राजनीति में शुचिता और सुशासन के सूत्रधार थे अटलजी

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अटलजी जयंती(25 दिसंबर) पर विशेष

तरुण चुघ
राष्ट्रीय महामंत्री, भाजपा

व्यक्तिगत जीवन में ईमानदारी, व्यवहार में शालीनता, स्वभाव में सादगी और सौम्यता का संगम यदि कहीं एक ही व्यक्ति में खोजना हो, तो वह ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व में मिलता है। राजनीति में शुचिता, सरकार में सुशासन और संसद में सर्वमान्य सांसद के साथ ही संवेदनशील साहित्यकार, महान राष्ट्रभक्त और अजातशत्रु पूर्व प्रधानमन्त्री ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी जी का व्यक्तित्व हिमालय के समान विराट था। अटल जी ने देश के लोगों के जीवन में अपने विचारों का जो प्रभाव डाला, वह सदा-सर्वदा स्मरणीय बना रहेगा। यशस्वी प्रधानमंत्री के रूप में देश के आर्थिक

भारत की राजनीति में मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने वाले राजनेता और प्रधानमंत्री के रूप में किये कार्यों की बदौलत ही अटल बिहारी वाजपेयी को भारत के विकास का दूरद्रष्टा कहा गया है। बात चाहे समर्थकों में समर्पण भाव पैदा करने का हो, चाहे विरोधियों का दिल जीतने की, बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी अटल बिहारी वाजपेयी दोनों में अव्वल थे। उनका सार्वजनिक जीवन बहुत ही बेदाग और साफ सुथरा था

विकास और लोगों के सामाजिक कल्याण के लिए उनका किया हुआ योगदान 21वीं सदी के भारत को राह दिखाने वाला रहा। अपने अटल कृतित्व और विशाल व्यक्तित्व के साथ किया गया महान कार्य हमेशा राष्ट्र के बीच अमर रहेगा। ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी सच्चे मायने में भारत के रत्न थे। उन्होंने जमीन से जुड़े रहकर राजनीति की और लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी। आज उनके विचार और देश के विकास की प्रवाह को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं।

भारत की राजनीति में मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने वाले राजनेता और प्रधानमंत्री के रूप में किये कार्यों की बदौलत ही अटल बिहारी वाजपेयी को भारत के विकास का दूरद्रष्टा कहा गया है। बात चाहे समर्थकों में समर्पण भाव पैदा करने का हो, चाहे विरोधियों का दिल जीतने की, बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी अटल बिहारी वाजपेयी दोनों में अव्वल थे। उनका सार्वजनिक जीवन बहुत ही बेदाग और साफ सुथरा था। इसी छवि और साफ सुथरे सार्वजनिक जीवन की वजह से अटल बिहारी वाजपेयी जी का हर कोई सम्मान करता था। तभी तो उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक थे। अटल जी के लिए राष्ट्रहित सदा सर्वोपरि रहा। अटल बिहारी वाजपेयी जी जब भी संसद में अपनी बात रखते थे, तो उनके विरोधी भी उनकी तर्कपूर्ण वाणी के आगे कुछ नहीं बोल पाता थे। वहीं एक कवि के रूप में अपनी कविताओं के जरिए अटल जी हमेशा सामाजिक बुराइयों पर प्रहार करते रहे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय करने वाले ‘युग पुरुष’ अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म ग्वालियर में बड़े दिन के अवसर पर 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी जी की बीए की शिक्षा ग्वालियर के वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज के नाम से जाने वाले विक्टोरिया कालेज में हुई। ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज से स्नातक करने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डीएवी महाविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर उपाधि भी प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। एक प्रखर वक्ता और कवि के गुण उन्हें उनके पिता से मिले। छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने। अपने जीवन में पत्रकार के रूप में भी काम किया और लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। अटल बिहारी वाजपेयी जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने लंबे समय तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे प्रखर राष्ट्रवादी नेताओं के साथ काम किया।

अटल बिहारी वाजपेयी सन् 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 1957 के लोकसभा चुनावों में पहली बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे। 1957 से 1977 तक जनसंघ संसदीय दल के नेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने ओजस्वी भाषणों से प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू तक को प्रभावित किया।

अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार था। 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था। 1977 के लोकसभा चुनाव के बाद देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसमें

आज उनकी जयंती पर उनकी पंक्तियों को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं—

“बढ़ते जाते देखो हम बढ़ते ही जाते॥
उज्ज्वलतर उज्ज्वलतम होती है
महासंगठन की ज्वाला
प्रतिपल बढ़ती ही जाती है
चंडी के मुंडों की माला
यह नागपुर से लगी आग
ज्योतित भारत मां का सुहाग
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
दिश दिश गूंजा संगठन राग
केशव के जीवन का पराग
अंतस्थल की अवरुद्ध आग
भगवा ध्वज का संदेश त्याग
वन विजनकान्त नगरीय शान्त
पंजाब सिंधु संयुक्त प्रांत
केरल कर्नाटक और बिहार
कर पार चला संगठन राग
हिन्दू हिन्दू मिलते जाते
देखो हम बढ़ते ही जाते॥ “

अटलजी को विदेश मंत्री बनाया गया। बतौर विदेशमंत्री उन्होंने पूरे विश्व में भारत की छवि बनाई। विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले देश के पहले वक्ता बने।

1980 में जनता पार्टी के टूट जाने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने सहयोगी नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की और वे पार्टी के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1996 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, तो अटलजी सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने। दुर्भाग्यवश यह सरकार 13 दिन तक ही चली। 1998 में भाजपा फिर दूसरी बार सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन 13 महीने तक ही यह सरकार चल सकी। इस 13 महीने के छोटे से कार्यकाल में ही अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया और पोखरण में परमाणु परीक्षण कर सम्पूर्ण विश्व को भारत की ताकत का एहसास कराया। अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए। उसके बावजूद भारत अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हर तरह की चुनौतियों से सफलतापूर्वक निबटने में सफल रहा।

कारगिल युद्ध में जीत के बाद हुए 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और उनके नेतृत्व में 13 दलों से गठबंधन करके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के रूप में सरकार बनायी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अपना पूरा पांच साल का कार्यकाल पूर्ण किया। इस कार्यकाल में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए।
अटलजी की सरकार ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की और दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया। अटल जी को देश-विदेश में अब तक अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2015 में भारत के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके घर जाकर सम्मानित किया। अटल जी को देश-विदेश में अब तक अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।