हमारे लिए राष्ट्र कोई सत्ता या सरकार की व्यवस्था नहीं है, बल्कि राष्ट्र एक जीवित आत्मा है : नरेन्द्र मोदी

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भारत सरकार ने सुनिश्चित किया कि महामारी के बीच 80 करोड़ से अधिक भारतीयों को
मुफ्त राशन मिले। यह हमारी प्रतिबद्धता है कि कोई भी भारतीय भूखा न रहे

त सात फरवरी को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के संसद में अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण से पहले लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि अपनी बात रखने से पहले मैं लता दीदी को श्रद्धांजलि देना चाहूंगा। अपनी आवाज के माध्यम से उन्होंने देश की एकता को मजबूत किया।

श्री मोदी ने नए संकल्प लेने और राष्ट्र निर्माण के कार्य में फिर से समर्पित होने के लिए वर्तमान कालखंड के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव, यह सोचने का प्रेरक अवसर है कि आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक नेतृत्व की भूमिका कैसे निभा सकता है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में विकास के कई कदम उठाए हैं। इसके अलावा, उन्होंने आगे कहा कि कोरोना काल के बाद एक नई विश्व व्यवस्था तेजी से आकार ले रही है। यह एक ऐसा महत्वपू्र्ण मोड़ है, जहां हमें भारत के रूप में इस अवसर को गंवाना नहीं चाहिए।

लोकतंत्र की बात करते हुए श्री मोदी ने कहा कि हम सब संस्कार, स्वभाव से, व्यवस्था से लोकतंत्र के प्रतिबद्ध लोग हैं और सदियों से हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि लेकिन ये भी सही है कि आलोचना जीवंत लोकतंत्र का एक आभूषण है] लेकिन अंध विरोध लोकतंत्र का अनादर है।

श्री मोदी ने 100 साल पहले आई महामारी का भी जिक्र किया और कहा कि तब ज्यादातर मौतें भूख के कारण हुई थीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस महामारी में भूख से एक भी भारतीय की जान नहीं गई और इसके लिए जो उपाय किया गया, वह सबसे बड़े सामाजिक सुरक्षा उपायों में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सुनिश्चित किया कि महामारी के बीच 80 करोड़ से अधिक भारतीयों को मुफ्त राशन मिले। यह हमारी प्रतिबद्धता है कि कोई भी भारतीय भूखा न रहे।

श्री मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की नई मानसिकता के बारे में भी बात की, जिसे आधुनिक नीतियों के जरिए आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने नए क्षेत्रों को खोलकर देश की प्रतिभाओं और युवाओं के सामर्थ्य का उपयोग करने पर प्रकाश डाला। हाल के समय में क्वालिटी यूनिकॉर्न में वृद्धि की चर्चा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि हम यह नहीं मानते कि केवल सरकारें सभी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। हम देश के लोगों और देश के युवाओं में विश्वास करते हैं। उदाहरण के लिए स्टार्ट-अप सेक्टर को ले लीजिए। स्टार्ट-अप की संख्या बढ़ी है और यह हमारे लोगों के सामर्थ्य को दिखाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम अपने युवाओं, वेल्थ क्रिएटर्स और उद्यमियों को डराने के दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले सिर्फ 500 स्टार्टअप थे। पिछले 7 वर्षों में 60 हजार स्टार्टअप सामने आए और भारत के यूनिकॉर्न सेंचुरी बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। स्टार्टअप्स के मामले में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।

उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ का मजाक बनाना भारत की उद्यमिता, भारत के युवाओं और मीडिया उद्योग का अपमान है। उन्होंने यह भी कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना राष्ट्र सेवा का काम है।
श्री मोदी ने कहा कि हमारे लिए राष्ट्र कोई सत्ता या सरकार की व्यवस्था नहीं है, बल्कि राष्ट्र एक जीवित आत्मा है। उन्होंने पुराणों और महान कवि सुब्रमण्यम भारती का हवाला देते हुए भारत की व्यापक अवधारणा के बारे में विस्तार से बताया, जहां भारत को जीवित आत्मा के रूप में माना जाता है। प्रधानमंत्री ने अमृत काल की पावन अवधि में राजनीतिक दलों, नागरिकों और युवाओं से सकारात्मक भावना के साथ योगदान करने का आह्वान करते हुए अपनी बात पूरी की।