गांवों का विकास और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला बजट

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केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने एक फरवरी को संसद में बजट 2017-18 पेश किया। यह बजट कई मामलों में ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व है। बजट में न सिर्फ गांवों के विकास पर ध्यान दिया गया है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ-साथ देश की समग्र अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं। इस बजट में वित्तीय घाटा कम कर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती तो दी ही गई है, साथ ही विदेशी मुद्रा के भारी निवेश को भी प्रोत्साहित किया गया है।
बजट में जहां एक तरफ आधारभूत संरचनाओं के विकास पर भारी धनराशि खर्च करने की व्यवस्था है, वहीं दूसरी तरफ गरीबों को रोजगार मुहैया करने वाली ‘मनरेगा’ योजना पर 48,000 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान है। गौरतलब है कि ‘मनरेगा’को दिया गया यह धन, अब तक आवंटित की गई सर्वाधिक धनराशि है। यही नहीं, किसी राजनैतिक दल को मात्र 2000 रुपये तक कैश लेने की पाबंदी लगाकर राजनैतिक व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाने की ऐतिहासिक पहल की गई है। यही नहीं, ही केन्द्र सरकार ने देश की कृषि अर्थव्यवस्था को और सशक्त बनाने के लिए बजट 2017-18 में अनेकों उपाय किए हैं, जैसेकि अधिक कृषि ऋण की व्यवस्था, सिंचाई परियोजनाओं के लिए अधिक आवंटन, फसल बीमा योजना इत्यादि।

खेती-किसानी पर सौगातों की बरसात

सरकार ने बजट 2017-18 में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता देते हुए कई बड़ी घोषणाएं की है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ी सहायता देते हुए सरकार ने कुल ग्रामीण आवंटन को बढ़ाकर 1 लाख 87,233 करोड़ रुपये कर दिया है, जो कि गत वर्ष से 24 प्रतिशत अधिक है।
किसानों को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 10 लाख करोड़ रुपये के कृषि कर्ज का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार ने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को कर्ज में प्राथमिकता दिए जाने का फैसला लिया है।
सरकार ने दृढ़ संकल्प किया है कि वह किसानों की कमाई को आने वाले 5 सालों में दुगुना करेगी। केबिनेट ने प्रधानमंत्री आवासीय योजना के अंतर्गत आने वाली क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम का कार्यकाल 15 साल से बढ़ाकर 20 वर्ष तक कर दिया है।
सरकार सोयल हेल्थ कार्ड मुहैया करवाने सहित कृषि विज्ञान केंद्र में मिनी लैब्स को स्थापित करवाएगी। फसल बीमा योजना को 40 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है। ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड की ओर से माइक्रो इरिगेशन फंड की स्थापना की जाएगी। इसके लिए कुल 5 हजार करोड़ रुपए का कोष निर्धारित किया गया है। नाबार्ड के अंतर्गत 8 हजार करोड़ रुपए की राशि का डेयरी प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर फंड स्थापित किया जाएगा।

भारत नेट परियोजना के लिए 10,000 करोड़ रुपए का आवंटन

भारत नेट परियोजना के लिए 10,000 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ और 1.5 लाख पंचायतों तक तीव्र गति वाले इंटरनेट को पहुंचाने का लक्ष्य कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति की आधारशिला रखेगा।
इलेक्ट्रानिक राष्ट्रीय कृषि बाजार ई.नाम को 250 से बढ़ाकर 585 एपीएमसी तक करना एक और स्वागतयोग्य कदम है। यह किसानों को अपने उत्पाद को बेचने का अधिक विकल्प प्रदान करेगा।
दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना के तहत गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए 4818 करोड़ का बजट तय किया गया है, ताकि मार्च 2018 तक सभी गावों में बिजली पहुंचाई जा सके।
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लिए बजट अनुमान 2016-17 में किए गए 15,000 करोड़ रुपए के आवंटन को बढ़ाकर 2017-18 में 23,000 करोड़ रुपए कर दिया है, ताकि जिससे बेघर लोगों और कच्चे घरों में रहने वाले लोगों के लिए 2019 तक एक करोड़ मकानों का निर्माण पूरा कर लिया जाए।

ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान

ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 19,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इससे ग्रामीण इलाकों में सड़कों का विस्तार किया जा सकेगा। सारे गांवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने के लिए सरकार की पहल में यह अहम भूमिका निभाएगा। इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2016-17 में 133 किलोमीटर सड़क का प्रतिदिन निर्माण किया गया, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह 73 किलोमीटर प्रतिदिन थी।

मनरेगा को रिकॉर्ड 48 हजार करोड़ रुपये का आवंटन

मनरेगा (महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना) के आवंटन में रिकॉर्ड 48,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं जो अब तक इस योजना के लिए किया गया सबसे अधिक आवंटन है। पिछले बजट में मोदी सरकार ने मनरेगा के लिए 38,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया था।
मनरेगा में इस साल भी 5 लाख तालाब का लक्ष्य रखा गया है। मनरेगा में अंतरिक्ष विज्ञान की मदद ली जाएगी, काम स्पेस टेक्नोलॉजी  से जांचा जाएगा। मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी बढ़कर 55 फीसदी हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता में 2014 में 42 फीसदी सुधार हुआ था जो अब बढ़कर 60 फीसदी हो चुका है।

कौशल विकास

ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास को बढ़ावा देने और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए आवंटनों को बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। इसके जरिये एक करोड़ गरीब परिवारों को इस बार गरीबी रेखा से बाहर किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) और क्रेडिट सहायता योजना के लिए आवंटन को बढ़ाकर तीन गुना से अधिक कर दिया है।

सस्ते आवास और रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने की घोषणा

वित्त मंत्री ने साल 2016-17 के वर्ष में घोषित ‘सस्ते आवास योजना’ में कुछ और महत्वपूर्ण बदलाव किए। अब वर्ष 2017-18 में 30 और 60 वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र की बजाए अब 30 और 60 वर्ग मीटर कार्पेट क्षेत्र की गणना की जाएगी। इस योजना के तहत कार्य प्रारंभ होने के बाद भवन निर्माण को पूरा करने की अवधि को मौजूदा तीन साल से बढ़ाकर 5 साल करने का भी प्रस्ताव किया गया है। सस्ते आवास अब आधारभूत संरचना का हिस्सा होंगे। इससे सस्ते आवास से जुड़ी परियोजनाओं को आधारभूत संरचना से संबद्ध लाभ प्राप्त हो सकेंगे। राष्ट्रीय आवासीय बैंक वर्ष 2017-18 में 20 हजार करोड़ रु. के व्यक्तिगत आवासीय ऋणों का पुनर्वित्त करेगा। विमुद्रीकरण से बैंकों में नकदी का प्रवाह बढ़ा है, जिसके चलते बैंकों ने आवासीय ऋण समेत अन्य ऋणों की ऋण दरें पहले ही कम कर दी हैं। यही नहीं, प्रधानमंत्री द्वारा आवासीय ऋण पर ब्याज में रियायत की घोषणा पहले ही की जा चुकी है।

एससी, एसटी और अल्पसंख्यकों के लिए आवंटन बढ़ा

बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अल्पसंख्यकों की कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन पर विशेष जोर दे रही है । पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों के लिए कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन पर विशेष जोर देते हुए केंद्रीय बजट में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आवंटन में 35 प्रतिशत से अधिक वृद्धि करने के साथ अनुसूचित जनजाति व अल्पसंख्यकों के आवंटन में भी वृद्धि का प्रस्ताव किया गया है।
बजट 2017-18 में अनुसूचित जातियों के लिए आवंटन 38,833 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 52,393 करोड़ रुपये किया गया है, जो लगभग 35 प्रतिशत अधिक है। अनुसूचित जनजातियों के लिए आवंटन बढ़ाकर 31,920 करोड़ रुपये और अल्पसंख्यक मामलों के लिए आवंटन बढ़ाकर 4,195 करोड़ रुपये किया गया है। सरकार नीति आयोग द्वारा इन क्षेत्रों में व्यय की परिणाम आधारित निगरानी की शुरुआत करेगी।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम की नई पेंशन योजना घोषित की गई है। इसमें हर साल 8 प्रतिशत का सुनिश्चित रिटर्न मिलेगा। किफायती घरों को इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया जाएगा। इससे बिल्डरों को सस्ते मकान बनाने में सरकारी मदद मिल पाएगी और निवेशकों को आकर्षित किया जा सकेगा।

लघु एवं मझोले उद्योगों को बढ़ावा

लघु एवं मझोले उद्योग के 50 करोड़ तक के टर्नओवर पर कॉर्पोरेट टैक्स 30 प्रतिशत से घटकर 25 प्रतिशत। इससे 6.67 लाख कंपनियों (96 प्रतिशत) को लाभ होगा। हालांकि, इससे सरकार का राजस्व सालाना 7,200 करोड़ रुपये कम होने का अनुमान है।

बजट की मुख्य बातें

1 करोड़ परिवारों को गरीबी से बाहर लाने का लक्ष्य
किसानों को लोन के लिए 10 लाख करोड़ रुपये का प्रबंध
नाबार्ड के कंप्यूटरीकरण को बढ़ावा, ताकि किसानों को कर्ज देने में आसानी हो
वर्ष 2017-18 में उर्वरक क्षेत्र के लिए दी गई सब्सिडी 70,000 करोड़ रुपए
फास्फोटिक और पोटाशिक पी एंड के खंड के लिए सब्सिडी को छह प्रतिशत बढ़ाया गया है
ग्रामीण क्षेत्रों- इन्फ्रास्ट्रक्चर में ज्यादा निवेश
आधारभूत ढ़ांचे, रोजगार और आवास पर जोर
किसान कर्ज पर ब्याज में कटौती की गई
किसानों को कर्ज देने वाली संस्था का कम्प्यूटरीकरण करना
युवाओं के लिए रोजगार के मौके उपलब्ध कराना
फसलों के बीमा के लिए किसानों को 9 हजार करोड़
माइक्रो सिंचाई फंड के लिए 5 हजार करोड़
डेयरी उद्योग के लिए नाबार्ड के जरिये 8 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम
मनरेगा के लिए 48000 करोड़ रुपये का बजट (मनरेगा के लिए अब तक का सबसे बड़ा प्रावधान)
मनरेगा में इस साल 5 लाख तालाब बनाने का लक्ष्य
एक करोड़ परिवारों के लिए मिशन अंत्योदय
नार्थ ईस्ट और जम्मू-कश्मीर के किसानों के लिए विशेष मदद
एक मई 2018 तक 100 फीसदी गांवों का विद्युतीकरण
कांट्रेक्ट खेती के लिए नया कानून
ग्रामीण इलाकों में अब 60 फीसदी सैनिटेशन प्रबंध
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 19,000 करोड़

काले धन पर शिकंजा

मोदी सरकार ने नोटबंदी के निर्णय से ही यह संदेश दिया था कि उसकी मंशा काले धन यानी कि ब्लैक मनी को शिकंजा कसने की है। इसके लिए कड़े निर्णयों के बाद इस वर्ष के बजट में भी यह संदेश दिया है कि ब्लैक मनी पर हर मोर्चे पर शिकंजा कसा जा रहा है। राजनीतिक दल अब नकद में 2000 रुपये से अधिक का चंदा नहीं ले सकेंगे। इसके लिए उन्हें चेक, इलेक्ट्रॉनिक भुगतान, आरबीआई द्वारा जारी होने जा रहे चुनावी बॉण्ड के जरिये चंदा लेना होगा। तीन लाख रुपये से अधिक राशि की निकासी बंद होगी और इसके लिए अलग से सरचार्ज लगेगा। डाकघरों से पासपोर्ट बनाने के लिए फ्रंट कार्यालय बनाए जाएंगे। जीपीओ से भी पासपोर्ट बनाए जा सकते हैं।
आईआरसीटीसी से रेल टिकट बुक कराने पर अब सेवा शुल्क नहीं देना होगा। रेल सुरक्षा फंड के तहत 5 साल के लिए एक लाख करोड़ का प्रावधान है। आईआरएफसी, इरकॉन और आईआरसीटीसी की शेयर मार्केट में लिस्टिंग की जाएगी। 2019 तक सभी ट्रेनों में बायो-टॉयलेट लगेंगे। 3500 किलोमीटर नई रेल लाइन बिछाई जाएगी।

आम लोगों को राहत

वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान सालाना 3 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को अब आयकर नहीं देना होगा। 3 लाख से 5 लाख रुपये सालाना आय पर 10 प्रतिशत टैक्स के बजाय अब 5 प्रतिशत टैक्स लगेगा। 5 से 10 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से ज्यादा की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा।

राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी

उच्च शिक्षा से जुड़ी सभी जांच परीक्षाएं राष्ट्रीय जांच एजेंसी आयोजित करेगी। आईआईटी जैसी परीक्षाएं अब सीबीएसई नहीं कराएगी। झारखंड और गुजरात में एम्स की स्थापना। ऑनलाइन 350 व्यावसायिक कोर्स कराने की व्यवस्था होगी। अच्छी क्वालिटी के शिक्षण संस्थान बनाए जाएंगे। भगोड़ों की संपत्ति जब्त करने के लिए ऐसा कानून लाया जाएगा कि विदेश में होने के बावजूद भारत में उनकी संपत्ति जब्त की जा सके। वरिष्ठ नागरिकों के लिए आधार से जुड़े हेल्थ कार्ड बनेंगे। कारोबार को आसान बनाने के लिए सरकार ने ब्रोकरेज कंपनियों, म्यूचुअल फंड, पोर्टफोलियो मैनेजर तथा डीमैट अकाउंट में पंजीकरण के लिए आधार कार्ड से जोड़ने का फैसला किया है।