भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का सर्वाधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया

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वित्त वर्ष 2003-04 की तुलना में भारत के एफडीआई में 20 गुना वृद्धि हुई है,
जब एफडीआई केवल 4.3 अरब अमेरिकी डॉलर था

भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हासिल किया जो अब तक किसी भी वित्त वर्ष में सबसे अधिक है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा 20 मई को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार वर्ष 2014-15 में भारत में केवल 45.15 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई आया था, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई अब तक का सर्वाधिक सालाना एफडीआई है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2003-04 की तुलना में भारत के एफडीआई में 20 गुना वृद्धि हुई है, जब एफडीआई केवल 4.3 अरब अमेरिकी डॉलर था।

पिछले चार वित्तीय वर्षों के दौरान रिपोर्ट किए गए कुल एफडीआई का विवरण इस प्रकार है:

क्र. सं. :        वित्त वर्ष         :एफडीआई की राशि (अरब अमेरिकी डॉलर में)

1.                2018-19         : 62.00
2.               2019-20        :74.39
3.                2020-21        :81.97
4.                2021-22        :83.57

दरअसल, भारत विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए एक पसंदीदा देश के रूप में तेजी से उभर रहा है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 (12.09 अरब अमेरिकी डालर) की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 (21.34 अरब अमेरिकी डॉलर) में विनिर्माण क्षेत्रों में एफडीआई इक्विटी में 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में निम्नलिखित प्रवृत्ति वैश्विक निवेशकों के बीच एक तरजीही निवेश गंतव्य के रूप में इसकी स्थिति का सबूत है।

इस बात पर गौर किया जा सकता है कि एफडीआई प्रवाह में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है– भारत में कोविड के बाद (मार्च, 2020 से मार्च, 2022: 171.84 अरब अमेरिकी डॉलर) कोविड से पहले एफडीआई (फरवरी, 2018 से फरवरी, 2020: 141.10 अरब अमेरिकी डॉलर) की जानकारी दी गई है।

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत में निवेश करने वाले शीर्ष निवेशक देशों के मामले में सिंगापुर 27 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर है। इसके बाद 18 प्रतिशत के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर और 16 प्रतिशत के साथ मॉरीशस तीसरे स्थान पर है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश में ‘कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर’ क्षेत्र में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश देखने को मिला है, जहां करीब 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ क्रमशः सेवा क्षेत्र (12 प्रतिशत) और ऑटोमोबाइल उद्योग (12 प्रतिशत) का स्थान है।

‘कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर’ क्षेत्र के तहत वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सबसे ज्यादा एफडीआई 53 प्रतिशत कर्नाटक में आया, तो दिल्ली में 17 प्रतिशत और महाराष्ट्र में भी 17 प्रतिशत रहा। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सबसे ज्यादा एफडीआई प्राप्त करने वाला राज्य कर्नाटक है, जहां 38 प्रतिशत एफडीआई आया है। इसके बाद 26 प्रतिशत के साथ महाराष्ट्र और 14 प्रतिशत के साथ दिल्ली का स्थान है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान कर्नाटक के अधिकांश इक्विटी प्रवाह ‘कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर’ (35 प्रतिशत), ऑटोमोबाइल उद्योग (20 प्रतिशत) और शिक्षा (12 प्रतिशत) क्षेत्रों में रिपोर्ट किए गए हैं।

भारत विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए एक पसंदीदा देश के रूप में तेजी से उभर रहा है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 (12.09 अरब अमेरिकी डालर) की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 (21.34 अरब अमेरिकी डॉलर) में विनिर्माण क्षेत्रों में एफडीआई इक्विटी में 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है

पिछले आठ वर्षों के दौरान केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के अच्छे परिणाम मिले हैं जो देश में प्राप्त एफडीआई प्रवाह की लगातार बढ़ती मात्रा से स्पष्ट है, जिसने नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। केंद्र सरकार एफडीआई नीति की लगातार समीक्षा करती है और महत्वपूर्ण बदलाव करती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत एक आकर्षक और निवेशकों के लिए उपयोगी स्थान है।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने एफडीआई के लिए एक उदार और पारदर्शी नीति बनाई है, जिसमें अधिकांश क्षेत्र स्वचालित मार्ग के तहत एफडीआई के लिए खुले हैं। कारोबार में आसानी और निवेशकों को आकर्षित करने की सुविधा प्रदान करने के लिए एफडीआई नीति को अधिक उदार और सरल बनाने के लिए हाल ही में कोयला खनन, अनुबंध निर्माण, डिजिटल मीडिया, एकल ब्रांड खुदरा व्यापार, नागरिक उड्डयन, रक्षा, बीमा और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में सुधार किए गए हैं।