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विकास के मजबूत सहयोगी

हाल ही में नई दिल्ली में प्रवासी भारतीय दिवस पर प्रथम प्रवासी भारतीय सांसद सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें 23 देशों के 124 सांसद और 17 मेयर शामिल हुए। इस सम्मेलन में देश के विकास में प्रवासी भारतीय सांसदों से सहयोग की नई चमकीली संभावनाएं दिखाई दीं और प्रवासियों के माध्यम से यह बात उभरकर सामने आई कि प्रवासी भारतीय सांसद नये भारत के निर्माण में आर्थिक सहभागी बनेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रवासी भारतीय सांसद सम्मेलन में प्रवासी भारतीय सांसदों का अभिनंदन करते हुए प्रवासी भारतीयों को भारत की महान पूंजी की संज्ञा दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रवासी भारतीयों ने नई ऊंचाइयों को पाने के लिए तमाम देशों में संघर्ष किया है और दुनिया भर में भारत की खुशबू फैलाई है। साथ ही भारत को नई पहचान दी है।

उन्होंने कहा कि अब समय बदल गया है, भारत नई शक्ति के साथ उठ रहा है। दुनिया का भारत के प्रति नजरिया बदला है। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष भारत की सराहना करते हुए दिखाई दे रहे हैं। प्रवासी भारतीयों की तरफ से वर्ष 2017 में भारत में निवेश का सराहनीय सहयोग दिया गया। सम्मेलन में मोदी ने प्रवासी भारतीय सांसदों की उत्साहपूर्ण मौजूदगी में उनके सपनों का समृद्ध और शक्तिशाली भारत बनाने का संकल्प व्यक्त करने के साथ प्रवासी भारतीयों से देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने का आह्वान भी किया।

गौरतलब है कि प्रवासी भारतीयों को एक साझा मंच देने और उन्हें देश से जोड़ने के लिए 2003 से जनवरी माह में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर देश के उद्यमी, कारोबारी, राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के द्वारा दुनिया के कोने-कोने से आए भारतवंशियों को देश के लिए लुभाने और देश के प्रति स्नेह भाव पैदा करने का प्रयास किया जाता है। प्रवासी भारतीय सांसदों के पहले सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रवासी सांसदों का आकर्षण इसलिए बढ़ा हुआ था, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साढ़े तीन साल में प्रवासियों में उत्साह व देश प्रेम पैदा किया है। अपने प्रभावपूर्ण भाषण से प्रवासियों को देश से जोड़ने का प्रयास किया है।

विदेशों में विभिन्न सभाओं में एक ओर उन्होंने देश में पूंजी की जरूरत के लिहाज से प्रवासियों की भूमिका को महत्त्वपूर्ण बताया था। वहीं दूसरी ओर उन्होंने प्रवासियों की सुविधाओं के लिए अभूतपूर्व घोषणाएं भी की। स्थिति यह है कि उन्होंने जो घोषणाएं की, उन्हें सरकार ने देखते ही देखते अमलीजामा भी पहना दिया। उल्लेखनीय है कि दुनिया के करीब 200 देशों में रह रहे करीब 3.80 करोड़ प्रवासी भारतीय देश की आर्थिक-सामाजिक तस्वीर को बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। दुनिया के तीन देशों में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री हैं।

आयरलैंड में भारतीय मूल के लिए वरदाकर, पुर्तगाल में एंटोनियो लुईस द कोस्टा और मॉरिशस में प्रविन्द जगन्नाथ प्रधानमंत्री हैं। इसके अलावा अमेरिका, गुयाना, पुर्तगाल में भारतीय मूल के लग कैबिनेट मंत्री भी हैं। कनाडा में 4 मंत्री भारतीय मूल के हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि विदेशों में रह रहे भारतीय कारबारियों, वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और उद्योगपतियों की प्रभावी भूमिका दुनिया के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं में सराही जा रही है। प्रवासी भारतीय विकसित देशों के सबसे महत्त्वपूर्ण विकास सहभागी बन गए हैं। यह सर्वविदित तय है कि पूरी दुनिया में प्रवासी भारतीयों और विदेशों में कार्य कर रही भारत की नई पीढ़ी की श्रेष्ठता को स्वीकार्यता मिली है। दुनिया के कई राष्ट्र प्रमुखों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं में प्रवासी भारतीयों के योगदान का कई बार उल्लेख किया है। कहा गया है कि भारतीय प्रवासी ईमानदार, परिश्रमी और समर्पण का भाव रखते हैं। आईटी, कम्प्यूटर, मैनेजमेंट, बैंकिंग, वित्त आदि के क्षेत्र में दुनिया में भारतीय प्रवासी सबसे आगे हैं। चूंकि अधिकांश प्रवासी भारतीय भारत के प्रति स्नेह और आत्मीयता का भाव रखते हैं और प्रवासियों की नई पीढ़ी भी उत्साह से भरे भावों के साथ भारत को बुलंदी पर रखने की इच्छा रखती है। स्थिति यह है कि अब प्रवासियों के सहयोग से सहभागिता की एक नई चमकीली रेखा उभरकर दिखाई दे रही है। (मुख्यांश)

— •(जयंतीलाल भंडारी, राष्ट्रीय सहारा, जनवरी 11,2018)