कर चोरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में 184 प्रतिशत की वृद्धि

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आयकर विभाग काले धन की समस्या से निपटने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए विभाग ने कर चोरी के कई मामलों में कानून कार्रवाई शुरू की है। विभिन्न अपराधों के लिए कानूनी कार्रवाई की पहल की गई है, जिनमें जान बूझकर कर चोरी करना अथवा किसी प्रकार के कर का भुगतान नहीं करना; जान बूझकर आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करना; सत्यापन में फर्जी जानकारी और स्रोत पर काटे गए/संग्रहित कर को जमा नहीं करना अथवा इसमें अत्यधिक देरी करना
शामिल है।
वित्त वर्ष 2017-18 (नवम्बर 2017 को समाप्त अवधि तक) के दौरान विभाग ने 2225 मामलों में विभिन्न अपराधों के लिए कानूनी कार्रवाई करने संबंधी शिकायतें दाखिल की, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 784 शिकायतें दाखिल की गई थीं, जो 184 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाता है।

वर्तमान वित्त वर्ष (नवम्बर 2017 को समाप्त अवधि तक) के दौरान विभाग द्वारा संयोजित शिकायतों की संख्या 1052 थी, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह संख्या 575 थी। मामलों में 83 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। अपराधों का संयोजन तब किया जाता है जब बकायेदार अपना अपराध स्वीकार कर लेता है और निर्धारित शर्तों के अनुसार संयोजित शुल्क दे देता है।

कर चोरों के खिलाफ विभाग द्वारा निर्णायक और केन्द्रित कार्रवाई करने के कारण अदालतों द्वारा दोषी ठहराए गए चूककर्ताओं की संख्या में वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान तेजी से वृद्धि दर्ज की गई। वर्तमान वर्ष (नवम्बर 2017 को समाप्त अवधि तक) के दौरान विभिन्न अपराधों के लिए 48 व्यक्तियों को दोषी ठहराया गया, जबकि पिछले वर्ष इनकी संख्या 13 थी, इनकी संख्या में 269 प्रतिशत वृद्धि हुई।