अटल पेंशन योजना 62 लाख नामांकन के साथ प्रगति की ओर अग्रसर

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एक राष्ट्र-एक पेंशन के अंतर्गत कुल 3.07 लाख अटल पेंशन योजना (एपीवाई) खाते हो गए हैं। वित्त मंत्रालय द्वारा 30 अगस्त को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार अटल पेंशन योजना के तहत बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले देश के सबसे बड़े बैंकों में से एक भारतीय स्टेट बैंक शामिल है, जिसमें शानदार 51 हजार एपीवाई खाते हैं। अन्य प्रमुख बैंक जैसे केनरा बैंक में 32,306 और आंध्रा बैंक में 29,057 एपीवाई खाते हैं, जबकि अन्य निजी श्रेणी के बैंकों में कर्नाटक बैंक में 2,641 एपीवाई खाते हैं। आरआरबी श्रेणी में इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक में 28,609 खाते हैं। इसके बाद मध्य बिहार ग्रामीण बैंक में 5,056, बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक में 3,013, काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक में 2,847 और पंजाब ग्रामीण बैंक में 2,194 एपीवाई खाते हैं।

बचत बैंक खातों सहित विभिन्न वित्तीय सुविधाओं पर ब्याज दर कम हो रहा है, ऐसे समय में पेंशन योजना के रूप में अटल पेंशन योजना ग्राहकों के लिए गांरटीड 8 प्रतिशत दर से रिटर्न सुनिश्चित करता है और इस योजना में 20 से 42 वर्ष के लिए निवेश करने पर परिपक्वता के समय रिटर्न दर आठ प्रतिशत से अधिक रहने पर उच्च आय का अवसर भी उपलब्ध होता है। नामांकन बढ़ने से संपत्तियों का वित्तीयकरण होता है और लोग पेंशन सुविधाओं की ओर आकर्षित होते हैं, जो भारत सरकार ग्राहक, उसके जीवन साथी और ग्राहक द्वारा नामित व्यक्ति को निश्चित रिटर्न गारंटी देती है।

पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के सहयोग से वित्तीय सेवा विभाग ने कई एपीवाई अभियान आयोजित किए हैं, जिनके माध्यम से एपीवाई सेवा प्रदाता बैंक और डाक विभाग किसी भी पेंशन योजना के तहत कवर नहीं किए गए लोगों के पास जाकर एपीवाई योजना की विशेषताओं और लाभों की जानकारी देते हैं तथा इस योजना में नामांकन करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हैं।

पीएफआरडीए ने एपीवाई सेवा प्रदाता बैंकों के साथ मिलकर देश भर में 2 से 19 अगस्त, 2017 तक राष्ट्रीय स्तर पर पेंशन जागरूकता अभियान ‘एक राष्ट्र-एक पेंशन’ आयोजित किया था। योजना शुरू होने के दो वर्ष बाद अब तक 62 लाख ग्राहक अटल पेंशन योजना के सदस्य बने हैं। पीएफआरडीए का उद्देश्य किसी भी पेंशन योजना के अंतर्गत कवर नहीं किए गए अधिकतम लोगों को एपीवाई योजना के तहत कवर करना है, ताकि भारत एक राष्ट्र के रूप में पेंशन रहित से पेंशन भोगी समाज बने और नागरिक अपनी वृद्धावस्था में सम्मानपूर्वक जीवन जी सके।