिसे मनरेगा कहते हैं। देश को और आपको खुद को भी जानकर आश्चर्य होगा कि शांत रूप से इतने सालों से चली हुई योजना के बाद भी मनरेगा में 1035 बार परिवर्तन किए गए, पर क्या कारण था कि मनरेगा जैसी योजना जो एक लंबे अर्से से चल रही थी, उसे भी लाने के बाद आपको उसमें 1035 बार परिवर्तन करने पड़े।

सरकार नियमों से चलती है, संवैधानिक जिम्मेदारियों के साथ चलती है। जो नियम आपके लिये थे, वह नियम हमारे लिये भी हैं, लेकिन फर्क कार्य-संस्कृति को भी समझने की जरुरत है। वर्ष 2011 से वर्ष 2014, यानी इन तीन सालों में सिर्फ 59 गांवों में नेशनल आॅप्टिकल फाइबर नेटवर्क लगा और उसमें भी लास्ट माइल कनेक्टिविटी का प्रावधान नहीं था। प्रोक्योरमेंट भी पूरी तरह से सेन्ट्रलाइज्ड था। अब आप देखिए, हमने पूरी कार्य-संस्कृति कैसे बदली है, एप्रोच कैसे बदली है। हमने प्रोक्योरमेंट को भी डिसेन्ट्रलाइज्ड कर दिया और परिणाम यह आया कि इतने कम समय में अब तक 76 हजार गांवों में आॅप्टिकल फाइबर नेटवर्क लास्ट माइल कनेक्टिविटी के साथ पूरा हो गया। आपकी पार्टी के नेता गांव-गांव जाकर कहते हैं कि राजीव गांधी कंप्यूटर रिवोल्यूशन लाए, मोबाइल फोन लाए, गांव-गांव कनेक्टिविटी कर दी। जब मैं आज कह रहा हूं कि उस मोबाइल का उपयोग बैंक में भी कनवर्ट किया जा सकता है तो आप कह रहे हैं मोबाइल फोन ही कहां है। यह समझ नहीं आ रहा है मान लीजिए कि फोन चालीस प्रतिशत के पास है तो क्या हम चालीस पर्सेंट लोगों को इस आधुनिक व्यवस्था से जोड़ने की दिशा में सबका सामूहिक प्रयत्न रहना चाहिए।

डिजिटल करेंसी को हम कम न आंकें। सब्जी और दूध के मोबेलाइजेशन के लिए जितना खर्च होता है, उससे ज्यादा एटीएम मोबेलाइजेशन में खर्च होता है। रोड बनाने का काम टोडरमल और शेरशाह सूरी के जमाने से चल रहा है। पिछली सरकार में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना प्रतिदिन 69 किलोमीटर बनती थी, हमारे आने के बाद 111 किलोमीटर बनती है। हमने रोड बनाने में स्पेस टेक्नाॅलाॅजी का उपयोग किया। माॅनिटरिंग होती है। हमने रेलवे में ड्रोन का उपोग किया है। काम का हिसाब लेते हैं। ग्रामीण आवास योजना में आपके समय में एक साल में 10,83,000 घर बनते थे, इस सरकार में एक वर्ष में 22,27,000 घर बने। पहले ब्राॅडगेज रेलवे की कमिशनिंग एक साल में 1500 किलोमीटर हुआ करती थी। पिछले साल यह बढ़कर 3000 किलोमीटर यानी डबल हो गई। हम जानते हैं कि राज्यों के इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड सभी राज्यों में संकट में हैं। कभी हिन्दुस्तान में लाल किले से एक प्रधान मंत्री द्वारा इसकी चिन्ता की गई थी, इतनी हद तक हालत बिगड़ी हुई। पिछले दो सालों में बिजली उत्पादन में क्षमता बढ़ी। 2014 में सोलर एनर्जी 2700 मेगावाट थी, आज हमने उसे 9,100 मेगावाट तक पहुंचा दिया। उदय योजना के तहत राज्यों को करीब-करीब एक लाख 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा रकम बचने वाली है। पहले जहां से कोयला निकलता था, उसके नजदीक नहीं दिया जाता था ताकि रेलवे को थोड़ी कमाई हो जाए। हमारी सरकार ने रैशनलाइज़ कर दिया। उसके कारण कोयले में करीब-करीब 1300 करोड़ रुपए ट्रांसपोर्टेशन खर्च कम हुआ है। आपकी सरकार के समय में एलईडी बल्ब करीब 300 रुपए से 380 रुपए में मिलते थे। एलईडी बल्ब से एनर्जी सेविंग होती है, सरकार ने मिशन के रूप में काम किया। हमने 21 करोड़ एलईडी बल्ब लगाने में सफलता पाई, जिससे 11 हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है। विपक्ष के नेता शिड‌्यूल्ड कास्ट के बजट को लेकर भाषण कर रहे थे लेकिन बड़ी चतुराईपूर्वक वर्ष 2013-14 के आंकड़े के ऊपर बोलना अच्छा नहीं माना।

शिड‌्यूल्ड कास्ट सब प्लाॅन कुल आवंटन वर्ष 2012-13, 37,113 करोड़ रुपए और 2016-17 40,920 करोड़ रुपए यानि 33.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस साल के बजट में 52,393 करोड़ रुपए है। आपको सत्य सुनने की हिम्मत चाहिए। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली सरकार है। 17 मंत्रालयों की 84 योजनाओं को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना के साथ जोड़ा गया है। 32 करोड़ लोगों को 1,56,000 करोड़ रुपए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना में दिया गया। इतनी बारीकी से हर जगह पर चोरी और लूट को रोकूंगा तो मेरे ऊपर कितना तूफान आएगा। मैंने गोवा में बोला था कि मैं ऐसे निर्णय करता हूं तो मेरे ऊपर क्या बीतेगी, मुझे मालूम है। ऐसे बड़े-बड़े लोगों को तकलीफ हो रही है और ज्यादा होने वाली है। मैंने देश के लिए प्रण किया है इसलिए मैं कदम उठा रहा हूं। हमारे यहां गैस सिलेंडर जाते थे और सब्सिडी मिलती थी जब उसको आधार योजना से जोड़ा तो उसका लिकेजेज करीब 26 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा लिंकेज रुका। जिसकी वजह से हम डेढ़ करोड़ परिवारों को गैस का कनेक्शन देने में सफल हुए। राशन कार्ड से आधार को जोड़ने से करीब चार करोड़ यानी 3 करोड़ 95 लाख फर्जी राशन कार्ड पकड़े गए। इससे करीब 14 हजार करोड़ रुपए की रकम, जो बिचैलिए गरीब के हक की खाते थे, गरीबों की तरफ गई। मनरेगा में आधार से पेमेंट दी जाती है। इसका परिणाम यह हुआ है कि 7,633 करोड़ रुपए का लीकेज बच पाया है और आने वाले वर्षों में भी बचत होगी। मैं कार्य संस्कृति का एक उदाहरण भी देना चाहता हूं। हर वर्ष राज्यों के मुख्य मंत्री भारत सरकार को इस बात की चिट्ठी लिखते थे कि उन्हें यूरिया मिलना चाहिए। पिछले दो साल से किसी मुख्य मंत्री को यूरिया के लिए चिट्ठी नहीं लिखनी पड़ी, कहीं यूरिया के लिए कतार नहीं लगी है। 5 अक्तूबर, 2007 यूरिया नीम कोटिंग की चर्चा ग्रुप आॅफ मिनिस्टर द्वारा प्रिंसीपल एप्रूव हुई। आपने कैप 35 परसेंट लगाई। लेकिन जब तक 100 परसेंट नहीं करते हैं तब तक उसका कोई लाभ हीं नहीं होता है। यूरिया चोरी होता है, कारखानों में चला जाता है, किसान के नाम पर सब्सिडी के बिल कटते हैं लेकिन किसान को लाभ नहीं मिलता था। यूरिया का दुरुपयोग सिंथेटिक मिल्क बनाने में होता। इम्पोर्टिड यूरिया को भी नीम कोटिंग कर दिया। आपकी कार्य संस्कृति और हमारी कार्य संस्कृति में फर्क इतना है। इससे धान के उत्पादन में पांच प्रतिशत वृद्धि गन्ने के उत्पादन में 15 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

महामहिम राष्ट्रपति जी ने हम सबसे आह्वान किया है कि लोक सभा और विधान सभा के चुनाव साथ-साथ होने की दिशा में सोचने का समय आ गया है। इस विषय पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े अध्यापकों और प्राध्यापकों को चुनाव में काम में जाना पड़ता है। चुनाव के कारण सबसे ज्यादा भविष्य की पीढ़ी को नुकसान हो रहा है। इसके कारण खर्च में भी बहुत बड़ी वृद्धि हो रही है। सिक्योरिटी की ज्यादातर शक्ति चुनावी प्रबंधन में लगाई जाती है। सरकार इसका निर्णय कतई नहीं कर सकती है। अनुभव के आधार पर जिम्मेदार लोगों को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजना होगा। हमें उस चर्चा को आगे बढ़ाना चाहिए। हमने कृषि सिंचाई योजना पर बल दिया। मनरेगा में कैसा मूलभूत परिवर्तन आया, आपने तीन साल में सिर्फ 600 करोड़ रुपया बढ़ाया था और हमने आकर दो साल में 11000 करोड़ रुपया बढ़ा दिया। हम करीब दस लाख से ज्यादा तालाब बनाने का संकल्प लेकर चल रहे हैं। इससे हमारे किसानों को एक बहुत बड़ा लाभ होने की संभावना है। मत्स्य पालन के लिए भी छोटे-छोटे तालाब काम में आ सकते हैं। जियो टैगिंग के कारण माॅनिटरिंग की व्यवस्था है। स्पेस टेक्नोलाॅजी में सैटेलाइट के अंदर बहुत चीजें होने के बावजूद भी हम उनका उपयोग नहीं कर पाए। फसल बीमा योजना पहले भी थी, लेकिन फसल बीमा लेने के लिए किसान तैयार नहीं था। इस सदन के सब लोग प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना का अध्ययन करें कि हमारे इलाके के किसानों को कैसे मदद मिल सकती है। पहली बार प्राकृतिक आपदा के कारण बुआई न हुई हो, तब भी वह बीमा का हकदार बना है। फसल काटने के बाद भी अगर पन्द्रह दिनों के अंदर कोई और आपदा आयी, तब भी वह फसल बीमा का हकदार बने आप अपने इलाके के किसानों को साॅयल हैल्थ कार्ड के बारे में समझाए। मैं चाहूंगा कि इसमें छोटे-छोटे इंटरप्रिन्योर्स आगे आएं। वे खुद अपनी प्राइवेट लैब बनाएं और खुद सर्टिफाइड लैब के द्वारा धीरे-धीरे गांवों में भी एक नए रोजगार का क्षेत्र भी खुले। यहां पर युवाओं को रोजगार देने के अवसर पर चर्चा हुई। मुद्रा योजना से करीब-करीब दो करोड़ से ज्यादा लोगों को बिना किसी गारंटी के धन दिया गया है। उससे वह खुद अपने पैरों पर खड़ा हुआ है तथा उसमें एक से अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने की ताकत आई है।

हमारी नीतियां ऐसी होनी चाहिए कि हर जगह रोजगार की संभावनाएं बढ़ें और सरकार ने उस नीति को अपनाया। हमने स्किल डेवलपमेंट में बल दिया है। प्रधान मंत्री कृषि योजना और प्रधान मंत्री ऊर्जा गंगा योजना से भी नौजवान को रोजगार की संभावना बढ़ेगी। सरकार ने टेक्सटाइल और जूतों के क्षेत्र में अनेक इनीशियेटिव्स लिए हैं, जिसके कारण लोगों को नए रोजगार और नए-नए क्षेत्रों में रोजगार की संभावना हुई है। यहां पर सर्जिकल स्ट्राइक की बात आई। सर्जिकल स्ट्राइक के पहले 24 घण्टे मंे राजनेताओं ने कैसे-कैसे बयान दिए, कैसी भाषा का प्रयोग किया, लेकिन जब देखा कि देश का मिजाज अलग है तो उनकी अपनी भाषा बदलनी पड़ी। यह बहुत बड़ा निर्णय था और इस निर्णय के बारे में कोई मुझसे पूछता नहीं है। नोटबंदी के बारे में पूछते हैं कि मोदी जी, इसे सीक्रेट क्यों रखा? बोलते हैं कि कैबिनेट को भी नहीं बताया? हम अपने देश की सेना का जितना गुणगान करें, उतना कम है। उसने इतनी सफल सर्जिकल स्ट्राइक की है। हमारी सेना इस राष्ट्र की रक्षा के लिए पूरी सामर्थ्यवान है। हम सभी को अपने देश को आगे बढ़ाना। आज विश्व की जो अवस्था है, उसमें भारत के लिए एक अवसर आया है। एक ताकत के साथ हम दुनिया के सामने प्रस्तुत हों तो मुझे विश्वास है कि हमारे पूर्वज जो सपना देखकर चले थे, उसको हम पूरा कर सकते हैं। मैं फिर एक बार आदरणीय राष्ट्रपति जी का हृदय से अभिनन्दन करते हुए अपनी बात को समाप्त करता हूंँ ।