मेरे लिए ‘मन की बात’ एक कार्यक्रम नहीं है, एक आस्था, पूजा, व्रत है : प्रधानमंत्री

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘मन की बात’ कार्यक्रम 30 अप्रैल, 2023 को एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंचा। सौवीं बार श्री मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से भारतीय जनमानस से बात की। यह प्रसारण ऐतिहासिक, अभूतपूर्व और विश्वव्यापी था। इसका सजीव प्रसारण संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भी किया गया। साथ ही, ‘मन की बात’ 22 भारतीय भाषाओं व 29 बोलियों समेत फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, अरबी, पश्तु, फ़ारसी, तिब्बती सहित 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित की गयी। कार्यक्रम का प्रसारण ऑल इंडिया रेडियो के 500 से अधिक स्टेशनों से किया गया।
‘कमल संदेश’ के सुधी पाठकों के लिए ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी का पूरा पाठ हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं:

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। आज ‘मन की बात’ का सौवां एपिसोड है। मुझे आप सबकी हजारों चिट्ठियां मिली हैं, लाखों सन्देश मिले हैं और मैंने कोशिश की है कि ज्यादा से ज्यादा चिट्ठियों को पढ़ पाऊं, देख पाऊं, संदेशों को जरा समझने की कोशिश करूं। आपके पत्र पढ़ते हुए कई बार मैं भावुक हुआ, भावनाओं से भर गया, भावनाओं में बह गया और खुद को फिर सम्भाल भी लिया। आपने मुझे ‘मन की बात’ के सौवें एपिसोड पर बधाई दी है लेकिन मैं सच्चे दिल से कहता हूं, दरअसल बधाई के पात्र तो आप सभी ‘मन की बात’ के श्रोता हैं, हमारे देशवासी हैं। ‘मन की बात’ कोटि-कोटि भारतीयों के ‘मन की बात’ है, उनकी भावनाओं का प्रकटीकरण है।

साथियो, 3 अक्टूबर, 2014, विजय दशमी का वो पर्व था और हम सबने मिलकर विजय दशमी के दिन ‘मन की बात’ की यात्रा शुरू की थी। विजय दशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। ‘मन की बात’ भी देशवासियों की अच्छाइयों का, सकारात्मकता का, एक अनोखा पर्व बन गया है। एक ऐसा पर्व जो हर महीने आता है, जिसका इंतजार हम सभी को होता है। हम इसमें पाजिटिविटी को सेलिब्रेट करते हैं। हम इसमें लोगों की सहभागिता को भी सेलिब्रेट करते हैं। कई बार यकीन नहीं होता कि ‘मन की बात’ को इतने महीने और इतने साल गुजर गए। हर एपिसोड अपने आप में खास रहा। हर बार नए उदाहरणों की नवीनता, हर बार देशवासियों की नई सफलताओं का विस्तार। ‘मन की बात’ में पूरे देश के कोने-कोने से लोग जुड़े, हर आयु-वर्ग के लोग जुड़े। बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ की बात हो, स्वच्छ भारत आंदोलन हो, खादी के प्रति प्रेम हो या प्रकृति की बात, आजादी का अमृत महोत्सव हो या फिर

‘मन की बात’ ने समाज में एक परिवर्तनकारी बदलाव का नेतृत्व किया है –जगत प्रकाश नड्डा, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष

“कर्नाटक के होन्नाली में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी सुनी। ‘मन की बात’ ने जन-जीवन से जुड़ी कहानियों को लोकप्रिय बनाकर राष्ट्र कल्याण हेतु प्रेरणादायक समाधान देकर समाज में एक परिवर्तनकारी बदलाव का नेतृत्व किया है।”

अमृत सरोवर की बात, ‘मन की बात’ जिस विषय से जुड़ा, वो जन-आंदोलन बन गया और आप लोगों ने बना दिया। जब मैंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ साझा ‘मन की बात’ की थी, तो इसकी चर्चा पूरे विश्व में हुई थी।

‘मन की बात’ दूसरों के गुणों से सीखने का बहुत बड़ा माध्यम बन गयी है

साथियो, ‘मन की बात’ मेरे लिए तो दूसरों के गुणों की पूजा करने की तरह ही रहा है। मेरे एक मार्गदर्शक थे, श्री लक्ष्मणराव जी ईनामदार। हम उनको वकील साहब कहा करते थे। वो हमेशा कहते थे कि हमें दूसरों के गुणों की पूजा करनी चाहिए। सामने कोई भी हो, आपके साथ का हो, आपका विरोधी हो, हमें उसके अच्छे गुणों को जानने का, उनसे सीखने का प्रयास करना चाहिए। उनकी इस बात ने मुझे हमेशा प्रेरणा दी है। ‘मन की बात’ दूसरों के गुणों से सीखने का बहुत बड़ा माध्यम बन गयी है।

मेरे प्यारे देशवासियो, इस कार्यक्रम ने मुझे कभी भी आपसे दूर नहीं होने दिया। मुझे याद है जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो वहां सामान्य जन से मिलना-जुलना स्वाभाविक रूप से हो ही जाता था। मुख्यमंत्री का कामकाज और कार्यकाल ऐसा ही होता है, मिलने जुलने के अवसर बहुत मिलते ही रहते हैं, लेकिन 2014 में दिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहां का जीवन तो बहुत ही अलग है। काम का स्वरूप अलग, दायित्व अलग, स्थितियां-परिस्थितियों के बंधन, सुरक्षा का तामझाम, समय की सीमा। शुरुआती दिनों में कुछ अलग महसूस करता था, खाली-खाली सा महसूस करता था। पचासों साल पहले मैंने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन अपने ही देश के लोगों से संपर्क ही मुश्किल हो जायेगा। जो देशवासी मेरा सब कुछ है, मैं उनसे ही कट करके जी नहीं सकता था। ‘मन की बात’ ने मुझे

‘मन की बात’ के श्रोताओं के फीडबैक व दी गयी प्रतिक्रिया पर आईआईएम, रोहतक द्वारा किया गया एक विश्लेषण

मन की बात की पहुंच

• मन की बात के बारे में लगभग 96% लोग जानते हैं।
• 100 करोड़ से अधिक लोगों ने इसे कम से कम एक बार सुना है।
• 23 करोड़ लोगों ने इस कार्यक्रम को नियमित रूप से देखा/सुना है।

समाज पर सकारात्मक प्रभाव

• मन की बात लोगों के व्यवहार, सोच और मानसिकता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
• 60% ने राष्ट्र निर्माण के लिए काम करने में रुचि दिखाई है।
• 55% देश के एक जिम्मेदार नागरिक बनने की पुष्टि करते हैं।
• 63% का मानना है कि सरकार के प्रति उनका दृष्टिकोण सकारात्मक हो गया है।
• 59% को लगता है कि सरकार पर उनका भरोसा बढ़ा है।
• 58% ने व्यक्त किया कि उनके रहने की स्थिति में सुधार हुआ है।
• 73% सरकार के कामकाज और देश की प्रगति के बारे में आशावादी महसूस करते हैं।

सर्वाधिक लोकप्रिय विषय

• भारत की वैज्ञानिक उपलब्धि
• जन जीवन से जुड़ी कहानियां
• सशस्त्र बलों की वीरता
• युवाओं से संबंधित मुद्दे
• पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित विषय

भारत के माननीय प्रधानमंत्री की संप्रेषण शैली का प्रभाव

• दर्शकों के साथ भावनात्मक जुड़ाव।
• शक्तिशाली और निर्णायक नेतृत्व पर विश्वास बढ़ना।
• विभिन्न मुद्दों पर सहानुभूतिपूर्ण और उदार दृष्टिकोण का विकास।
• प्रेरक कहानियों के माध्यम से लोगों का मार्गदर्शन करना और उनके साथ सीधा संवाद।

इस चुनौती का समाधान दिया, सामान्य मानवी से जुड़ने का रास्ता दिया। पदभार और प्रोटोकॉल व्यवस्था तक ही सीमित रहा और जनभाव, कोटि-कोटि जनों के साथ मेरे भाव विश्व का अटूट अंग बन गया। हर महीने में देश के लोगों के हजारों संदेशों को पढ़ता हूं, हर महीने में देशवासियों के एक से एक अद्भुत स्वरूप के दर्शन करता हूं। मैं देशवासियों के तप-त्याग की पराकाष्ठा को देखता हूं, महसूस करता हूं। मुझे लगता ही नहीं है कि मैं आपसे थोड़ा भी दूर हूं। मेरे लिए ‘मन की बात’ ये एक कार्यक्रम नहीं है, मेरे लिए एक आस्था, पूजा, व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं, तो प्रसाद की थाल लाते हैं।

‘मन की बात’ स्व से समष्टि की यात्रा है

मेरे लिए ‘मन की बात’ ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल की तरह है। ‘मन की बात’ मेरे मन की आध्यात्मिक यात्रा बन गयी है।

‘मन की बात’ स्व से समष्टि की यात्रा है।
‘मन की बात’ अहम् से वयम् की यात्रा है।
यह तो मैं नहीं तू ही इसकी संस्कार साधना है।

आप कल्पना करिए, मेरा कोई देशवासी 40-40 साल से निर्जन पहाड़ी और बंजर जमीन पर पेड़ लगा रहा है, कितने ही लोग 30-30 साल से जल-संरक्षण के लिए बावड़ियां और तालाब बना रहे हैं, उसकी साफ़-सफाई कर रहे हैं। कोई 25-30 साल से निर्धन बच्चों को पढ़ा रहा है, कोई गरीबों की इलाज में मदद कर रहा है। कितनी ही बार ‘मन की बात’ में इनका जिक्र करते हुए मैं भावुक हो गया हूं। आकाशवाणी के साथियों को कितनी ही बार इसे फिर से रिकॉर्ड करना पड़ा है। आज, पिछला कितना ही कुछ, आंखों के सामने आए जा रहा है। देशवासियों के इन प्रयासों ने मुझे लगातार खुद को खपाने की प्रेरणा दी है।

साथियो, ‘मन की बात’ में जिन लोगों का हम ज़िक्र करते हैं वे सब हमारे हीरो हैं जिन्होंने इस कार्यक्रम को जीवंत बनाया है। आज जब हम 100वें एपिसोड के पड़ाव पर पहुंचे हैं, तो मेरी ये भी इच्छा है कि हम एक बार फिर इन सारे हीरो के पास जाकर उनकी यात्रा के बारे में जानें। आज हम कुछ साथियों से बात भी करने की कोशिश करेंगे। मेरे साथ जुड़ रहे हैं हरियाणा के भाई सुनील जगलान जी। सुनील जगलान जी का मेरे मन पर इतना प्रभाव इसलिए पड़ा, क्योंकि हरियाणा में लिंग अनुपात पर काफी चर्चा होती थी और मैंने भी ‘बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ’ का अभियान हरियाणा से ही शुरू किया था। और इसी बीच जब सुनील जी के ‘सेल्फी विद डॉटर’ अभियान पर मेरी नजर पड़ी, तो मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने भी उनसे सीखा और इसे ‘मन की बात’ में शामिल किया। देखते ही देखते ‘सेल्फी विद डॉटर’ एक वैश्विक अभियान में बदल गया और इसमें मुद्दा सेल्फी नहीं थी, टेक्नोलॉजी नहीं थी, इसमें डॉटर को, बेटी को प्रमुखता दी गयी थी। जीवन में बेटी का स्थान कितना बड़ा होता है, इस अभियान से यह भी प्रकट हुआ।

मन की बात: कुछ प्रमुख तथ्य

• पहला प्रसारण 3 अक्टूबर, 2014 को विजयादशमी के अवसर पर किया गया।
• पहला प्रसारण अत्यंत सफल रहा और लगभग 66.7 प्रतिशत लोगों ने इसे सुना तथा इसे उपयोगी पाया।
• पहले प्रसारण में श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रोताओं से महात्मा गांधी के रास्ते पर चलने और खादी पहनने को कहा। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान, मंगल मिशन, कौशल विकास और अपनी वेबसाइट के विषयों पर चर्चा की।
• दूसरा कार्यक्रम 2 नवंबर, 2014 को प्रसारित किया गया, जिसमें कई सरकारी पहलों और स्वच्छ भारत अभियान की सफलता पर चर्चा की गई।
• गणतंत्र दिवस के एक दिन बाद 27 जनवरी, 2015 को अमेरिकी राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा ने शो की सह-मेजबानी की। श्री ओबामा ने अमेरिकी नीतियों और उनके प्रभावों को साझा किया।
• ‘मन की बात’ फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू और फारसी सहित 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित की जाती है।

संयुक्त राष्ट्र में भारतीय स्थायी मिशन ने 30 अप्रैल को ट्वीट किया, “संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क स्थित ट्रस्टीशिप काउंसिल का विशेष क्षण, जहां मन की बात की 100वीं कड़ी का सजीव प्रसारण हुआ, जिससे सभी प्रेरित और प्रभावित हुए।”

संयुक्त राष्ट्र में भारतीय स्थायी मिशन

“प्रिय प्रधानमंत्री, यूनेस्को की ओर से मैं ‘मन की बात’ रेडियो प्रसारण की 100वीं कड़ी का हिस्सा बनने के लिए आपको धन्यवाद देती हूं। यूनेस्को और भारत का एक लंबा साझा इतिहास रहा है। शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और सूचना समेत हमारे सभी क्षेत्रों में यूनेस्को और भारत की एक बहुत मजबूत भागीदारी है।”

यूनेस्को महानिदेशक ऑड्रे एज़ोले

ऐसे ही अनेक प्रयासों का परिणाम है कि आज हरियाणा में लिंग अनुपात में सुधार आया है। आइये आज सुनील जी से ही कुछ गप मार लेते हैं।

प्रधानमंत्री जी–नमस्कार सुनील जी,
सुनील जी–नमस्कार सर, मेरी खुशी बहुत बढ़ गई है सर आपकी आवाज़ सुनकर।

मोदीजी ने भारत के सामाजिक लोकतंत्र को मज़बूत करने का काम किया है: अमित शाह

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के मुंबई में ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 100वें एपिसोड को सुना। अपने ट्वीट्स के माध्यम से श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के आज 100 एपिसोड पूरे हुए, जिसने प्रभावी नेतृत्व के शानदार उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। आज मुंबई में मन की बात के 100वें एपिसोड को सुना। मोदीजी ने मन की बात के माध्यम से छोटे-छोटे प्रयोग कर समाज को सही और सकारात्मक दिशा देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं की जानकारी देशभर में पहुंचाकर एक बेहतर भविष्य का निर्माण करने के लिए युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का काम किया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि मन की बात के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदीजी का संदेश जनता और सरकार के बीच पुल का काम करते हुए देश के कोने-कोने तक पहुंचा है। मोदीजी ने विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं और बोलियों के बारे में संवाद के माध्यम से भारत के सामाजिक लोकतंत्र को मज़बूत करने का काम किया है।

 

‘मन की बात’ मोदीजी की आध्यात्मिक यात्रा रही है: राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भाजपा मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी को सुना और इसे ‘ऐतिहासिक’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम आपसी विश्वास और विकास को मजबूत करने के साथ-साथ रेडियो के माध्यम से लोगों को जोड़ता है। श्री सिंह ने ट्वीट किया कि आज केंद्रीय कार्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की ऐतिहासिक 100वीं कड़ी सुनी। बाद में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि जहां तक जनता से संवाद का सवाल है तो ‘मन की बात’ दुनिया में अद्वितीय है। रक्षा मंत्री ने कहा कि मन की बात वास्तव में मोदीजी की आध्यात्मिक यात्रा रही है।

प्रधानमंत्री जी–सुनील जी ‘सेल्फी विद डॉटर’ हर किसी को याद है…अब जब इसकी फिर चर्चा हो रही है तो आपको कैसा लग रहा है।
सुनील जी–प्रधानमंत्री जी, ये असल में आपने जो हमारे प्रदेश हरियाणा से पानीपत की चौथी लड़ाई बेटियों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने के लिए शुरू की थी, जिसे आपके नेतृत्व में पूरे देश ने जितने की कोशिश की है तो वाकई ये मेरे लिए और हर बेटी के पिता और बेटियों को चाहने वालों के लिए बहुत बड़ी बात है।
प्रधानमंत्री जी–सुनील जी अब आपकी बिटिया कैसी है, आज कल क्या कर रही हैं?
सुनील जी–जी मेरी बेटियां नंदनी और याचिका है एक 7वीं कक्षा में पढ़ रही है एक 4वीं कक्षा में पढ़ रही है और आपकी बड़ी प्रशंसक है। असल में उन्होंने और उनकी सहपाठियों ने आपके लिए थैंक्यू प्राइम मिनिस्टर वाले लेटर भी लिखवाए थे।
प्रधानमंत्री जी–वाह वाह! अच्छा बिटिया को आप मेरा और मन की बात के श्रोताओं का खूब सारा आशीर्वाद दीजिये।
सुनील जी–बहुत-बहुत शुक्रिया जी, आपकी वजह से देश की बेटियों के चेहरे पर लगातार मुस्कान बढ़ रही है।
प्रधानमंत्री जी–बहुत-बहुत धन्यवाद सुनील जी।
सुनील जी–जी शुक्रिया।

हमने देश की नारी शक्ति की सैकड़ों प्रेरणादायी गाथाओं का जिक्र किया है

साथियो, मुझे इस बात का बहुत संतोष है कि ‘मन की बात’ में हमने देश की नारी शक्ति की सैकड़ों प्रेरणादायी गाथाओं का जिक्र किया है। चाहे हमारी सेना हो या फिर खेल जगत हो, मैंने जब भी महिलाओं की उपलब्धियों पर बात की है, उसकी खूब प्रशंसा हुई है। जैसे हमने छत्तीसगढ़ के देउर गांव की महिलाओं की चर्चा की थी। ये महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के जरिए गांव के चौराहों, सड़कों और मंदिरों के सफाई के लिए अभियान चलाती हैं। ऐसे ही तमिलनाडु की वो आदिवासी महिलाएं, जिन्होंने हज़ारों इको फ्रेंडली Terracotta Cups (टेराकोटा कप्स) निर्यात किए, उनसे भी देश ने खूब प्रेरणा ली।

तमिलनाडु में ही 20 हजार महिलाओं ने साथ आकर वेल्लोर में नाग नदी को पुनर्जीवित किया था। ऐसे कितने ही अभियानों को हमारी नारी-शक्ति ने नेतृत्व दिया है और ‘मन की बात’ उनके प्रयासों को सामने लाने का मंच बना है।

साथियो, अब हमारे साथ फोन लाइन पर एक और सज्जन मौजूद हैं। इनका नाम है, मंजूर अहमद। ‘मन की बात’ में जम्मू-कश्मीर की Pencil Slates (पेन्सिल स्लेट्स) के बारे में बताते हुए मंजूर अहमद जी का जिक्र हुआ था।

प्रधानमंत्री जी–मंजूर जी, कैसे हैं आप?
मंजूर जी–थैंक्यू सर…बड़े अच्छे से हैं सर।
प्रधानमंत्री जी–मन की बात के इस 100 वें एपिसोड में आपसे बात करके मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
मंजूर जी–थैंक्यू सर।
प्रधानमंत्री जी–अच्छा ये पेंसिल- स्लेट्स वाला काम कैसा चल रहा है?
मंजूर जी–बहुत अच्छे से चल रहा है सर बहुत अच्छे से। जब से सर आपने हमारी बात, ‘मन की बात’ में कही सर तब से बहुत काम बढ़ गया सर और दूसरों को भी रोज़गार यहां बहुत बढ़ा है इस काम में।
प्रधानमंत्री जी–कितने लोगों को अब रोज़गार मिलता होगा?
मंजूर जी–अभी मेरे पास 200 प्लस है…
प्रधानमंत्री जी–अरे वाह! मुझे बहुत खुशी हुई।
मंजूर जी–जी सर..जी सर…अभी एक दो महीनें में इसका विस्तार कर रहा हूं और 200 लोगों को रोज़गार बढ़ जाएगा सर।
प्रधानमंत्री जी–वाह-वाह! देखिये मंजूर जी…
मंजूर जी–जी सर…
प्रधानमंत्री जी–मुझे बराबर याद है और उस दिन आपने मुझे कहा था कि ये एक ऐसा काम है जिसकी न कोई पहचान है, न स्वयं की पहचान है, और आपको बड़ी पीड़ा भी थी और इस वजह से आपको बड़ी मुश्किलें होती थी वो भी आप कह रहे थे, लेकिन अब तो पहचान भी बन गई और 200 से ज़्यादा लोगों को रोज़गार दे रहे हैं।
मंजूर जी–जी सर… जी सर।
प्रधानमंत्री जी–और नए एक्सपेंशन करके और 200 लोगों को रोज़गार दे रहे हैं, ये तो बहुत खुशी की खबर दी आपने।
मंजूर जी–सर, यहां पर जो किसान हैं सर उनका भी बहुत बड़ा इसमें फायदा मिला सर तब से। 2000 का पेड़ बेचते थे अभी वही पेड़ 5000 तक पहुंच गया सर। इतनी मांग बढ़ गई है इसमें तब से…और इसमें अपनी पहचान भी बन गई है इसमें बहुत से ऑर्डर हैं अपने पास सर, अभी मै आगे एक-दो महीनें में और विस्तार करके और दो-ढाई, सौ दो-चार गांव में जितने भी लड़के-लड़कियां हैं इसमें एडजस्ट हो सकते हैं उनका भी रोज़ी-रोटी चल सकती है सर।
प्रधानमंत्री जी–देखिये मंजूर जी, वोकल फॉर लोकल की ताकत कितनी जबरदस्त है आपने धरती पर उतारकर दिखा दिया है।
मंजूर जी–जी सर।
प्रधानमंत्री जी–मेरी तरफ से आपको और गांव के सभी किसानों को और आपके साथ काम कर रहे सभी साथियों को भी मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं, धन्यवाद भैया।
मंजूर जी–धन्यवाद सर।

‘मेक इन इंडिया’ से लेकर स्पेस स्टार्ट-अप्स तक की चर्चा हुई

साथियो, हमारे देश में ऐसे कितने ही प्रतिभाशाली लोग हैं, जो अपनी मेहनत के बलबूते ही सफलता के शिखर तक पहुंचे हैं। मुझे याद है, विशाखापट्नम के वेंकट मुरली प्रसाद जी ने एक आत्मनिर्भर भारत चार्ट शेयर किया था। उन्होंने बताया था कि वो कैसे ज्यादा से ज्यादा भारतीय उत्पादों ही इस्तेमाल करेंगे। जब बेतिया के प्रमोद जी ने एलईडी बल्ब बनाने की छोटी यूनिट लगाई या गढ़मुक्तेश्वर के संतोष जी ने मैट बनाने का काम किया, ‘मन की बात’ ही उनके उत्पादों को सबके सामने लाने का माध्यम बना। हमने मेक इन इंडिया के अनेक उदाहरणों से लेकर स्पेस स्टार्ट-अप्स तक की चर्चा ‘मन की बात’ में की है।

साथियो, आपको याद होगा, कुछ एपिसोड पहले मैंने मणिपुर की बहन विजयशांति देवी जी का भी जिक्र किया था। विजयशांति जी कमल के रेशों से कपड़े बनाती हैं। ‘मन की बात’ में उनके इस अनोखे ईकोफ्रेंडली आइडिया की बात हुई तो उनका काम और लोकप्रिय हो गया। आज विजयशांति जी फ़ोन पर हमारे साथ हैं।

प्रधानमंत्री जी–नमस्ते विजयशांति जी! आप कैसे हैं?
विजयशांति जी–सर, मैं ठीक हूं।
प्रधानमंत्री जी–और आपका काम कैसा चल रहा है?
विजयशांति जी–सर, अभी भी 30 महिलाओं के साथ काम कर रहा हूं।
प्रधानमंत्री जी–इतने कम समय में आपकी टीम 30 लोगों की हो गई!
विजयशांति जी–हां सर, इस साल और भी विस्तार होगा और मेरे क्षेत्र की 100 महिलाएं जुड़ेंगी।
प्रधानमंत्री जी–तो आपका लक्ष्य 100 महिलाएं हैं।
विजयशांति जी–हां, 100 महिलाएं हैं।
प्रधानमंत्री जी–और अब लोग इस लोटस स्टेम फाइबर से परिचित हैं।
विजयशांति जी–हां सर, हर कोई भारत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम से जानता है।
प्रधानमंत्री जी–तो अब यह बहुत लोकप्रिय है।
विजयशांति जी–हां सर, प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’ कार्यक्रम से हर कोई लोटस फाइबर के बारे में जानता है।
प्रधानमंत्री जी–तो अब आपको भी बाजार मिल गया है?
विजयशांति जी–हां, मुझे यूएसए से एक बाजार मिला है, वे भी बहुत मात्रा में थोक में खरीदना चाहते हैं। मैं इस साल यू.एस. भी भेजना चाहता हूं।
प्रधानमंत्री जी–तो, अब आप निर्यातक हैं?
विजयशांति जी–हां सर, इस वर्ष से मैं भारत में लोटस फाइबर से बनाए गए उत्पाद का निर्यात करता हूं।
प्रधानमंत्री जी–इसलिए, जब मैं कहता हूं वोकल फॉर लोकल और अब लोकल फॉर ग्लोबल।
विजयशांति जी–हां सर, मैं पूरी दुनिया में अपना उत्पाद पहुंचाना चाहता हूं।
प्रधानमंत्री जी–इसलिए आपको बधाई और शुभकामनाएं।
विजयशांति जी–धन्यवाद सर।
प्रधानमंत्री जी–धन्यवाद, धन्यवाद विजयशांति।
विजयशांति जी–धन्यवाद सर।

साथियो, ‘मन की बात’ के एक और विशेषता रही है। ‘मन की बात’ के जरिए कितने ही जन-आंदोलन ने जन्म भी लिया है और गति भी पकड़ी है। जैसे हमारे खिलौने, हमारी खिलौना उद्योग को फिर से स्थापित करने का मिशन‘मन की बात’ से ही तो शुरू हुआ था। भारतीय नस्ल के श्वान हमारे देशी डॉग्स उसको लेकर जागरूकता बढ़ाने की शुरुआत भी तो ‘मन की बात’ से ही की थी। हमने एक और मुहिम शुरू की थी कि हम ग़रीब छोटे दुकानदारों से मोलभाव नहीं करेंगे, झगड़ा नहीं करेंगे। जब ‘हर घर तिरंगा’ मुहिम शुरू हुई, तब भी ‘मन की बात’ ने देशवासियों को इस संकल्प से जोड़ने में खूब भूमिका निभाई। ऐसे हर उदाहरण, समाज में बदलाव का कारण बने हैं। समाज को प्रेरित करने का ऐसे ही बीड़ा प्रदीप सांगवान जी ने भी उठा रखा है। ‘मन की बात’ में हमने प्रदीप सांगवान जी के ‘हीलिंग हिमालयाज़’ अभियान की चर्चा की थी। वो फ़ोनलाइन पर हमारे साथ हैं।

मोदी जी–प्रदीप जी नमस्कार!
प्रदीप जी–सर जय हिन्द।
मोदी जी–जय हिन्द, जय हिन्द, भईया! कैसे हैं आप?
प्रदीप जी–सर बहुत बढ़िया। आपकी आवाज सुनकर और भी अच्छा।
मोदी जी–आपने हिमालय को Heal करने की सोची।
प्रदीप जी–हां जी सर।

मन की बात के 100वें एपिसोड की प्रमुख बातें

मन की बात का इंडिया कनेक्ट

• मन की बात का प्रसारण 23 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों में किया गया।
•• दिल्ली में लाल किला और मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया जैसे प्रतिष्ठित विरासत स्थलों पर विशेष प्रोजेक्शन मैपिंग शो आयोजित किए गए।
• मुंबई में प्रसिद्ध डब्बावालों के लिए और महिला जेलों में एक विशेष प्रसारण की व्यवस्था की गई थी।
• उत्तर प्रदेश में 300 से अधिक मदरसों में रेडियो कार्यक्रम को सुनने की व्यवस्था की गयी।
• आकाशवाणी के 500 से अधिक केंद्रों द्वारा मन की बात का प्रसारण किया गया।
• देश भर के राजभवनों में दूरदर्शन द्वारा 100वें एपिसोड का सीधा प्रसारण किया गया।
• मन की बात पर छवि साझा करने वाले भारत के शीर्ष 5 राज्य बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, असम और झारखंड थे।
•• शीर्ष 5 निर्वाचन क्षेत्र अररिया, पूर्वी चंपारण, सूरत, राजकोट और सीतामढ़ी हैं।

100वें एपिसोड का डिजिटल प्रभाव

• नमो ऐप पर मन की बात मॉड्यूल पर कुल 14.51 लाख चित्र अपलोड किए गए। प्रत्येक चित्र में औसतन लगभग 50-100 लोग हैं। डिडुप्लीकेशन के बाद नमो ऐप पर अपलोड किए गए लोगों की कुल संख्या 10 करोड़ से अधिक होगी, जिन्होंने मन की बात@100 को सुना है।
•• ट्विटर पर 9 लाख से ज्यादा ट्वीट और एक अरब से ज्यादा इंप्रेशन प्राप्त हुए।
• मन की बात मॉड्यूल पर तस्वीरें अपलोड करने की भारी मांग के कारण नमो ऐप के लिंक को फिर से सक्रिय कर दिया गया।
• पूरे दिन सोशल मीडिया पर #MannKiBaat100 ट्रेंड करता रहा।
• भारत के बाद सबसे अधिक अपलोड की गई छवियां संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, इराक, आयरलैंड, सऊदी अरब, ईरान, इज़राइल और अल्बानिया से थीं।
• वर्ल्ड क्लॉउड के अनुसार निम्नलिखित शब्दों को बार-बार सुना गया, ‘मन की बात’, ‘प्रधानमंत्री’, ‘धन्यवाद’, ‘देश’, ‘जनता’, ‘आज’।

मन की बात की वैश्विक पहुंच

• • मन की बात का 100वां एपिसोड वैश्विक हो गया। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मन की बात के 100वें एपिसोड का सीधा प्रसारण किया जा रहा था।
• • ‘मन की बात’ के संबंध में यूनेस्को डीजी ऑड्रे अज़ोले का विशेष संदेश।
• • मन की बात के 100वें एपिसोड के बारे में बिल गेट्स ने ट्वीट किया।

•• भारत में जापान के राजदूत, हिरोशी सुजुकी ने मन की बात के 100वें एपिसोड पर बधाई दी।

भारतीय प्रवासी और मन की बात

100वें प्रसारण से भारतीय प्रवासी भी बड़ी संख्या में जुड़े।

मन की बात का सफर

•• 2014 से 2020 (सितंबर) तक मन की बात के माध्यम से उत्पन्न कुल राजस्व 7.30 करोड़ रुपये के व्यय के मुकाबले 30.28 करोड़ रुपये है।
•• मन की बात के 100 एपिसोड में 730 प्रेरक कहानियां और 281 निजी संगठनों (जैसे एनजीओ, एसएचजी और गांवों) का उल्लेख किया गया था।
•आईआईएम, रोहतक द्वारा सर्वेक्षण किया गया था, सर्वेक्षण के अनुसार निम्नलिखित निष्कर्ष सामने आए:
 यह कार्यक्रम 100 करोड़ लोगों तक पहुंचा है, जिन्होंने कम से कम एक बार कार्यक्रम को सुना है।
 मन की बात के 100 एपिसोड में 339 बार स्वच्छता संबंधी अन्य शब्दों का उल्लेख किया गया
 कोविड महामारी के आरंभ यानी मार्च 2020 से ‘कोरोना’ शब्द का 232 बार उल्लेख किया गया था।
 महात्मा गांधी वर्षों से सबसे अधिक चर्चा का विषय रहे हैं, इस कार्यक्रम के 99 एपिसोड में उनकी (बापू और गांधीजी) 255 बार चर्चा की गयी।

मोदी जी–अभियान भी चलाया। आजकल आपका कैंपेन कैसा चल रहा है?
प्रदीप जी–सर बहुत अच्छा चल रहा है। 2020 से ऐसा मानिये कि जितना काम हम पांच साल में करते थे अब वो एक साल में हो जाता है।
मोदी जी–अरे वाह!
प्रदीप जी–हां जी, हां जी, सर। शुरुआत बहुत नर्वस हुई थी, बहुत डर था इस बात को लेके कि जिंदगी भर ये कर पाएंगे कि नहीं कर पाएंगे। पर थोड़ा सपोर्ट मिला और 2020 तक हम बहुत संघर्ष भी कर रहे थे ईमानदारी से। लोग बहुत कम जुड़ रहे थे बहुत सारे ऐसे लोग थे जो कि सपोर्ट नहीं कर पा रहे थे। हमारी मुहिम को इतना तवज्जो भी नहीं दे रहे थे। लेकिन 2020 के बाद जब ‘मन की बात’ में जिक्र हुआ उसके बाद बहुत सारी चीज़ें बदल गईं। मतलब पहले हम साल में 6-7 सफाई अभियान कर पाते थे, 10 सफाई अभियान कर पाते थे। आज की तारीख में हम रोजाना पांच टन कचरा इक्कठा करते हैं। अलग-अलग स्थानों से।
मोदी जी–अरे वाह!
प्रदीप जी–‘मन की बात’ में जिक्र होने के बाद आप सर विश्वास करें मेरी बात को कि मैं छोड़ देने की स्थिति में था, एक टाइम पर और उसके बाद फिर बहुत सारा बदलाव आया मेरे जीवन में और चीजें इतनी speed-up हो गईं कि जो चीजें हमने सोची नहीं थी। इसलिए मैं आपका बहुत आभारी हूं कि पता नहीं कैसे हमारे जैसे लोगों को आप ढूंढ़ लेते हैं। कौन इतनी दूर-दराज एरिया में काम करता है हिमालय के क्षेत्र में जाके बैठ के हम काम कर रहे हैं। इस ऊंचाई पर हम काम कर रहे हैं। वहां पर आपने ढूंढ़ा हमें। हमारे काम को दुनिया के सामने ले के आये। तो मेरे लिए बहुत भावनात्मक क्षण था तब भी और आज भी कि मैं जो हमारे देश के जो प्रथम सेवक हैं उनसे मैं बातचीत कर पा रहा हूं। मेरे लिए इससे बड़े सौभाग्य की बात नहीं हो सकती।
मोदी जी–प्रदीप जी! आप तो हिमालय की चोटियों पर सच्चे अर्थ में साधना कर रहे हैं और मुझे पक्का विश्वास है अब आपका नाम सुनते ही लोगों को याद आ जाता है कि आप कैसे पहाड़ों की स्वच्छता अभियान में जुड़े हैं।
प्रदीप जी–हां जी सर।
मोदी जी–और जैसा आपने बताया कि अब तो बहुत बड़ी टीम बनती जा रही है और आप इतनी बड़ी मात्रा में रोजाना काम कर रहे हैं।
प्रदीप जी–हां जी सर।
मोदी जी–और मुझे पूरा विश्वास है कि आपके इन प्रयासों से, उसकी चर्चा से, अब तो कितने ही पर्वतारोही स्वच्छता से जुड़े फ़ोटो पोस्ट करने लगे हैं।
प्रदीप जी–हां जी सर! बहुत।
मोदी जी–ये अच्छी बात है, आप जैसे साथियों के प्रयास के कारण कचरा भी एक धन है ये लोगों के दिमाग में अब स्थिर हो रहा है और पर्यावरण की भी रक्षा अब हो रही है और हिमालय का जो हमारा गर्व है उसको संभालना, संवारना और सामान्य मानवी भी जुड़ रहा है। प्रदीप जी बहुत अच्छा लगा मुझे। बहुत-बहुत धन्यवाद भईया।
प्रदीप जी–धन्यवाद सर आपको बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द।

साथियो, आज देश में पर्यटन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। हमारे ये प्राकृतिक संसाधन हों, नदियां, पहाड़, तालाब या फिर हमारे तीर्थ स्थल हों, उन्हें साफ़ रखना बहुत ज़रूरी है। ये पर्यटन उद्योग की बहुत मदद करेगा। पर्यटन में स्वच्छता के साथ-साथ हमने अतुल्य भारत अभियान की भी कई बार चर्चा की है। इस अभियान से लोगों को पहली बार ऐसे कितनी ही जगहों के बारे में पता चला, जो उनके आस-पास ही थे। मैं हमेशा ही कहता हूं कि हमें विदेशों में पर्यटन पर जाने से पहले हमारे देश के कम से कम 15 पर्यटन स्थल पर जरुर जाना चाहिए और यह स्थल जिस राज्य में आप रहते हैं, वहां के नहीं होने चाहिए, आपके राज्य से बाहर किसी अन्य राज्य के होने चाहिए। ऐसे ही हमने स्वच्छ सियाचिन, एकल उपयोग प्लास्टिक और ई-कचरा जैसे गंभीर विषयों पर भी लगातार बात की है। आज पूरी दुनिया पर्यावरण के जिस मुद्दा को लेकर इतना परेशान है, उसके समाधान में ‘मन की बात’ का ये प्रयास बहुत अहम है।

साथियो, ‘मन की बात’ को लेकर मुझे इस बार एक और खास संदेश यूनेस्को की डीजी औद्रे ऑजुले (Audrey Azoulay) का आया है। उन्होंने सभी देशवासियों को सौ एपिसोड्स (100th Episodes) की इस शानदार यात्रा के लिये शुभकामनायें दी हैं। साथ ही, उन्होनें कुछ सवाल भी पूछे हैं। आइये, पहले यूनेस्को की डीजी के मन की बात सुनते हैं।

#ऑडियो (यूनेस्को डीजी)#
डीजी यूनेस्को—नमस्ते महामहिम, प्रिय प्रधानमंत्री यूनेस्को की ओर से मैं आपको ‘मन की बात’ रेडियो प्रसारण की 100वीं कड़ी का हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद देती हूं। यूनेस्को और भारत का एक लंबा साझा इतिहास रहा है। हमारे शासनादेश के सभी क्षेत्रों— शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और सूचना में हमारी एक बहुत मजबूत भागीदारी है और मैं आज इस अवसर पर शिक्षा के महत्व के बारे में बात करना चाहूंगी। यूनेस्को यह सुनिश्चित करने के लिए अपने सदस्य देशों के साथ काम कर रहा है कि 2030 तक

दुनिया में हर किसी की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच हो। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी के साथ, क्या आप इस उद्देश्य को प्राप्त करने का भारतीय तरीका बता सकते हैं? यूनेस्को संस्कृति को बढ़ावा देने और विरासत की रक्षा के लिए भी काम करता है और भारत इस साल जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। इस कार्यक्रम के लिए विश्व के नेता दिल्ली आएंगे। महामहिम, भारत कैसे संस्कृति और शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय एजेंडे में सबसे ऊपर रखना चाहता है? मैं एक बार फिर इस अवसर के लिए आपको धन्यवाद देती हूं और आपके माध्यम से भारत के लोगों को अपनी शुभकामनाएं देती हूं…जल्द ही मिलेंगे। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

प्रधानमंत्री मोदी—धन्यवाद, महामहिम। मुझे 100वें ‘मन की बात’ कार्यक्रम में आपसे बातचीत करके खुशी हो रही है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि आपने शिक्षा और संस्कृति के अहम मुद्दों को उठाया है।

साथियो, यूनेस्को की डीजी ने Education और Cultural Preservation, यानी शिक्षा और संस्कृति संरक्षण को लेकर भारत के प्रयासों के बारे में जानना चाहा है। ये दोनों ही विषय ‘मन की बात’ के पसंदीदा विषय रहे हैं।

बात शिक्षा की हो या संस्कृति की, उसके संरक्षण की बात हो या संवर्धन की, भारत की यह प्राचीन परंपरा रही है। इस दिशा में आज देश जो काम कर रहा है, वो वाकई बहुत सराहनीय है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति हो या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का विकल्प हो, शिक्षा में प्रौद्योगिकी एकीकरण हो, आपको ऐसे अनेक प्रयास देखने को मिलेंगे। वर्षों पहले गुजरात में बेहतर शिक्षा देने और ड्रॉपआउट रेट्स को कम करने के लिए ‘गुणोत्सव और शाला प्रवेशोत्सव’ जैसे कार्यक्रम जनभागीदारी की एक अद्भुत मिसाल बन गए थे। ‘मन की बात’ में हमने ऐसे कितने ही लोगों के प्रयासों को प्रमुखता से बताया है, जो नि:स्वार्थ भाव से शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं। आपको याद होगा, एक बार हमने ओडिशा में ठेले पर चाय बेचने वाले स्वर्गीय डी. प्रकाश राव जी के बारे में चर्चा की थी, जो गरीब बच्चों को पढ़ाने के मिशन में लगे हुए थे। झारखण्ड के गांवों में डिजिटल लाइब्रेरी चलाने वाले संजय कश्यप जी हों, कोविड के दौरान ई-लर्निंग के जरिये कई बच्चों की मदद करने वाली हेमलता एन.के. जी हों, ऐसे अनेक शिक्षकों के उदाहरण हमने ‘मन की बात’ में लिये हैं। हमने सांस्कृतिक संरक्षण के प्रयासों को भी ‘मन की बात’ में लगातार जगह दी है।

लक्षदीप का कुम्मेल ब्रदर्स चैलेंजर्स क्लब (Kummel Brothers Challengers Club) हो, या कर्नाटक के ‘क्वेमश्री’ जी ‘कला चेतना’ जैसे मंच हो, देश के कोने-कोने से लोगों ने मुझे चिट्ठी लिखकर ऐसे उदाहरण भेजे हैं। हमने उन तीन प्रतियोगिताओं को लेकर भी बात की थी, जो देशभक्ति पर ‘गीत’ ‘लोरी’ और ‘रंगोली’ से जुड़े थे। आपको ध्यान होगा, एक बार हमने देश भर के स्टोरी टेलर्स से कथा वाचन के माध्यम से शिक्षा की भारतीय विधाओं पर चर्चा की थी। मेरा अटूट विश्वास है कि सामूहिक प्रयास से बड़े से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। इस साल हम जहां आजादी के अमृतकाल में आगे बढ़ रहे हैं, वहीं G-20 की अध्यक्षता भी कर रहे हैं। यह भी एक वजह है कि शिक्षा के साथ-साथ विविध वैश्विक संस्कृतियां को समृद्ध करने के लिये हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है।

चरैवेति, चरैवेति, चरैवेति

मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे उपनिषदों का एक मंत्र सदियों से हमारे मानस को प्रेरणा देता आया है।

चरैवेति चरैवेति चरैवेति।
चलते रहो-चलते रहो-चलते रहो।

आज हम इसी चरैवेति, चरैवेति की भावना के साथ ‘मन की बात’ का 100वां एपिसोड पूरा कर रहे हैं। भारत के सामाजिक ताने-बाने को मजबूती देने में ‘मन की बात’ किसी भी माला के धागे की तरह है, जो हर मनके को जोड़े रखता है। हर एपिसोड में देशवासियों के सेवा और सामर्थ्य ने दूसरों को प्रेरणा दी है। इस कार्यक्रम में हर देशवासी, दूसरे देशवासी की प्रेरणा बनता है। एक तरह से ‘मन की बात’ का हर एपिसोड अगले एपिसोड के लिए जमीन तैयार करता है। ‘मन की बात’ हमेशा सद्भावना, सेवा-भावना और कर्तव्य-भावना से ही आगे बढ़ा है। आज़ादी के अमृतकाल में यही पाजिटिविटी देश को आगे ले जाएगी, नई ऊंचाई पर ले जाएगी और मुझे खुशी है कि ‘मन की बात’ से जो शुरुआत हुई, वो आज देश की नई परंपरा भी बन रही है। एक ऐसी परंपरा जिसमें हमें सबका प्रयास की भावना के दर्शन होते हैं।

साथियो, मैं आज आकाशवाणी के साथियों को भी धन्यवाद दूंगा जो बहुत धैर्य के साथ इस पूरे कार्यक्रम को रिकॉर्ड करते हैं। वो अनुवादकों, जो बहुत ही कम समय में, बहुत तेज़ी के साथ ‘मन की बात’ का विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करते हैं, मैं उनका भी आभारी हूं। मैं दूरदर्शन के और MyGov के साथियों को भी धन्यवाद देता हूं। देशभर के टीवी चैनल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोग, जो ‘मन की बात’ को बिना कमर्शियल ब्रेक के दिखाते हैं, उन सभी का मैं आभार व्यक्त करता हूं और आखिरी में मैं उनका भी आभार व्यक्त करूंगा, जो ‘मन की बात’ की कमान संभाले हुए हैं– भारत के लोग, भारत में आस्था रखने वाले लोग। ये सब कुछ आपकी प्रेरणा और ताकत से ही संभव हो पाया है।

साथियो, वैसे तो मेरे मन में आज इतना कुछ कहने को है कि समय और शब्द दोनों कम पड़ रहे हैं, लेकिन मुझे विश्वास है कि आप सब मेरे भावों को समझेंगे, मेरी भावनाओं को समझेंगे। आपके परिवार के ही एक सदस्य के रूप में ‘मन की बात’ के सहारे आपके बीच में रहा हूं, आपके बीच में रहूंगा। अगले महीने हम एक बार फिर मिलेंगे। फिर से नए विषयों और नई जानकारियों के साथ देशवासियों की सफलताओं को सेलिब्रेट करेंगे, तब तक के लिए मुझे विदा दीजिये और अपना और अपनों का खूब ख्याल रखिए। बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार।