सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी वृद्धि, गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 110 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा

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सफेद सरसों और सरसों के लिए अधिकतम रिटर्न की दर 104 प्रतिशत है तथा यह रिटर्न गेहूं के लिए 100 प्रतिशत, मसूर के लिए 85 प्रतिशत; चने के लिए 66 प्रतिशत; जौ के लिए 60 प्रतिशत; और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 18 अक्टूबर को विपणन सीजन 2023-24 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में भारी वृद्धि को मंजूरी दे दी।

केंद्र सरकार ने रबी फसलों के विपणन सीजन 2023-24 के लिए एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके। मसूर के लिए 500/- रुपये प्रति क्विंटल और इसके बाद सफेद सरसों व सरसों के लिए 400/- रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी में पूर्ण रूप से उच्चतम वृद्धि को मंजूरी दी गई। कुसुम के लिए 209/- रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को मंजूरी दी गई। गेहूं, चना और जौ के लिए क्रमशः 110 रुपये प्रति क्विंटल और 100 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को मंजूरी दी गई।

Jagat Prakash Nadda on Twitter: "आज आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi  जी के नेतृत्व में हमारे किसान भाईयों को एक और सौगात देते हुए कैबिनेट ने  विपणन सीजन 2023 ...

विपणन सीजन 2023-24 के लिए रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के 1.5 गुना के स्तर पर तय किया गया है, जिसका लक्ष्य किसानों के लिए उचित पारिश्रमिक तय करना है। सफेद सरसों और सरसों के लिए अधिकतम रिटर्न की दर 104 प्रतिशत है, इसके बाद गेहूं के लिए 100 प्रतिशत, मसूर के लिए 85 प्रतिशत है; चने के लिए 66 प्रतिशत; जौ के लिए 60 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है।

वर्ष 2014-15 से तिलहन और दलहन के उत्पादन को बढ़ाने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया है। इन प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। तिलहन उत्पादन 2014-15 में 27.51 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 37.70 मिलियन टन (चौथा अग्रिम अनुमान) हो गया है। दलहन उत्पादन में भी इसी तरह की वृद्धि की प्रवृत्ति दर्ज की गई है।

2014-15 के बाद से दलहन और तिलहन की उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई है। दलहन के मामले में उत्पादकता 728 किग्रा/हेक्टेयर (2014-15) से बढ़कर 892 किग्रा/हेक्टेयर हो गई है (चौथा अग्रिम अनुमान, 2021-22) अर्थात इसमें 22.53 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार तिलहन फसलों में

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राष्ट्र के विकास में हमारे किसान भाई-बहन अहम भागीदार हैं। उन्हें और सशक्त बनाने के लिए सरकार ने आज गेहूं, मसूर, चना और जौ सहित सभी अनिवार्य रबी फसलों की एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी है। ये निर्णय कृषि क्षेत्र को और अधिक ऊर्जावान बनाएगा।

— नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री

आज आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारे किसान भाइयों को एक और सौगात देते हुए कैबिनेट ने विपणन सीजन 2023-24 के लिए रबी की 6 फसलों के एमएसपी में वृद्धि को स्वीकृति दी। अन्नदाताओं की आय को दोगुना करने के लिए संकल्पित मोदी सरकार। प्रधानमंत्री जी का आभार।
— जगत प्रकाश नड्डा, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष

उत्पादकता 1075 किग्रा/हेक्टेयर (2014-15) से बढ़कर 1292 किग्रा/हेक्टेयर (चौथा अग्रिम अनुमान, 2021-22) हो गई है।

केंद्र सरकार की प्राथमिकता तिलहन और दलहन के उत्पादन को बढ़ाते हुए ‘आत्मनिर्भर भारत’ के उद्देश्य को पूरा करना है। तैयार की गई रणनीतियां क्षेत्र के विस्तार, उच्च उपज वाली किस्मों (एचवाईवी), एमएसपी समर्थन और खरीद के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने के लिए हैं।

भारतीय रेलवे ने शुरू किए 15 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल

रेल मंत्रालय द्वारा 19 अक्टूबर को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार अब तक 15 ‘गति शक्ति मल्टी-मोडल कार्गो टर्मिनल’ (जीसीटी) चालू किए जा चुके हैं और जीसीटी के विकास के लिए लगभग 96 और स्थानों की अनंतिम रूप से पहचान की गई है। अगले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान 100 गति शक्ति कार्गो टर्मिनलों को चालू करने का लक्ष्य रखा गया है। दरअसल, उद्योग की मांग और कार्गो यातायात की क्षमता के आधार पर जीसीटी के स्थान तय किए जा रहे हैं।