पहला अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन शिखर सम्मेलन संपन्न

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भारत और फ्रांस की सह-मेजबानी में पहला अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन शिखर सम्मेलन 11 मार्च को नई दिल्ली में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के 61 देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और अपने बिजली उत्पादन स्रोतों में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्धता जताई। दरअसल, आईएसए सौर संसाधन संपन्न देशों का एक गठबंधन है, जो अपनी विशेष ऊर्जा जरुरतों को पूरा करने और दृष्टिकोण के माध्यम से अंतराल की पहचान कर उससे निपटने में सहयोग प्रदान करने के लिए मंच उपलब्ध कराएगा। आईएसए कर्क और मकर रेखा के ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्र में आने वाले सभी देशों के लिए खुला है।

इस संस्थापक सम्मेलन में दिल्ली सौर एजेंडा पेश किया गया। एजेंडे में जोर दिया गया कि ‘हमारे प्रयास में वृद्धि दर बढ़ाने, कौशल बढ़ाने, रोजगार पैदा करने, नवाचार बढ़ाने और आय बढ़ाकर स्थिरता हासिल करने की क्षमता है।’ आईएसए सदस्य देश ‘अपने राष्ट्रीय ऊर्जा खपत में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए प्रयासों में बढ़ोत्तरी पर’ भी सहमत हुए।

एजेंडे में विकासशील देशों के लाभ के लिए सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और प्रतिष्ठित वित्तीय संस्थानों के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी भागीदारी स्थापित करने समेत सस्ती वित्त व्यवस्था, स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण तक पहुंच की बात कही गई।

सम्मेलन के दौरान भारत ने कहा कि उसने अपने सहयोगी देशों की व्यवहार्य परियोजनाओं की तैयारी में उनकी मदद के लिए परियोजना तैयारी सुविधा (पीपीएफ) की स्थापना की है, जिसके तहत रियायती ऋण सुविधा देने पर विचार किया जा सकता है। वर्तमान में भारत द्वारा प्रदान की गई ऋण सुविधा से 14.3 करोड़ डॉलर की 13 परियोजनाओं का वित्तपोषण किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के संस्थापक सम्मेलन में भारत ने लगभग 27 प्रस्तावित परियोजनाओं की घोषणा की है, जिसके लिए 1.4 अरब डालर की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का यह नन्हा पौधा आप सभी के सम्मिलित प्रयास और प्रतिबद्धता के बिना रोपा नहीं जा सकता था और इसलिए मैं फ्रांस का और आप सबका बहुत- बहुत आभारी हूं। 121 सम्भावित देशों में से 61 गठबंधन को ज्वाइन कर चुके हैं। 32 ने फ्रेमवर्क एग्रीमेंट को अनुमोदित भी कर दिया है, लेकिन इस गठबंधन में हम सभी सहयोगी देशों के अलावा हमारे सबसे बड़े साथी हैं सूर्यदेवता, जो बाहर के वातावरण को प्रकाश और हमारे संकल्प को शक्ति दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरे विश्व से नेताओं की आज यहां उपस्थिति इस बात की अभिव्यक्ति है कि सोलर एनर्जी मानव जाति की ऊर्जा जरुरतों को स्थायी रूप से पूरा करने का एक प्रभावी तथा किफायती समाधान उपलब्ध कराती है। उन्होंने कहा कि भारत में हमने दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रम शुरू किया है। हम 2022 तक रिन्यूएबल्स से 175 गीगावाट बिजली उत्पन्न करेंगे, जिसमें से 100 गीगावाट बिजली सौर उर्जा से होगी। हमने इसमे से 20 गीगावाट स्थापित सोलर एनर्जी का लक्ष्य पहले ही हासिल कर लिया है। भारत में ऊर्जा की बढ़ोत्तरी अब परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के बजाए रिन्यूएबल्स से अधिक हो रही है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत सोलर तकनीक के अंतर को भरने के लिए सोलर टेक्नोलॉजी मिशन भी शुरु करेगा। इस मिशन का अंतर्राष्ट्रीय फोकस होगा और यह हमारी सारी सरकारी, तकनीकी तथा शैक्षणिक संस्थाओं को साथ मिलाकर सोलर क्षेत्र में R&D प्रयासों का नेतृत्व करेगा। प्रचुर मात्रा में हवा की तरह उपलब्ध सोलर एनर्जी का विकास और प्रयोग हमारी समृद्धि के अलावा पृथ्वी का कार्बन भार अवश्य कम करेगा।
श्री मोदी ने कहा कि यदि हम पूरी पृथ्वी, पूरी मानवता की भलाई चाहते हैं तो मुझे विश्वास है कि निजी दायरों से बाहर निकलकर एक परिवार की तरह हम उद्देश्यों और प्रयासों में एकता और एकजुटता ला सकेंगे। यह वही रास्ता है जिससे हम प्राचीन मुनियों की प्रार्थना–’तमसो मा ज्याेतिर्गमय’– यानी हम अंधकार से प्रकाश को चलें, को चरितार्थ कर पायेंगे।