‘भारत हमेशा से एक समुद्री सभ्यता रही है’

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 11 फरवरी को ‘वन ओशन शिखर सम्मेलन’ के उच्चस्तरीय सत्र को संबोधित किया। इस सम्मेलन के उच्चस्तरीय सत्र को जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण कोरिया, जापान, कनाडा सहित कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष व शासनाध्यक्ष ने संबोधित किया। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्वस्थ एवं समावेशी समुद्री इकोसिस्टम के संरक्षण और समर्थन की दिशा में ठोस कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करना है।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हमेशा से एक समुद्री सभ्यता रही है। हमारे प्राचीन ग्रंथ और साहित्य समुद्री जीवन समेत महासागरों के उपहारों का वर्णन करते हैं। श्री मोदी ने कहा कि आज हमारी सुरक्षा और समृद्धि महासागरों से जुड़ी हुई है। भारत की ‘भारत-प्रशांत महासागर पहल’ (इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव) में समुद्री संसाधनों को एक प्रमुख स्तंभ के रूप में शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा कि भारत, फ्रांसीसी पहल’ राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव-विविधता पर उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन’ (हाई एम्बिशन कोएलिशन ऑन बायो-डाइवर्सिटी बियॉन्ड नेशनल जूरिसडिक्सन) का समर्थन करता है।

श्री मोदी ने कहा कि हम इस साल अंतरराष्ट्रीय संधि की उम्मीद करते हैं, जो कानूनी रूप से बाध्यकारी हो। भारत एकल उपयोग प्लास्टिक (सिंगल यूज प्लास्टिक) को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने हाल ही में तटीय क्षेत्रों से प्लास्टिक और अन्य कचरे को साफ करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान चलाया है।

उन्होंने कहा कि तीन लाख युवाओं ने लगभग 13 टन प्लास्टिक कचरा एकत्र किया। मैंने अपनी नौसेना को इस साल समुद्र से प्लास्टिक कचरे को साफ करने के लिए 100 जहाज-दिवस का योगदान करने का भी निर्देश दिया है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत को एकल उपयोग प्लास्टिक पर एक वैश्विक पहल शुरू करने के लिए फ्रांस के साथ जुड़ने में खुशी होगी।

उल्लेखनीय है कि ‘वन ओशन शिखर सम्मेलन’ का आयोजन फ्रांस द्वारा संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के सहयोग से फ्रांस के ब्रेस्ट में 9-11 फरवरी के दौरान किया गया।