बाबा साहेब ने हाशिये पर खड़े करोड़ों लोगों को सशक्त बनाया : नरेन्द्र मोदी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 29 अप्रैल को ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 43वीं कड़ी में कहा कि बुद्ध पूर्णिमा प्रत्येक भारतीय के लिए विशेष दिवस है। हमें गर्व होना चाहिए कि भारत करुणा, सेवा और त्याग की शक्ति दिखाने वाले महामानव भगवान बुद्ध की धरती है, जिन्होंने विश्वभर में लाखों लोगों का मार्गदर्शन किया। यह बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध को स्मरण करते हुए उनके रास्ते पर चलने का प्रयास करने का, संकल्प करने का और चलने का हम सबके दायित्व को पुन:स्मरण कराता है।

श्री मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध समानता, शांति, सदभाव और भाईचारे की प्रेरणा शक्ति है। यह वैसे मानवीय मूल्य हैं, जिनकी आवश्यकता आज के विश्व में सर्वाधिक है। बाबा साहेब डॉ. आम्बेडकर जोर देकर कहते हैं कि उनकी सोशल फिलॉसोफी में भगवान बुद्ध की बड़ी प्रेरणा रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा साहेब ने संविधान के माध्यम से दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो हाशिये पर खड़े करोड़ों लोगों को सशक्त बनाया। करुणा का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता। लोगों की पीड़ा के लिए यह करुणा भगवान बुद्ध के सबसे महान गुणों में से एक थी। ऐसा कहा जाता है कि बौद्ध भिक्षु विभिन्न देशों की यात्रा करते रहते थे। वह अपने साथ भगवान बुद्ध के समृद्ध विचारों को ले करके जाते थे और यह सभी काल में होता रहा है।

समूचे एशिया में भगवान बुद्ध की शिक्षाएं हमें विरासत में मिली हैं। वह हमें अनेक एशियाई देशों; जैसे चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कम्बोडिया, म्यांमार कई अनेक देश वहां बुद्ध की इस परंपरा, बुद्ध की शिक्षा जड़ों में जुड़ी हुई हैं और यही कारण है कि हम बौद्ध पर्यटन के लिए इन्फ्रॉस्ट्रक्टर विकसित कर रहे हैं, जो दक्षिण-पूर्वी एशिया के महत्वपूर्ण स्थानों को, भारत के खास बौद्ध स्थलों के साथ जोड़ता है।

श्री मोदी ने कहा कि मुझे इस बात की भी अत्यंत प्रसन्नता है कि भारत सरकार कई बौद्ध मंदिरों के पुनरुद्धार कार्यों में भागीदार है। इसमें म्यांमार में बागान में सदियों पुराना वैभवशाली आनंद मंदिर भी सम्मलित है। आज विश्व में हर जगह टकराव और मानवीय पीड़ा देखने को मिलती है। भगवान बुद्ध की शिक्षा घृणा को दया से मिटाने की राह दिखाती है। मैं दुनिया भर में फैले हुए भगवान बुद्ध के प्रति श्रद्धा रखने वाले, करुणा के सिद्धांतों में विश्वास करने वाले – सबको बुद्ध पूर्णिमा की मंगलमयी कामना करता हूं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध से पूरी दुनिया के लिए आशीर्वाद मांगता हूं, ताकि हम उनकी शिक्षा पर आधारित एक शांतिपूर्ण और करुणा से भरे विश्व का निर्माण करने में अपनी ज़िम्मेदारी निभा सकें। आज जब हम भगवान बुद्ध को याद कर रहे हैं। आपने लॉफिंग बुद्धा की मूर्तियों के बारे में सुना होगा, जिसके बारे में कहा जाता है कि लॉफिंग बुद्धा गुड लक लाते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि स्माईलिंग बुद्धा भारत के रक्षा इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना से भी जुड़ी हुई है। अब आप सोचते रहे होंगे कि स्माईलिंग बुद्धा और भारत की सैन्य-शक्ति के बीच क्या संबंध है?

श्री मोदी ने कहा कि आपको याद होगा आज से 20 वर्ष पहले 11 मई, 1998 शाम को तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था और उनकी बातों ने पूरे देश को गौरव, पराक्रम और खुशी के पल से भर दिया था। विश्वभर में फैले हुए भारतीय समुदाय में नया आत्मविश्वास उजाग़र हुआ था। वह दिन था बुद्ध पूर्णिमा का। 11 मई, 1998 भारत के पश्चिमी छोर पर राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया था। उसे 20 वर्ष हो रहे हैं और ये परीक्षण भगवान बुद्ध के आशीर्वाद के साथ बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया था। भारत का परीक्षण सफल रहा और एक तरह से कहें तो विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भारत ने अपनी ताक़त का प्रदर्शन किया था। हम कह सकते हैं कि वो दिन भारत के इतिहास में उसकी सैन्य-शक्ति के प्रदर्शन के रूप में अंकित है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध ने दुनिया को दिखाया है- अंतर्मन की शक्ति शांति के लिए आवश्यक है। इसी तरह जब आप एक देश के रूप में मजबूत होते हैं तो आप सब के साथ शांतिपूर्ण रह भी सकते हैं। मई, 1998 का महीना देश के लिए सिर्फ़ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि इस महीने में परमाणु परीक्षण हुए, बल्कि वो जिस तरह से किए गए थे वह महत्वपूर्ण है। इसने पूरे विश्व को दिखाया कि भारत की भूमि महान वैज्ञानिकों की भूमि है और एक

मज़बूत नेतृत्व के साथ भारत नि.त नए मुकाम और ऊंचाइयों को हासिल कर सकता है।

उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मंत्र दिया था- “जय जवान जय किसान, जय विज्ञान” आज जब हम 11 मई, 1998 उसका 20वां वर्ष मनाने जा रहे हैं, तब भारत की शक्ति के लिए अटल जी ने जो ‘जय-विज्ञान’ का हमें मंत्र दिया है, उसे आत्मसात करते हुए आधुनिक भारत बनाने के लिए, शक्तिशाली भारत बनाने के लिए, समर्थ भारत बनाने के लिए हर युवा योगदान देने का संकल्प करे। अपने सामर्थ्य को भारत के सामर्थ्य का हिस्सा बनाएं। देखते-ही-देखते जिस यात्रा को अटल जी ने प्रारंभ किया था, उसे आगे बढ़ाने का एक नया आनंद, नया संतोष हम भी प्राप्त कर पाएंगे।

श्री मोदी ने कहा कि कुछ ही दिनों में रमज़ान का पवित्र महीना शुरू हो रहा है। विश्वभर में रमज़ान का महीना पूरी श्रद्धा और सम्मान से मनाया जाता है। रोज़े का सामूहिक पहलू यह है कि जब इंसान खुद भूखा होता है तो उसको दूसरों की भूख का भी एहसास होता है। जब वो ख़ुद प्यासा होता है तो दूसरों की प्यास का उसे एहसास होता है। पैगम्बर मोहम्मद साहब की शिक्षा और उनके सन्देश को याद करने का यह अवसर है। उनके जीवन से समानता और भाईचारे के मार्ग पर चलना यह हमारी ज़िम्मेदारी बनती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बार एक इंसान ने पैगम्बर साहब से पूछा- “इस्लाम में कौन सा कार्य सबसे अच्छा है?” पैगम्बर साहब ने कहा – “किसी गरीब और ज़रूरतमंद को खिलाना और सभी से सदभाव से मिलना, चाहे आप उन्हें जानते हो या न जानते हो।” पैगम्बर मोहम्मद साहब ज्ञान और करुणा में विश्वास रखते थे। उन्हें किसी बात का अहंकार नहीं था। वह कहते थे कि अहंकार ही ज्ञान को पराजित करता रहता है।

उन्होंने कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब का मानना था कि यदि आपके पास कोई भी चीज़ आपकी आवश्यकता से अधिक है तो आप उसे किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति को दें, इसीलिए रमज़ान में दान का भी काफी महत्व है। लोग इस पवित्र माह में ज़रूरतमंदों को दान देते हैं। पैगम्बर मोहम्मद साहब का मानना था कोई व्यक्ति अपनी पवित्र आत्मा से अमीर होता है न कि धन-दौलत से। मैं सभी देशवासियों को रमज़ान के पवित्र महीने की शुभकामनाएं देता हूं और मुझे आशा है यह अवसर लोगों को शांति और सदभावना के उनके संदेशों पर चलने की प्रेरणा देगा।