‘भगवा आतंकवाद’ का कांग्रेसी मिथक हुआ ध्वस्त

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कुछ साल पहले एक शब्द चर्चा में आया ‘भगवा आतंकवाद’, यानी वो आतंकवाद जिसमें कोई हिंदू शामिल हो, लेकिन मक्का मस्जिद मामले में अदालत का फैसला आने के बाद इस शब्द ने अर्थ ही खो दिया। 11 साल पहले हैदराबाद के मक्का मस्जिद में हुए बम धमाके में सभी अभियुक्तों को निचली अदालत ने बरी कर दिया है। अब यह चर्चा का विषय है क्या भगवा आतंकवाद वाकई कोई अस्तित्व रखता है या फिर ये कांग्रेस का राजनीतिक कुचक्र भर था। इस मामले में बरी हुए स्वामी असीमानंद अकेले शख्स नहीं हैं जिनपर भगवा आतंकवाद का चेहरा होने का आरोप लगा है। 2007 अजमेर दरगाह ब्लास्ट, 2007 हैदराबाद की मक्का मस्जिद, 2007 समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, 2008 मालेगांव ब्लास्ट जैसे कई उदाहरण हैं जिन मामलों में भगवा आतंकवाद होने का आरोप सामने आया था। परन्तु अभी तक इन सभी मामलों में अिभयुक्तों के विरुद्ध कोई पुख्ता सबूत नहीं जुटाए जा सके है। ऐसा समझा जा रहा है कि कांग्रेस के नेताओं ने उच्च स्तर पर भगवा आतंकवाद का राजनीितक षड‌्यंत्र रचा था।

मक्का मस्जिद धमाके के सभी आरोपी बरी

16 अप्रैल 2018 के मक्का मस्जिद मामले में जब कोर्ट का फैसला आया और तथाकथित ‘भगवा आतंकवाद’ का चेहरा प्रचारित किए जाने वाले स्वामी असीमानंद के साथ अन्य चार अभियुक्तों की रिहाई हो गई, तब यह फैसला कांग्रेस के लिए एक जोरदार झटका साबित हुआ। यह कांग्रेस ही थी, जिसने ‘भगवा आतंकवाद’ जैसे शब्द को इस देश के संस्कृति पर गर्व करने वाले लोगों को अपमानित करने के लिए गढ़ा था। इसमे कोई संदेह नहीं कि यह शब्द अतिवादी वाम गुटों तथा इस्लाम के नाम पर आतंकवाद फैलाने वालों पर पर्दा डालने के लिए गढ़ा गया था तथा इसका उद्देश्य राजनीतिक हितों को साधने का था। एक पूर्व अधिकारी आरवीएस मणी ने मीडिया को बताया कि किस तरह से फाइलों का बदलने तथा झूठ को दबाने में तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदम्बरम का हाथ था, ताकि ‘भगवा आतंकवाद’ के नाम पर चल रहे षड्यंत्र को सही साबित किया जा सके। अब समय आ चुका है कि कांग्रेस तथा इसके नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी इन षड्यंत्रों के लिए तत्काल देश से माफी मांगे।

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ‘भगवा आतंकवाद’ और ‘हिंदू आतंकवाद’ कहकर हिंदू संस्कृति को बदनाम कर रही थी लेकिन अदालत के फैसलों ने सच उजागर कर दिया। मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में असीमानंद को अदालत से बरी किये जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं राहुल बाबा को बोलना चाहता हूं कि उन्होंने और उनके नेताओं ने ‘भगवा आतंकवाद’ का नाम देकर देश के हिंदुओं को बदनाम करने का जो काम किया, उसके लिए देश उन्हें से माफी मांगनी चाहिए।’

कांग्रेस और इसके सहयोगियों को यह समझना चाहिए कि केवल राजनीतिक फायदे के लिए इस महान देश की छवि पर दाग नहीं लगाया जा सकता और राष्ट्रीय सभ्यता और संस्कृति को नीचा नहीं दिखाया जा सकता। ‘भगवा आतंकवाद’ के षड्यंत्र के तहत निरपराध लोगों को पकड़कर प्रताड़ित करना एक आपराधिक कृत्य था, जो अब निर्दोषों के साफ बरी होने पर कांग्रेस को उल्टा पड़ गया है। अब जबकि ‘भगवा आतंकवाद’ व हिंदू आतंकवाद जैसे मिथकों के पीछे का षड्यंत्र सबके सामने आ चुका है, कांग्रेस को बिना समय खोए देश को माफी मांग लेगी चाहिए।

कांग्रेस ने गढ़ा ‘भगवा आतंकवाद’ का शब्द

सिर्फ कुछ ही वर्ष पहले तकरीबन हर कांग्रेसी नेता यह बताने में लगा था कि देश में ‘भगवा आतंक’ का खतरा उठ खड़ा हुआ है। चाहे बात समझौता एक्सप्रेस, मालेगांव, मक्का मस्जिद विस्फोट और इशरतजहां मामले से जुड़ी जांच की हो या महाराष्ट्र एटीएस मामले की, इन सभी को तत्कालीन सत्ताधारी कांग्रेस ने ‘हिंदू आतंकवाद’ से जोड़ने की भरपूर कोशिश की। बटला हाऊस एनकाउंटर मामले में जहां दिल्ली पुलिस लगातार दावा करती रही कि मामले में सच्चाई है, वहीं दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद जैसे नेता इसे फर्जी मुठभेड़ बताते रहे।

राहुल गांधी ने अमेरिका के राजदूत से 2009 में कहा था कि भारत को मुस्लिम आतंकियों की तुलना में हिंदू अतिवादियों से कहीं ज्यादा खतरा है। साल 2010 के दिसंबर में विकीलीक्स के खुलासे से पता चला कि 2009 की जुलाई में राहुल गांधी अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को दिए गए एक भोज में शामिल हुए। इस भोज में राहुल गांधी ने अमेरिका के राजदूत टिमोथी रोयमर से कहा कि भारत के मुस्लिम समुदाय के एक हिस्से में लश्कर-ए-तैयबा सरीखे इस्लामी आतंकी जमात के लिए समर्थन के सबूत हैं, लेकिन इससे बड़ा खतरा हिंदू अतिवादियों से है।

20 जनवरी 2013 को जयपुर में कांग्रेस पार्टी के चिंतन शिविर में बोलते हुए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सुशील शिन्दे ने कहा, ‘जांच के दौरान इस तरह की खबरें आई हैं कि बीजेपी और आरएसएस आतंकवाद फैलाने के लिए आतंकियों का प्रशिक्षण शिविर चलाते हैं। समझौता एक्सप्रेस और मक्का मस्जिद में बम रखे गए और फिर मालेगांव में भी विस्फोट की कार्रवाई को अंजाम दिया गया।’ चिन्तन शिविर के अपने भाषण वाले इसी दिन उन्होंने बाद में अपनी बातों का मतलब समझाते हुए कहा कि उन्होंने कुछ नया नहीं कहा, बल्कि ‘भगवा आतंकवाद के बारे में अपनी बात रखी है।’

राहुल देश से माफी मांगेे : अमित शाह

मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में आये कोर्ट के निर्णय पर कांग्रेस पर प्रहार करते हुए श्री शाह ने कहा कि कोर्ट के एक निर्णय में मक्का मस्जिद ब्लास्ट में सभी आरोपी निर्दोष करार दिए गए। उन्होंने कहा कि यह वही मामला है जिसे कांग्रेस ने ‘भगवा टेरर’ और ‘हिंदू आतंकवाद’ के नाम से देश को बदनाम करने की साजिश रची थी। उन्होंने कहा कि जो ब्लास्ट के असली गुनाहगार थे, उसे छोड़ दिया गया और निर्दोष लोगों को पकड़ा गया, देश चुपचाप देखता रहा। उन्होंने कहा कि इतने सालों की जांच के बाद अदालत ने पाया कि पकड़े गए लोगों के खिलाफ कोई केस नहीं बनता, ये सभी निर्दोष हैं। उन्होंने कहा कि अदालत के निर्णय से यह साफ़ हो गया है कि मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में सोनिया-मनमोहन की कांग्रेस सरकार ने दुनिया में देश को बदनाम करने के लिए ‘सैफ्रन टेरर’ और हिंदू आतंकवाद की साजिश रची।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस लगातार भगवा आतंकवाद और हिंदू टेरर के राग अलापती रही और अब कोर्ट के निर्णय के बाद कांग्रेस कहती है कि हमने कभी भी भगवा टेरर और हिंदू आतंकवाद को लेकर कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि राहुल गांधी ने खुद 20 जुलाई 2010 को अमेरिकी राजदूत के सामने देश के लिए पाकिस्तानी उग्रवादी संगठन लक्षकर-ए-तैय्यबा से भी बड़ा ख़तरा हिंदुओं को बताया था जिसका खुलासा विकिलीक्स ने 16 दिसंबर 2010 को किया। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, गृहमंत्री पद पर रहते हुए पी चिदंबरम ने 25 अगस्त 2010 को, तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने 20 जनवरी 2013 को और तत्कालीन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने 22 जनवरी 2013 को सैफ्रन टेरर अथवा भगवा आतंकवाद की परिभाषा गढ़ी थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने तो अनेकों बार इस शब्द से देश को और हिन्दुओं को अपमानित किया था। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी 10 जनवरी 2018 को हिंदू टेरर का राग अलापा था।

श्री शाह ने कहा कि एक महान संस्कृति जो लाखों वर्षों से दुनिया को सभ्यता, शांति और संस्कार का संदेश देती आई है, उसको टेररिज्म से जोड़ने का पाप कांग्रेस पार्टी ने किया है। उन्होंने कहा कि जब मक्का मस्जिद ब्लास्ट में निर्दोष बेगुनाहों को पकड़ा गया था, हम सब चुप रहे थे क्योंकि कोर्ट में केस चल रहा था और भारत की न्याय प्रक्रिया में हमारा पूरा विश्वास है। उन्होंने कहा कि अब जबकि कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है और उन्हें निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है, तब कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी, पी चिदंबरम, सुशील कुमार शिंदे जैसे कांग्रेस के उन सभी नेताओं को देश से माफी मांगनी चाहिए जिन्होंने देश और दुनिया को भगवा आतंकवाद, हिंदू आतंकवाद और सैफ्रन टेरर के नाम से गुमराह किया है। उन्होंने कहा कि मैं इस मुद्दे पर पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी आह्वान करना चाहता हूं कि आप मोदी सरकार के विकास कार्यों के साथ – साथ इस मुद्दे को भी लेकर राज्य की जनता के पास जाइए और उन्हें बताइये कि सोनिया-मनमोहन की कांग्रेस सरकार ने किस तरह से फर्जी केस बना कर अनेक लोगों को जेल में डाल दिया था।