समृद्ध भारत का समावेशी बजट

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मृतकाल के पहले बजट से आने वाले 25 वर्षों में एक विकसित एवं समृद्ध भारत की आकांक्षाओं को पूर्ण करने का दृढ़ संकल्प परिलक्षित हो रहा है। एक ओर जहां केंद्रीय बजट 2023-24 ने एक गौरवशाली भविष्य की नींव रखी है, वहीं दूसरी ओर गरीब, वंचित, किसान, मजदूर, मध्यम वर्ग, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिला एवं युवा के सशक्तीकरण एवं सुदृढ़ करने का लक्ष्य इसमें दिख रहा है। इस बजट की दृष्टि को सात प्राथमिकताओं को ‘सप्तऋषि’ के रूप में देखा जा सकता है, जो हर क्षेत्र को सुदृढ़ करते हुए विकास का ‘अमृत’ हर व्यक्ति तक पहुंचाने के संकल्प से प्रेरित है। समावेशी विकास को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने पर बल देते हुए अवसंरचना एवं निवेश को बढ़ावा, क्षमता विस्तार, हरित विकास पर जोर, युवा शक्ति एवं वित्तीय क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण के माध्यम से यह बजट हर व्यक्ति के लिए अवसरों के द्वार खोल रहा है। यह बजट अर्थव्यवस्था में त्वरित विकास एवं अर्थव्यवस्था के मानदंडों में स्थिरता के माध्यम से रोजगार सृजन कर युवाओं की आकांक्षाओं की पूर्ति करने वाला है। बजट का लक्ष्य एक ‘आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था’ के निर्माण का है जो प्रौद्योगिकी युक्त, ज्ञान केंद्रित तथा भविष्योन्मुखी लक्ष्यों से परिपूर्ण है।

देश की अर्थव्यवस्था आज एक मजबूत स्थिति में है। विभिन्न प्रावधानों के माध्यम से बजट 2023-24 लोगों की आर्थिक स्थिति को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा। एक ओर मध्यम वर्ग को आयकर में भारी राहत दी गई है, वहीं दूसरी ओर पूंजीगत व्यय में 33 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी की गई है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सुदृढ़ एवं दूरदर्शी नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था कई नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। कभी कांग्रेसनीत यूपीए के दौर में दहाई आंकड़े की मुद्रास्फीति, पाॅलिसी पैरालिसिस, विकास दर में गिरावट की पर्याय बन चुकी भारतीय अर्थव्यवस्था आज पूरे विश्व में एक चमकते सितारे के रूप में उभरी है। कोविड-19 वैश्विक महामारी एवं रूस-यूक्रेन युद्ध के परिणामस्वरूप जहां आज विश्व भर में आर्थिक संकट गहराया हुआ है, भारत न केवल उन परिस्थितियों से उबरा है, बल्कि विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तीव्र गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है। आज प्रति व्यक्ति आय पिछले नौ वर्षों में दुगुनी हो चुकी है तथा भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में 10वें पायदान से उठकर आज पांचवें स्थान पर आ चुकी है। इतना ही नहीं, कोविड-19 वैश्विक महामारी एवं रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भी भारत में अत्यंत गरीबी की दर 1 प्रतिशत से भी कम हो चुकी है तथा पिछले डेढ़ दशक में 41.5 करोड़ गरीबी रेखा से बाहर आ चुके हैं। सामाजिक क्षेत्र में निवेश दुगुना होकर 21.3 लाख करोड़ रुपए हो चुका है तथा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से बिचैलियों को हटाते हुए 27 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक लाभार्थियों के खातों में सीधे हस्तांरित किया गया है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था में कई संरचनात्मक एवं प्रशासनिक सुधार किए गए हैं, जिसका प्रभाव आज कई क्षेत्रों में क्षमता-विकास एवं चमत्कारी परिणामों के रूप में देखा जा सकता है।

देश की अर्थव्यवस्था आज एक मजबूत स्थिति में है। विभिन्न प्रावधानों के माध्यम से बजट 2023-24 लोगों की आर्थिक स्थिति को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा। एक ओर मध्यम वर्ग को आयकर में भारी राहत दी गई है, वहीं दूसरी ओर पूंजीगत व्यय में 33 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी की गई है। 157 नए नर्सिंग महाविद्यालय शुरू करने, प्रधानमंत्री आवास योजना में 66 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर 79,000 करोड़ का प्रावधान, गोवर्धन योजना के अंतर्गत 500 नए ‘वेस्ट टू वेल्थ’ प्लांट शुरू करने, 30 नए अंतरराष्ट्रीय कौशल केंद्र प्रारंभ करने, रेलवे के लिए अब तक का सर्वाधिक 2.40 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान, एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड की स्थापना, सभी महानगर एवं शहर में सेप्टिक टैंक एवं सीवर का यंत्रों द्वारा सफाई, एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी योजना, 2030 तक 5 एमएमटी हरित हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य, राज्यों को 50 वर्षों के लिए ब्याज रहित ऋण की व्यवस्था कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जो अर्थव्यवस्था को भविष्योन्मुखी दृष्टि के साथ आगे ले जाएंगे। आज जब देश प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के करिश्माई एवं मजबूत नेतृत्व में तेजी से आगे बढ़ रहा है, केंद्रीय वित्त एवं काॅरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को सर्वसमावेशी, भविष्योन्मुखी एवं विकासोन्मुखी बजट प्रस्तुत करने के लिए बधाई एवं अभिनंदन।

                                                                      shivshaktibakshi@kamalsandesh.org