कांग्रेस ने प्रजातंत्र का गला घोंटने का काम किया : जगत प्रकाश नड्डा

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‘लोकतंत्र का काला दिवस’ कार्यक्रम

देश एकजुट होकर आपातकाल के खिलाफ खड़ा हुआ

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने नई दिल्ली स्थित भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में ‘लोकतंत्र का काला दिवस’ कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और कांग्रेस द्वारा आपातकाल लगाकर लोगों पर किए गए अत्याचार तथा कांग्रेस एवं विपक्ष द्वारा अपनाए जा रहे दोहरे मापदंड पर जमकर हमला बोला। कार्यक्रम के दौरान मंच पर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) श्री बी.एल. संतोष, राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन) श्री शिवप्रकाश, राष्ट्रीय महामंत्री श्री विनोद तावड़े, राष्ट्रीय महामंत्री श्री दुष्यंत गौतम, राष्ट्रीय महामंत्री श्री राधा मोहन अग्रवाल एवं राष्ट्रीय मीडिया सह प्रभारी डॉ. संजय मयूख उपस्थित रहे।

श्री नड्डा ने कहा कि 25 जून, 1975 को देश के प्रजातंत्र के गले को घोंटकर देश में आपातकाल लगाया गया था और इसको जनता के समक्ष लाने के लिए भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में आज काला दिवस कार्यक्रम आयोजित कर रही है। कांग्रेस ने प्रजातंत्र का गला घोंटने का काम किया। देश एकजुट होकर आपातकाल के खिलाफ खड़ा हुआ और सबने डटकर इसका विरोध किया था। आज देश में आपातकाल के दौरान दु:ख के दिनों के 50 वर्ष हो गए हैं। जनता कल्पना नहीं कर सकती एक रात में 9 हजार लोगों को जबरन उठा लिया गया जिसमें मोरारजी देसाईजी, मोहन धारियाजी, अटल बिहारी वाजपेयीजी, लालकृष्ण आडवाणीजी जैसे नेताओं की लंबी शृंखला है, जिनको 25 जून, 1975 को हिरासत में ले लिया गया और इन नेताओं को एक दिन या दो दिन नहीं, बल्कि 19 महीनों से ज्यादा जेल में रहना पड़ा था। इन नेताओं का कसूर सिर्फ इतना था कि इन्होंने प्रजातंत्र की रक्षा और मजबूती के लिए आवाज उठाई थी।

श्री नड्डा ने कहा कि 12 जून, 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय आया और न्यायालय ने अनुचित तरीके से चुनाव लड़ने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर दिया था और उन पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद संविधान को बदलकर इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी को बचाने का प्रयास किया। जिसके बाद पूरा देश उद्वेलित हो गया और इस उद्वेलना को रोकने के लिए इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 की रात को आपातकाल की घोषणा की और हजारों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। देश की रक्षा करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों ने उस समय अपना योगदान दिया था। लगभग 1 लाख 40 हजार लोग आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (MISA) और डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स (DIR) के तहत लोग गिरफ्तार हुए थे, जिसमें से लगभग 75 से 80 हजार लोग भारतीय स्वयंसेवक के लोग थे।

श्री नड्डा ने कहा कि आज विपक्ष प्रजातंत्र की दुहाई देकर संविधान की रक्षा की बातें कर रहा है जबकि कांग्रेस ने 90 बार चुनी हुई सरकारों को गिराने का काम किया है। 1973 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने मुख्य न्यायाधीश के पद पर सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को दरकिनार कर जस्टिस अजीत नाथ रे को मुख्य न्यायाधीश बनाया। कांग्रेस सरकार ने जस्टिस खन्ना को दरकिनार कर जस्टिस बेग को भी देश का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाली कांग्रेस ने सूडो-सेक्युलरिज्म का उदाहरण प्रस्तुत किया है। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने शाहबानो मामले में निर्वाह निधि देने का निर्णय किया था, मगर 21वीं सदी की ओर देखने वाले राजीव गांधी ने संविधान में संशोधन करके इस निर्णय को पलटने का कार्य किया था। विपक्ष प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की भावना के खिलाफ खड़ा है।