वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रिकर चौथी बार गोवा के मुख्यमंत्री बने। गत 14 मार्च को श्री पर्रिकर ने गोवा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा ने उन्हें शपथ दिलाई। उनके साथ आठ मंत्रियों ने भी शपथ ली। मंत्री पद की शपथ लेने वाल में फ्रांसिस डिसूजा, पांडुरंग मडकैकर, विजय सरदेसाई, सुदिन धवलीकर, एमजीपी के विधायक त्रयंबक अजगांवकर और निर्दलीय विधायक रोहन खाउंते भी शामिल रहे। फ्रांसिस डिसूजा गोवा के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी भी उपस्थित रहे।
मनोहर पर्रिकर ने साबित किया बहुमत, 22 विधायकों का मिला समर्थन
गोवा विधानसभा में भाजपा ने 16 मार्च को बहुमत साबित कर दिया। मुख्यमंत्री श्री मनोहर पर्रिकर को 22 विधायकों का समर्थन मिला। विश्वास मत परीक्षण के समर्थन में 22 विधायकों ने वोट दिए, जबकि विरोध में 16 विधायकों ने वोट दिए। वहीं एक विधायक अनुपस्थित रहा। कांग्रेस विधायक श्री विश्वजीत राणे ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। विदित हो कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद श्री मनोहर पर्रिकर को 16 मार्च तक अपना बहुमत साबित करना था।
केन्द्रीय रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले और चौथी बार गोवा के मुख्यमंत्री बनने वाले 61 वर्षीय श्री पर्रिकर को अपने गठबंधन के सहयोगियों गोवा फारवर्ड पार्टी (जीएफपी), महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (एमजीपी) और निर्दलियों ने समर्थन दिया। भाजपा के 13 विधायक हैं। आईआईटी से पढ़ाई करने वाले श्री पर्रिकर ने जीएफपी, एमजीपी के अलावा दो निर्दलियों के समर्थन से कुल 21 सदस्यों के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया था। एक अन्य निर्दलीय विधायक ने गठबंधन को समर्थन दिया था जिससे यह संख्या बढ़कर 22 हो गई।
राज्य के विकास के लिए मिला समर्थन : मनोहर पर्रिकर
शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री श्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि अगर आपके (कांग्रेस) पास समर्थन था तो राज्यपाल के पास क्यों नहीं गए। भाजपा को गोवा में सरकार बनाने के लिए जो समर्थन मिला है वो राज्य के विकास के लिए मिला है। कोई भी विधायक कांग्रेस को समर्थन देने को तैयार नहीं था। मैं मानता हूं कि जनादेश खंडित है, लेकिन 22 विधायकों के समर्थन के साथ वोट शेयर जरूरत से ज्यादा है। ये चुनाव के बाद वाला गठबंधन है।