अनिल माधव दवे नहीं रहे

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केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अनिल माधव दवे का 18 मई को 61 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। श्री दवे का 19 मई को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में नर्मदा और तवा नदी के संगम बांद्राभान में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। श्री दवे के अंतिम संस्कार में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री नंदकुमार सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती, श्री नरेंद्र सिंह तोमर, डॉ. हर्षवर्धन, श्री अनंत कुमार, श्री कैलाश विजयवर्गीय समेत बड़ी तादाद में भाजपा नेता मौजूद थे।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पर्यावरण मंत्री श्री अनिल माधव दवे के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा, “मेरे मित्र और एक अत्यधिक सम्मानित सहयोगी पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे जी के आकस्मिक निधन से स्तब्ध हूं। मेरी संवेदनाएं। अनिल माधव दवे जी को एक समर्पित लोक सेवक के तौर पर याद किया जाएगा। वह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काफी जुझारू थे। मैं कल शाम को अनिल दवे जी के साथ था, उनके साथ नीतिगत मुद्दों पर चर्चा कर रहा था। उनका निधन मेरा निजी नुकसान है।”

जीवन परिचय

श्री अनिल माधव दवे का जन्म 6 जुलाई 1956 को उज्जैन के बड़नगर में हुआ था। इंदौर के गुजराती कॉलेज से एम. कॉम करने वाले श्री दवे शुरुआत से ही आरएसएस से जुड़े हुए थे और नर्मदा नदी बचाओ अभियान में काम कर रहे थे। वह राज्य सभा में साल 2009 से मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। जल संसाधन समिति और सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार समिति में भी थे। ग्लोबल वार्मिंग पर संसदीय समिति के भी वह सदस्य रहे।
श्री दवे विद्वान, गैर पेशेवर पायलट, फोटोग्राफर और पढ़ने में रुचि रखने वाले सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्होंने शिवाजी के सुशासन पर शिवाजी और सूरज नामक पुस्तक लिखी। इसका प्राक्कथन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लिखा है। उन्होंने मासिक पत्रिका चरैवेति तथा जन अभियान परिषद पत्रिका का संपादन किया। श्री दवे ने एक बार नर्मदा किनारे 18 घंटे तक विमान उड़ाकर अपनी परिक्रमा पूरी की। उन्होंने 19 दिनों में नर्मदा नदी में 1312 किलोमीटर नौका यात्रा की।

वे एक कर्तव्यनिष्ठ, दूरदर्शी एवं ईमानदार राजनेता एवं समाजसेवी थे। उन्होंने मानवता तथा राष्ट्र के लिए ऐसे अनेक उत्कृष्ट कार्यों को किया, जो भारतीय समाज के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा। स्वदेशी आंदोलन में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई। देश के प्राकृतिक संसाधनों, जो मानव जाति एवं अन्य प्राणियों की जीवनरेखा हैं, के प्रति उन्होंने अपार चिंता की। नर्मदा नदी की पूरी लंबाई की उन्होंने पैदल यात्रा की तथा तकनीक के माध्यम से उनकी समस्याओं के समाधान के प्रयास किये।

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह द्वारा जारी

                                                 शोक-संदेश

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, संवेदनशील पर्यावरणविद एवं केन्द्रीय पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अनिल माधव दवे जी के आकस्मिक निधन का समाचार सुनकर मैं स्तब्ध और अत्यंत दुखी हूं। वे एक समर्पित जनसेवक, प्रतिबद्ध कार्यकर्ता एवं उत्कृष्ट राजनेता थे।
बहुआयामी प्रतिभा के धनी श्री दवे लगातार दो बार मध्य प्रदेश से राज्य सभा के सांसद रहे। वे पिछले साल 5 जुलाई, 2016 को ही मोदी सरकार में केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने थे। वे ग्लोबल वॉर्मिंग, क्लाइमेट चेंज पर पार्लियामेंट्री फ़ोरम के भी सदस्य थे। इसके अतिरिक्त वे जल संसाधन समेत कई समितियों के भी सदस्य रहे। नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए श्री दवे ने काफी महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने पर्यावरण को बचाने के लिए कई किताबें भी लिखी हैं। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उनका योगदान काफी सराहनीय रहा है। सौम्य व्यक्तित्त्व, कुशल सांगठनिक क्षमता, ओजस्वी वक्ता और जनता से जुड़ी समस्याओं को उठाने वाले एक जुझारू नेता के रूप में श्री दवे सदैव याद किये जायेंगें। उनके निधन से देश ने राजनैतिक एवं सामाजिक जीवन के एक महत्त्वपूर्ण कार्यकर्ता एवं कुशल मार्गदर्शक को खो दिया है। श्री दवे का निधन भारतीय जनता पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

दुःख की इस घड़ी में मैं स्वयं एवं पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। साथ ही भगवान से दिवंगत आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिवार को धैर्य और साहस प्रदान करने की प्रार्थना करते हुए अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।