भारत-जापान के बीच 75 अरब डॉलर की मुद्रा अदला-बदली पर समझौता

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                                    हाई स्पीड रेल परियोजना समेत 6 समझौतों पर हस्ताक्षर

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वार्षिक शिखर वार्ता के लिए 28-29 अक्टूबर को जापान की यात्रा की। प्रधानमंत्री के रूप में सितंबर, 2014 में जापान की अपनी पहली यात्रा के बाद से श्री मोदी की जापान के प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे से यह 12वीं मुलाकात थी।

इस यात्रा के दौरान भारत और जापान के बीच 75 अरब डॉलर की मुद्रा अदला-बदली (करैंसी स्वैप) समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते की मदद से विदेशी मुद्रा विनिमय के मामले में बड़ी राहत मिलेगी और यह समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को और प्रगाढ़ करेगा। साथ ही, भारत और जापान ने एक हाई स्पीड रेल परियोजना और नौसेना सहयोग समेत छह समझौतों पर हस्ताक्षर किये तथा टू प्लस टू वार्ता करने पर सहमति जतायी।

शिखर वार्ता में दोनों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र के हालात समेत विभिन्न द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों में विकास की समीक्षा की और सहयोग के नये क्षेत्रों पर भी बात की। उन्होंने भारत-प्रशांत में शांति और समृद्धि के साझा दृष्टिकोण पर भी ध्यान केंद्रित किया, जहां चीन अपनी शक्ति दिखा रहा है। दोनों नेताओं ने सहमति जतायी कि भारत और जापान को एक व्यवस्था आधारित और समावेशी वैश्विक व्यवस्था के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने दोनों देशों के विदेश मंत्रियों तथा रक्षा मंत्रियों के बीच टू प्लस टू वार्ता करने पर सहमति जतायी।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 29 अक्टूबर को प्रेस वक्तव्य में कहा कि जापान पूरब और पश्चिम की सभ्यताओं के सर्वश्रेष्ठ पहलुओं का संगम है। यह वही महान देश है जिसने सिखाया है कि मानव जाति के विकास का रास्ता पुरातन और नूतन के बीच टकराव का नहीं, बल्कि उनके सह-अस्तित्व और सृजन का है। ‘नये का स्वागत और पुराने का सम्मान’, यह जापान की विश्व सभ्यता को प्रमुख देन है और साथ ही भारत और जापान की एक गहरी समानता भी।

श्री मोदी ने कहा कि जापान और भारत के सम्बन्धों को हिन्द और प्रशांत महासागरों सी गहराई और विस्तार प्राप्त हैं। ये सम्बन्ध लोकतांत्रिक मूल्यों और स्वतंत्रताओं के प्रति और रूल ऑफ़ लॉ के प्रति साझा प्रतिबद्धता पर आधारित हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे बीच पूरी सहमति है कि हम अपने सहयोग को डिजिटल पार्टनरशिप से साइबर स्पेस तक, स्वास्थ्य से रक्षा-सुरक्षा तक और सागर से अंतरिक्ष तक, हर क्षेत्र में अबाध गति देंगे। मुझे बताया गया है कि आज जापान के निवेशकों ने भारत में 2.5 बिलियन डॉलर के नए निवेश की घोषणा की है। इससे भारत में लगभग 30 हज़ार लोगों को रोज़गार मिलेगा। इसी यात्रा के दौरान द्विपक्षीय करेन्सी स्वाप व्यवस्था पर हुई सहमति में हमारा आपसी विश्वास और हमारी आर्थिक साझेदारी की निरन्तर बढ़ती हुई नज़दीकी साफ़ तौर पर झलकते हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 21वीं सदी एशिया की सदी है, लेकिन इसके रूप-स्वरुप पर प्रश्न हैं। किसका फायदा होगा, क्या करना होगा, ऐसे बहुत से सवाल हैं। लेकिन एक बात साफ है। भारत और जापान के सहयोग के बिना 21वीं सदी एशिया की सदी नहीं हो सकती। आबे सान और मैं हमारे विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच 2+2 डायलॉग के लिए सहमत हुए हैं। इसका उद्देश्य विश्व में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है। इंटरनेशनल सोलर अलायन्स में जापान का प्रवेश विश्व के हित में ऐसे सहयोग का एक और उज्जवल उदाहरण बनेगा।

श्री मोदी ने कहा कि अगले वर्ष जापान ओसाका में G-20 समिट की मेज़बानी करेगा। अगले वर्ष रगबी वर्ल्ड कप भी जापान में आयोजित किया जायेगा। पहली बार यह टूर्नामेंट एशिया में आयोजित होगा और फिर 2020 में ओलम्पिक्स का आयोजन टोक्यो में होगा। इन सभी महत्वपूर्ण वैश्विक इवेंट्स के लिए, मेरी ओर से और समस्त भारत की ओर से हमारी हार्दिक शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-जापान के संबंधों में प्रगति जापान की काईज़न दर्शन की तरह असीम है। प्रधानमंत्री आबे के साथ मिलकर इन संबंधों को और अधिक मज़बूत बनाने के लिए मैं प्रतिबद्ध हूं।

प्रधानमंत्री द्वारा टोक्यो में ‘मेक इन इंडिया’ सेमिनार का संबोधन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 29 अक्टूबर को टोक्यो में ‘मेक इन इंडिया: अफ्रीका में भारत-जापान साझेदारी और डिजिटल भागीदारी’ पर एक संगोष्ठी को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने विस्तार से बताया कि केन्द्र सरकार ने ‘कारोबार में सुगमता बढ़ाने’ के साथ-साथ ‘देश के नागरिकों के लिए जीवन यापन में सहूलियत’ सुनिश्चित करने पर किस तरह से अपना ध्यान केन्द्रित कर रखा है।
उन्होंने भारत में बड़ी संख्या में जापानी कंपनियों की मौजूदगी पर खुशी जताई। भारत में कई महत्वपूर्ण औद्योगिक परियोजनाओं में जापान के एक साझेदार होने की बात को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने पिछले चार वर्षों के दौरान आर्थिक मोर्चे पर भारत के शानदार प्रदर्शन के बारे में विस्तार से बताया।

श्री मोदी ने कहा कि भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए अन्य प्रमुख बदलावों का उल्लेख किया, जिनमें अनौपचारिक अर्थव्यवस्था से औपचारिक अर्थव्यवस्था की ओर उन्मुख होना, डिजिटल लेन-देन, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) इत्यादि भी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, मध्यम वर्ग के बढ़ते आकार और विशाल युवा आबादी की बदौलत जापानी निवेशकों के लिए असंख्य नए अवसर सृजित हुए हैं। इस संदर्भ में उन्होंने किफायती विनिर्माण, आईटी उद्योग, इलेक्ट्रिक वाहनों से आवाजाही (मोबिलिटी), इत्यादि सेक्टरों का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने भारत और जापान के बीच साझा मूल्यों पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों ही देश भारत-प्रशांत, दक्षिण एशिया और अफ्रीका सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में मजबूत विकास साझेदारियां विकसित किए जाने के बारे में आशान्वित हैं।

भारतीय समुदाय जापान में भारत के प्रतिनिधि हैं: नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 29 अक्टूबर को जापान की राजधानी टोक्यो में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारत और जापान के बीच विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी का विशेष रूप से उल्लेख किया और पूरी गर्मजोशी के साथ स्वागत किए जाने के लिए जापान के प्रधानमंत्री शिन्जो आबे और जापान के लोगों का आभार जताया। श्री मोदी ने भारतीय समुदाय को जापान में भारत का प्रतिनिधि बताते हुए उनसे भारत में निवेश करने और अपनी मातृभूमि के साथ सांस्कृतिक संबंध बनाए रखने का आग्रह किया।

पिछले चार वर्षों की अपनी सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत लगातार वैश्विक अनुप्रयोगों की भावना के साथ काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशन का भारत का मॉडल, खासकर,जन धन योजना, मोबाइल, आधार, ट्रिनिटी और डिजिटल लेनदेन मॉडल की आज पूरी दुनिया में सराहना की जा रही है।

श्री मोदी ने इस अवसर पर भारत के बेहद सफल अंतरिक्ष कार्यक्रमों और मजबूत डिजिटल आधारभूत संरचना का भी विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम के जरिए आज भारत, दुनिया में इलेक्ट्रानिक और ऑटोमोबाइल विनिमार्ण के बड़े केन्द्र के रूप में उभर रहा है।

प्रधानमंत्री ने न्यू इंडिया के निर्माण के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने में जापान से मिल रहे सहयोग का उल्लेख करते हुए भारतीय समुदाय से भारत और जापान के बीच संबंधों को लगातार सुधारने के लिए प्रयासरत रहने का आग्रह किया।