कैबिनेट ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के कम्प्यूटरीकरण को दी मंजूरी

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कुल 2,516 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ 63,000 कार्यरत प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को कम्प्यूटरीकृत किया जाएगा। इस कदम से लगभग 13 करोड़ किसानों, जिनमें से अधिकांश छोटे व सीमांत किसान हैं, को लाभ होगा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्डलीय समिति ने 29 जून को प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) की दक्षता बढ़ाने तथा उनके संचालन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने और पैक्स को अपने व्यवसाय में विविधता लाने व विभिन्न गतिविधियां/सेवाएं शुरू करने की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के कम्प्यूटरीकरण को मंजूरी दे दी।
इस परियोजना में कुल 2,516 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय, जिसमें भारत सरकार की हिस्सेदारी 1528 करोड़ रुपये की होगी, के साथ पांच वर्षों की अवधि में लगभग 63,000 कार्यरत पैक्स के कम्प्यूटरीकरण का प्रस्ताव है।

प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियां देश में अल्पकालिक सहकारी ऋण (एसटीसीसी) की त्रि-स्तरीय व्यवस्था में सबसे निचले स्तर पर अपनी भूमिका निभाती हैं, जहां लगभग 13 करोड़ किसान इसके सदस्य के रूप में शामिल होते हैं और जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होती हैं।

देश में सभी संस्थाओं द्वारा दिए गए केसीसी ऋणों में पैक्स का हिस्सा 41 प्रतिशत (3.01 करोड़ किसान) है और पैक्स के माध्यम से इन केसीसी ऋणों में से 95 प्रतिशत (2.95 करोड़ किसान) छोटे व सीमांत किसानों को दिए गए हैं। अन्य दो स्तरों अर्थात राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) को पहले ही नाबार्ड द्वारा स्वचालित कर दिया गया है और उन्हें साझा बैंकिंग सॉफ्टवेयर (सीबीएस) के तहत ला दिया गया है।

हालांकि, अधिकांश पैक्स को अब तक कम्प्यूटरीकृत नहीं किया गया है और वे अभी भी हस्तचालित तरीके से कार्य कर रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप उनके संचालन में अक्षमता और भरोसे की कमी दिखाई देती है। कुछ राज्यों में पैक्स का कहीं-कहीं और आंशिक आधार पर कम्प्यूटरीकरण किया गया है। उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सॉफ्टवेयर में कोई समानता नहीं है और वे डीसीसीबी एवं एसटीसीबी के साथ जुड़े हुए नहीं हैं।

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में पूरे देश में सभी पैक्स को कम्प्यूटरीकृत करने और उनके रोजमर्रा के कार्य-व्यवहार के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक साझा मंच पर लाने तथा एक सामान्य लेखा प्रणाली (सीएएस) के तहत रखने का प्रस्ताव किया गया है।
वित्तीय समावेशन के उद्देश्यों को पूरा करने तथा किसानों, विशेष रूप से छोटे व सीमांत किसानों (एसएमएफ) को दी जाने वाली सेवाओं की आपूर्ति को मजबूत करने के अलावा पैक्स का कम्प्यूटरीकरण विभिन्न सेवाओं एवं उर्वरक, बीज आदि जैसे इनपुट के प्रावधान के लिए नोडल सेवा वितरण बिंदु बन जाएगा। यह परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटलीकरण को बेहतर बनाने के अलावा बैंकिंग गतिविधियों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग गतिविधियों के केन्द्र के रूप में पैक्स की पहुंच को बेहतर बनाने में मदद करेगी।