भगोड़े आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने हेतु नौ सूत्री एजेंडा का सुझाव

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 13वें जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने हेतु 29 नवंबर से 01 दिसंबर तक ब्यूनस आयर्स (अर्जेन्टीना) की यात्रा की। शिखर सम्मेलन में भारत ने भगोड़े आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने और उनकी संपत्ति का पता लगाने के लिए जी-20 में नौ सूत्री एजेंडा का सुझाव दिया। शिखर सम्मेलन के इतर भारत-जापान-अमेरिका तथा भारत-रूस-चीन के मध्य ित्रपक्षीय बैठकें हुईं। इसके अलावा श्री मोदी ने न केवल चीन के राष्ट्रपति श्री शी चिनफिंग के साथ मुलाकात की, बल्कि फ्रांस के राष्ट्रपति श्री एमैनुअल मैक्रां से भी बातचीत की। साथ ही प्रधानमंत्री ने वहां पर आयोजित योग कार्यक्रम में भी भाग लिया।

ब्यूनस आयर्स में हालिया संपन्न हुए 13वें जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत ने 30 नवंबर को भगोड़े आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने और उनकी संपत्ति का पता लगाने के लिए जी-20 में नौ सूत्री एजेंडा का सुझाव दिया। इस एजेंडा में भगोड़े आर्थिक अपराधियों के खतरे से व्यापक और कुशलतापूर्वक निपटने के लिए जी-20 देशों में एक मजबूत और सक्रिय सहयोग, अपराध से प्राप्त आय की प्रभावी जब्ती, अपराधियों की जल्द से जल्द वापसी और अपराधिक आय को प्रभावी रूप से स्वदेश लौटाने जैसी कानूनी प्रक्रियाओं में सहयोग को बढ़ाना और सुव्यवस्थित करना, सभी भगोड़े आर्थिक अपराधियों का दूसरे देशों में प्रवेश और उनके सुरक्षित आश्रय को रोकने के लिए जी-20 देशों द्वारा एक कार्य प्रणाली बनाने के लिए संयुक्त प्रयास करना प्रमुख हैं।

इसके अलावा एजेंडा में कहा गया कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के सिद्धांतों (यूएनसीएसी), अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनओटीसी) के बारे में विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय सहयोग को पूरी तरह और प्रभावी रूप से लागू किया जाना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद में विकासशील देशों को और अधिक प्रतिनिधित्व दिए जाने पर जोर

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 30 नवंबर को जी 20 शिखर सम्मेलन के इतर ब्रिक्स नेताओ की बैठक के दौरान कहा कि हम ब्रिक्स में विश्व की 42% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। पिछले कुछ वर्षों से ब्रिक्स ग्लोबल ग्रोथ का इंजन बना हुआ है। हालांकि, अभी भी विश्व GDP (23%) और ट्रेड (16%) में हमारे हिस्से के बढ़ने की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। वह जनसंख्या के अनुरूप नहीं हैं।

श्री मोदी ने कहा कि वैश्वीकरण ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। हालांकि, वैश्वीकरण के फायदों के समान वितरण को लेकर हमारे सामने चुनौतियां हैं। मल्टीलेटरलिज्म और नियम-आधारित विश्व-व्यवस्था के सामने निरंतर कठिनाइयां आ रही हैं और प्रोटेक्शनिज़्म बढ़ रहा है। मुद्रा अवमूल्यन और तेल कीमतों में तेज बढ़ोत्तरी पिछले कुछ वर्षों में अर्जित लाभ को चुनौती दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स देश वैश्विक स्थिरता और विकास में योगदान देते रहे हैं। हमने विश्व की आर्थिक और राजनैतिक संरचना को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत-जापान-अमेरिका के बीच त्रिपक्षीय बैठक

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की 30 नवम्बर को अमेरिकी राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रंप और जापान के प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे के साथ अत्यंत मैत्रीपूर्ण वातावरण में बैठक हुई। बैठक में राष्ट्रपति श्री ट्रम्प और प्रधानमंत्री श्री आबे ने श्री मोदी द्वारा किए जा रहे सुधार और विकास कार्यों के लिए उनकी सराहना की तथा तीनों नेताओं ने भारत-प्रशांत पर विचारों का आदान-प्रदान किया। वे सभी सहमत थे कि क्षेत्र की शांति और समृद्धि के लिए एक मुक्त, खुली, अंतर्वेशी और नियम आधारित व्यवस्था अनिवार्य है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस संबंध में कुछ विचार प्रस्तुत किए कि किस प्रकार हमें भारत-प्रशांत की अवधारणा को आगे ले जाना चाहिए और किस प्रकार तीनों देश इस अवधारणा को प्रोत्साहित करने के लिए कार्य कर सकते हैं। श्री मोदी ने विशेष रूप से यह महसूस किया कि तीनों देशों के लिए यह आवश्यक है कि वे सभी हितधारकों तक पहुंचे, ताकि उन्हें भारत-प्रशांत कार्यनीति और इन देशों के लिए उसके लाभों के बारे में बताया जा सके।
नेतागण आसियान की केंद्रीय भूमिका पर भी सहमत हुए तथा सामुद्रिक और संयोजन के मुद्दों पर कार्य करने और इस संबंध मे प्रयासों को अधिक सक्रिय बनाने पर भी सहमत हुए। सभी तीनों नेताओं ने यह महसूस किया कि ऐसी बैठकें उपयोगी हैं और आने वाली जी20 बैठकों के दौरान भी इन्हें जारी रखा जाना चाहिए। जापान-अमेरिका-भारत त्रिपक्षीय बैठक का परिणाम बहुत ही प्रोत्साहनजनक रहा है और अन्य दोनों नेता भी इसके परिणाम से अत्यंत प्रसन्न थे।

रूस-भारत-चीन के मध्य त्रिपक्षीय बैठक

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति श्री व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति श्री शी जिनपिंग ने 30 नवम्बर को ब्यूनस आयर्स में एक त्रिपक्षीय बैठक का आयोजन किया। तीनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय मंचों में आपसी सहयोग को बढ़ाने और तीनों देशों के बीच बेहतर बातचीत को बढ़ावा देने के बारे में बातचीत की। उन्होंने ऐसे बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार करने और मजबूती प्रदान करने के महत्व पर सहमति व्यक्त की, जिनसे संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ), अच्छी तरह से स्थापित संस्थानों के साथ-साथ नये वैश्विक वित्तीय संस्थानों सहित पूरा विश्व लाभान्वित हुआ है। उन्होंने बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली और वैश्विक विकास तथा समृद्धि के लिए खुली वैश्विक अर्थव्यवस्था के लाभों को रेखांकित किया।

तीनों नेताओं ने ब्रिक्स, एससीओ और ईएएस तंत्रों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता तथा सहयोग को मजबूत करने के लिए सभी स्तरों पर नियमित विचार-विमर्श करने के बारे में सहमति व्यक्त की, ताकि आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटा जा सके और सभी मतभेदों का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान करने के काम को प्रोत्साहित किया जा सके। तीनों नेताओं ने आरआईसी प्रारूप में सहयोग के महत्व को स्वीकार करते हुए बहुपक्षीय अवसरों पर ऐसी त्रिपक्षीय बैठकों को आगे भी आयोजित करने पर सहमति दी।

भारत-चीन संबंधों में स्पष्ट सुधार हुआ है: नरेन्द्र मोदी और शी जिनपिंग

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति श्री शी जिनपिंग ने 30 नवंबर को जी20 शिखर सम्मेलन से इतर आपसी भेंट के दौरान विविध क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की और कहा कि वुहान सम्मेलन के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में स्पष्ट सुधार हुआ है। इस साल अपनी चौथी मुलाकात में श्री मोदी और श्री शी ने दोनों मुल्कों के बीच आपसी विश्वास एवं मित्रता को और आगे बढ़ाने के संयुक्त प्रयासों पर भी चर्चा की।

श्री मोदी और श्री शी अप्रैल में चीन के वुहान के अनौपचारिक सम्मेलन के बाद दो बार मुलाकात कर चुके हैं। दोनों जून में चीन के चिंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में मिले थे और फिर जुलाई में दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में उनकी मुलाकात हुई थी।
वुहान सम्मेलन को भारत चीन संबंधों में मील का पत्थर बताते हुए श्री मोदी ने श्री शी से कहा कि उन्हें अगले साल एक अनौपचारिक बैठक में उनकी मेजबानी करने की आशा हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ऐसी पहलें (संबंधों में) गति बनाए रखने में मददगार साबित होती हैं।” उन्होंने कहा कि चिंगदाओ और जोहान्सबर्ग में दो समीक्षा बैठकें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों ने पिछले एक साल में काफी उन्नति की है। श्री मोदी ने कहा, ‘‘इस मुलाकात के लिए वक्त निकालने को लेकर मैं आपको (राष्ट्रपति शी को) हार्दिक धन्यवाद देता हूं।”

श्री मोदी ने बाद में ट्वीट किया, ‘‘अर्जेंटीना में जी-20 सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ शानदार मुलाकात हुई। कई द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत हुई। हमारी लगातार बातचीत ने भारत और चीन के बीच संबंधों को काफी मजबूत किया है।”

भारत-फ्रांस के बीच रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करने पर जोर

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 1 दिसंबर को जी-20 शिखर बैठक के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति श्री एमैनुअल मैक्रां से अलग से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने व्यापार और दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क बढ़ाकर द्विपक्षीय रणनीतिक भागीदारी को और गहरा करने पर विचार विमर्श किया।

इसके अलावा दोनों नेताओं ने आतंकवाद के वित्तपोषण पर साझा मोर्चा, समुद्र क्षेत्र की सुरक्षा, अक्षय ऊर्जा और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार के मुद्दों पर भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। बैठक के बाद श्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘राष्ट्रपति मैक्रां के साथ शानदार बैठक हुई। हमारे बीच भारत-फ्रांस की रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करने और उसके विविधीकरण के जुड़े व्यापक महत्व के मुद्दों पर विचार विमर्श हुआ।”

भारत- अर्जेंटीना में एक-दूसरे की संस्कृतियों के प्रति आदर भाव है: नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 29 नवम्बर को अर्जेंटीना में योग कार्यक्रम में कहा कि भारत और अर्जन्टीना के बीच 15 हजार किलोमीटर की दूरी है। हम दोनों देशों के बीच दो विशाल महासागर और महाद्वीप हैं। दोनों देशों के समय में 8 घंटे और तीस मिनट का अंतर है। यानी अभी आपकी शाम है, लेकिन भारत में लोग ब्रह्म मुहूर्त की साधना शुरू करने वाले हैं, फिर भी आपके योगाभ्यास ने दिखा दिया है कि भारत और अर्जेंटीना में एक-दूसरे की संस्कृतियों के प्रति आदर भाव के सामने हजारों किलोमीटर की दूरी सिर्फ एक आंकड़ा मात्र है।

श्री मोदी ने कहा कि योग का अर्थ ही है जोड़ना। यह हमें वैलनेस से जोड़ता है। हैपीनेस से जोड़ता है और आज भारत और अर्जेंटीना के बीच हजारों किलोमीटर की दूरी को योग पाट रहा है और हमारे दोनों देशों को, हमारे लोगों को जोड़ रहा है। हमें एक आत्मीय संबंध से बांध रहा है।