भारत के पास अंतरिक्ष में सटीकता के साथ लक्ष्य भेदने की क्षमता : डीआरडीओ

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भारत का उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी विकसित करने में देश की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है और यह कवच के तौर पर काम करेगा। यह बात 27 मार्च को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष श्री जी. सतीश रेड्डी ने कही। श्री रेड्डी ने कहा कि परियोजना के लिए मंजूरी करीब दो वर्ष पहले दी गई थी।

अंतरिक्ष में भारत द्वारा उपग्रह को मार गिराए जाने के बाद उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि है।” इससे देश अंतरिक्ष शक्तियों के चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है। श्री रेड्डी ने कहा कि परीक्षण के लिए उपयोग की गई प्रौद्योगिकी पूरी तरह स्वदेश में विकसित है। उपग्रह को मिसाइल से मार गिराया जाना दर्शाता है कि ‘‘हम ऐसी तकनीक विकसित करने में सक्षम हैं, जो सटीक दक्षता हासिल कर सकता है।”

डीआरडीओ के प्रमुख ने कहा, ‘‘उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण से हमारी क्षमता का पता चलता है और यह कवच के तौर पर काम करेगा।” उन्होंने कहा कि परियोजना को काफी तेजी से लागू किया गया और इस तरह के कार्यक्रम लागू करने में यह डीआरडीओ की क्षमता को दर्शाता है।

डीआरडीओ ने कहा कि एक बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) इंटरसेप्टर मिसाइल ने सफलतापूर्वक लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में भारतीय उपग्रह को ‘हिट टू किल’ मोड में निशाना बना लिया। इसने कहा, ‘‘इंटरसेप्टर मिसाइल तीन चरणों का मिसाइल था जिसमें दो ठोस रॉकेट बूस्टर थे। रेंज सेंसर से निगरानी में पुष्टि हुई कि मिशन ने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया।”

श्री रेड्डी ने कहा कि इस परीक्षण से बाहरी अंतरिक्ष में अपने संसाधनों की रक्षा करने की भारत की क्षमता का पता चलता है। साथ ही, विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि परीक्षण किसी देश के खिलाफ नहीं था और बाहरी अंतरिक्ष में भारत किसी हथियार दौड़ में शामिल नहीं होना चाहता है।