भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका

| Published on:

एस. जयशंकर

म जब वर्ष 2023 पर एक नजर डालते हैं, तो इस दौरान जी-20 की अध्यक्षता और चंद्रयान-3 मिशन निश्चित रूप से भारत की प्रमुख उपलब्धियों में शुमार होते हैं। यह घटनाक्रम कोविड-19 के बाद भारत के संभलने और मजबूत विकास से प्रेरित राष्ट्रीय मनोदशा की ओर इशारा करते हैं।

भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 सम्मेलन का फोकस तरक्की और विकास की चुनौतियां रहा। इसे सतत विकास लक्ष्यों, हरित विकास समझौते, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक कार्ययोजना के रूप में प्रस्तुत किया गया। एक वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) सभा का आयोजन अफ्रीकी संघ (एयू) की स्थायी जी-20 सदस्यता सुनिश्चित करने के लिए एक प्रस्तावना थी।

पिछले दशक में भारत के ‘पड़ोसी प्रथम’ दृष्टिकोण ने नये संपर्कों को स्थापित करने और संबंधों को गहरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। श्रीलंका के आर्थिक संकट पर त्वरित प्रतिक्रिया ने महामारी के दौरान दिये जाने वाले समर्थन को अधिक विस्तृत किया है। ‘विस्तारित पड़ोस’ की नीति के कारण आसियान, खाड़ी, मध्य एशिया और हिंद महासागर जैसे क्षेत्रों में हमारी उपस्थिति सुदृढ़ हुई है। प्रशांत महासागर से लेकर कैरेबियन तक हमारी पहलों ने भारत की पहुंच को अधिक विस्तार दिया है।

वर्ष 2023 के दौरान भारत ने इस बात को मजबूती से रखा कि यूक्रेन के आसपास पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण

वर्ष 2023 के दौरान भारत ने इस बात को मजबूती से रखा कि यूक्रेन के आसपास पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण को कैसे पार किया जाए और उत्तर-दक्षिण विकासात्मक विभाजन को कैसे पाटा जाए। विषम वैश्वीकरण, कोविड क्षति, यूक्रेन में संघर्ष, बड़ी शक्तियों की प्रतिस्पर्धा, जलवायु परिवर्तन और अब मध्य पूर्व में हिंसा के प्रभाव ने निश्चित रूप से दुनिया को कहीं अधिक अस्थिर और अप्रत्याशित बना दिया है। ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उभरने के लिए फुर्तीली और ‘मल्टी-वेक्टर’ भारतीय कूटनीति की आवश्यकता है। सहमत मुद्दों पर अपने साझेदारों के साथ क्वाड तंत्र, इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क, ब्रिक्स विस्तार और रचनात्मक मध्य पूर्व पहल में काम करना स्वाभाविक था

को कैसे पार किया जाए और उत्तर-दक्षिण विकासात्मक विभाजन को कैसे पाटा जाए। विषम वैश्वीकरण, कोविड क्षति, यूक्रेन में संघर्ष, बड़ी शक्तियों की प्रतिस्पर्धा, जलवायु परिवर्तन और अब मध्य पूर्व में हिंसा के प्रभाव ने निश्चित रूप से दुनिया को कहीं अधिक अस्थिर और अप्रत्याशित बना दिया है। ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उभरने के लिए फुर्तीली और ‘मल्टी-वेक्टर’ भारतीय कूटनीति की आवश्यकता है। सहमत मुद्दों पर अपने साझेदारों के साथ क्वाड तंत्र, इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क, ब्रिक्स विस्तार और रचनात्मक मध्य पूर्व पहल में काम करना स्वाभाविक था।

कुछ चुनौतियों के लिए दृढ़ संकल्प और नीतियों पर टिके रहने की आवश्यकता होती है। आतंकवाद को अवैध घोषित करवाना और उसका मुकाबला करना अभी भी ऐसा कार्य जिस पर लगातार काम करने की आवश्यकता है। यह एक ऐसा मामला है जिस पर दोहरे मानदंड को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। चीन के साथ भी रिश्ते तभी सामान्य हो सकते हैं, जब सीमावर्ती इलाकों में अमन-चैन बहाल हो और वास्तविक नियंत्रण रेखा का पूरा सम्मान हो।

दुनिया अब अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उभरी अति-एकाग्रता को ठीक कर रही है। परिणामस्वरूप लचीली और विश्वसनीय आपूर्ति शृंखलाओं में भाग लेना एक प्रमुख भारतीय लक्ष्य बन गया है। इसी तरह डिजिटल डोमेन में विश्वास और पारदर्शिता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नए तकनीकी उपकरणों को लेकर तैयारी कर रहा है। हम ऐसे पुन: वैश्वीकरण का समर्थन करते हैं जो विविध, लोकतांत्रिक, निष्पक्ष और बाजार आधारित हो।

हरित विकास और सतत विकास पर तेजी से ध्यान केंद्रित कर रही दुनिया अब उस मूल्य को पहचान रही है जो भारत सामने लाता रहा है। हाल ही में इसने नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक वैश्विक ग्रिड और खाद्य सुरक्षा के लिए बाजरा पर अधिक निर्भरता का प्रस्ताव करते हुए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन की शुरुआत की है। नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने और ऊर्जा दक्षता को मजबूत करने में भारत का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है। साथ ही, अपनी परंपराओं के अनुरूप प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) पहल हमारी दैनिक जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से दुनिया की भलाई को बढ़ावा देने का प्रयास करती है।

विदेशों में भारत का बढ़ता प्रभाव घरेलू बदलावों के कारण भी है। महामारी के दौरान न केवल बड़े पैमाने पर सार्वजनिक-स्वास्थ्य व्यापक गईं; बल्कि सुविधाएं दी सुधार भी किए गए। बड़े पैमाने पर डिजिटल बुनियादी ढांचे की स्थापना ने सामाजिक-आर्थिक लाभ और सार्वजनिक सेवाओं के वितरण को बदल दिया है। इसी तरह, 2014 के बाद से शासन की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है, जिससे व्यवसाय करना आसान हो गया है और जीवनयापन में आसानी को बढ़ावा मिला है। इसे अब राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत बुनियादी ढांचा पहल, बेहतर कौशल विकास और नवाचार एवं स्टार्ट-अप के प्रोत्साहन से बल मिला रहा है।

भारत की गहरी लोकतंत्रिक व्यवस्था ने प्रामाणिक और जमीनी राजनीति को भी पोषित किया है। संस्कृति और विरासत को महत्व देते हुए, प्रौद्योगिकी और आधुनिकता को अपनाना पिछले दशक की प्रगति में समान रूप से दिखाई देता है। आज का भारत कैशलेस भुगतान, 5जी नेटवर्क, चंद्रयान लैंडिंग और डिजिटल डिलीवरी कर रहा है। यह समान रूप से महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व और ‘किसी को पीछे न छोड़ने’ की राह पर चल रहा है। यह एक ऐसा समाज है जो अब अधिक आत्मविश्वासी, सक्षम और उत्तरदायी है। यह एक ऐसा राष्ट्र बन रहा है, जो भारत की परिकल्पना करता है।

      (लेखक भारत के विदेश मंत्री हैं)