माध्यमिक और उच्च शिक्षा के लिए अव्यपगत पूल के निर्माण की मंजूरी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 16 अगस्त को ‘माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा कोष (मस्क) के रूप में माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा के लिए सार्वजनिक खाते में अव्यपगत (Non-lapsable) पूल के निर्माण को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसमें ‘माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा उपकर’ की सभी राशियों को जमा किया जाएगा।
मस्क से मिलने वाली समस्त निधियों का प्रयोग पूरे देश में माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा के छात्रों के लाभार्थ योजनाओं में इस्तेमाल किया जाएगा। उपरोक्त निधि के संबंध में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निम्नलिखित के लिए भी अपनी मंजूरी प्रदान कर दी।

-मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा उपरोक्त पूल का प्रशासन और रख-रखाव उपकर से प्राप्त राशि को माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा की चल रही योजनाओं में इस्तेमाल किया जाएगा।

-तथापि मानव संसाधन विकास मंत्रालय निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आवश्यकता पर आधारित माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा की किसी कार्यक्रम/योजना के लिए निधि का आवंटन कर सकता है।

-किसी वित्तीय वर्ष में स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग तथा उच्चतर शिक्षा विभाग की चल रही योजनाओं पर व्यय प्रारंभ में सकल बजटीय सहायता (जीबीएस) से सम्पन्न किया जाएगा और जीबीएस की राशि का इस्तेमाल हो जाने के उपरांत ही मस्क से खर्चों का वित्तपोषण किया जाएगा।

-मस्क का रख-रखाव भारत के लोक खाते के अंग के रूप में गैर-ब्याज आधारित प्रारक्षित निधि के रूप में किया जाएगा। इसका प्रमुख लाभ जहां एक ओर वित्तीय वर्ष के अंत में किसी राशि का परिसमापन न होना सुनिश्चित होगा, वहीं माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा के लिए पर्याप्त संसाधनों के उपलब्धता के माध्यम से उनकी पहुंच बढ़ सकेगी।

विशेषताएं

प्रस्तावित गैर समापनीय निधि में जमा राशि माध्यमिक शिक्षा एवं उच्चतर शिक्षा के विस्तार के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।
माध्यमिक शिक्षा के लिए: वर्तमान में मानव संसाधन मंत्रालय का विचार उपकर से प्राप्त राशि को निम्नलिखित के लिए माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में इस्तेमाल करने का है।

निम्नलिखित सहित चल रही राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान योजना तथा अन्य अनुमोदित कार्यक्रम:

राष्ट्रीय संसाधन-सह-मेरिट छात्रवृत्ति योजना

माध्यमिक शिक्षा के लिए लड़कियों के लिए राष्ट्रीय योजना

उच्चतर शिक्षा के लिए: संक्षिप्त राशि निम्नानुसार खर्च की जाएगी:-

-ब्याज सब्सिडी और गारंटी निधियों में योगदान, कॉलेज विद्यालयों और विश्वविद्यालय छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की चल रही योजनाएं

-राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान

-छात्रवृत्ति (संस्थाओं को प्रखंड अनुदान से) और शिक्षकों और प्रशिक्षण संबंधी राष्ट्रीय मिशन

-तथापि मानव संसाधन विकास मंत्रालय आवश्यकता के आधार पर तथा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा के किसी कार्यक्रम/योजना हेतु निधियों का आवंटन कर सकता है।

-माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा के लिए उपकर लगाने का प्रयोजन माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराना है। इस निधि को प्रारंभिक शिक्षा कोष (पीएसके) के अंतर्गत वर्तमान व्यवस्था के अनुसार संचालित किया जाएगा, जहां इस उपकर की शेष राशि को स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) और मिड डे मील (एमडीएम) के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

पृष्ठभूमि

10वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान वर्तमान बजटीय संसाधनों को बढ़ाने के लिए मूलभूत शिक्षा/प्रारंभिक शिक्षा के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने की दृष्टिगत 01.04.2004 की प्रभावी तिथि से सभी केंद्रीय करों पर दो प्रतिशत का शिक्षा शुल्क लगाया गया था। माध्यमिक शिक्षा तथा पहुंच को सार्वभौमिक बनाने में केंद्र सरकार के इस प्रयास को ऐसा ही बढ़ावा देने की आवश्यकता महसूस की गई। अतएव वित्त मंत्री ने वर्ष 2007 के अपने बजट भाषण में माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा के लिए केंद्रीय करों पर एक प्रतिशत का एक और अतिरिक्त उपकर लगाने का प्रयास किया था।

जुलाई 2010 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा एक कैबिनेट नोट का प्रारूप परिचालित किया गया था, जिसमें माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा उपकर की शेष राशि की प्राप्ति के रूप में ‘माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा कोष’ (मस्क) नामक सार्वजनिक खाते में गैर परिसमापनीय निधि के सृजन का प्रस्ताव किया गया था। संबंधित मंत्रालयों अर्थात् तत्कालीन योजना आयोग, पूर्वोत्तर क्षेत्र मंत्रालय, आर्थिक मामले विभाग, वित्त मंत्रालय से इस संबंध में विचार मांगे गए थे।