अभूतपूर्व पैमाने पर राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान चलाकर भारत 34 लाख से अधिक लोगों की जान बचाने में था सक्षम

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स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने पिछले दिनों स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस द्वारा ‘हीलिंग द इकोनॉमी: एस्टिमेटिंग द इकोनॉमिक इम्पैक्ट ऑफ इंडियाज वैक्सीनेशन एंड रिलेटेड मेजर’ शीर्षक से वर्किंग पेपर जारी किया। प्रमुख बिंदु निम्न हैं :

लॉकडाउन का प्रभाव

 स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सांख्यिकीय विश्लेषण के अनुसार 11 अप्रैल, 2010 तक बिना लॉकडाउन के कोविड-19 की संख्या लगभग 2 लाख (0.2 मिलियन) तक पहुंच सकती थी।
 लॉकडाउन के उपायों के कारण 11 अप्रैल, 2020 तक वास्तविक मामले सिर्फ तकरीबन 7500 तक पहुंच पाए, जिससे लॉकडाउन के पक्ष में स्थिति मज़बूत हुई।
 लॉकडाउन लागू करके 20 लाख मृत्यु की क्षति को टाला गया।
 आर्थिक सर्वेक्षण (2020-21) के अनुसार लॉकडाउन (मार्च-अप्रैल) के कारण 1,00,000 लोगों की जान बचायी गयी।
 कोविड-19 के 2,00,000 मामले सामने आ चुके होते अगर 11 अप्रैल, 2020 तक लॉकडाउन और नियंत्रण जैसे उपाय नहीं अपनाये गये होते।
 भारत मार्च-अप्रैल 2020 में लॉकडाउन के माध्यम से 1,00,000 (0.1 मिलियन) से अधिक जीवन रक्षा में सक्षम था। इसके अलावा, देश को अपने 100 शुरुआती मामलों से चरम तक पहुंचने में तकरीबन 175 दिन लगे, जबकि अधिकांश देश अपने पहले चरम पर पहुंच चुके थे। 50 दिनों से कम समय में (रूस, कनाडा, फ्रांस, इटली, जर्मनी आदि) शामिल थे।

वित्तीय पैकेज

 वित्तीय नीति के उपायों ने आर्थिक गतिविधियों पर सकारात्मक प्रभाव डाला और बेरोज़गारी को कम किया।
 मई 2020 में भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद के तकरीबन 10 फीसदी के राहत पैकेज की घोषणा की– लगभग 20 लाख करोड़ रुपये (तकरीबन 282 बिलियन डॉलर)।
 महामारी के शुरुआती महीनों में भोजन तथा रसोई गैस के रूप में सहायता प्रदान करने वाले उपरोक्त उपायों के क्षेत्र में राहत प्रतिक्रिया अधिक थी। इस दिशा में कम आय वाले परिवारों को कैश ट्रांसफर, कम वेतन वाले श्रमिकों के लिये रोजगार का प्रावधान, स्वास्थ्य सेवा संबंधी क्षेत्र के श्रमिकों के लिये बीमा कवरेज जैसे उपाय शामिल थे।
 अक्टूबर और नवंबर, 2020 के दौरान घोषित उपायों में कुछ क्षेत्रों के लिये सहायता योजनाएं शामिल थीं, जिनमें से कुछ में व्यवसायों और गरीब परिवारों को ऋण सहायता तथा कुछ क्षेत्रों के लिये लक्षित सहायता शामिल थी।
 प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में 89-94 फीसदी परिवार पैकेज में सीधे कैश ट्रांसफर से लाभांवित हुए और इस प्रकार कृषि क्षेत्र के लिये ऋण बाधाओं को कम करने पर सरकार के पैकेज का सकारात्मक असर देखा गया।
 दिल्ली में 75 फीसदी प्रवासी मज़दूर राहत उपायों से लाभांवित हुए।
 ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ पैकेज जीडीपी के तकरीबन 10 फीसदी तक पहुंच गया।
 एमएसएमई पर घोषित राहत पैकेजों का आर्थिक असर 110.18 अरब डॉलर के बराबर है। यह सकल घरेलू उत्पाद के तकरीबन 5.38 फीसदी है।
 अगर 9 फीसदी का शटडाउन दर लागू की जाये तो संख्या घटकर 100.26 बिलियन डालर हो जायेगी, जो कि सकल घरेलू उत्पाद के 4.90 फीसदी के आसपास बैठती है।

सामाजिक क्षेत्र एवं रोजगार पर प्रभाव

 प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का अार्थिक प्रभाव 26.24 अरब डॉलर है।
 वृद्धों, महिलाओं, किसानों तथा श्रमिक वर्ग के लोगों को शामिल करने वाले एक व्यापक पैकेज के साथ पीएमजीकेवाई ने यह सुनिश्चित किया कि इन लोगों की आजीविका पर प्रभाव कुछ हद तक कम हो, जबकि दूसरी तरफ पीएमजीकेएवाई के तहत मुफ्त भोजन वितरित करके सरकार ने गरीब लोगों के लिये यह सुनिश्चित किया कि कोई भी भूखा न सोए।
 59,84,256 लाभार्थियों ने ‘आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना’ का लाभ उठाया। योजना का आर्थिक प्रभाव 7 बिलियन डालर रहा।
 ‘पीएम गरीब कल्याण रोजगार योजना’ के माध्यम से 50.78 करोड़ मानव दिवस के अवसर प्रदान किये गए।
 यह देखते हुए कि यह योजना एक व्यक्ति के लिये 125 दिनों के रोजगार की पेशकश करती है। लाभार्थियों की गणना 50.78 करोड़ मानव दिवस/125 दिनों के तौर पर की जा सकती है। इस तरह योजना के लाभार्थियों की संख्या 40,62,400 हो जाती है।
 इस योजना का आर्थिक प्रभाव 4.81 अरब डॉलर रहा।

कृषि पर प्रभाव

 नाबार्ड योजना के तहत 30,000 करोड़ रुपये (4.23 बिलियन डॉलर) स्वीकृत किये गये थे, जिसमें से 25,000 करोड़ रुपये (3.52 बिलियन डॉलर) सहकारी समितियों, जिला सहकारी समितियों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को वितरित किये गए।
 सरकार ने नाबार्ड द्वारा पूर्व में स्वीकृत 90,000 करोड़ रुपये (12.70 बिलियन डॉलर) से अधिक के आपातकालीन पूंजी कोष की घोषणा की।
 ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ के तहत 8 लाख से अधिक लाभार्थियों ने खुद को नामांकित किया और मछुआरों के कल्याण के लिये तकरीबन 361 करोड़ रुपये (0.05 बिलियन डॉलर) की राशि खर्च की गयी थी। यह महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह क्षेत्र प्राथमिक स्तर पर और मूल्य शृंखला के साथ लगभग दोगुनी संख्या में तकरीबन 16 मिलियन मछुआरों तथा मत्स्य किसानों को आजीविका प्रदान करता है।
 फार्म गेट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिये कृषि आधारभूत संरचना कोष अनिवार्य रूप से पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर तथा कम्युनिटी फर्मिंग प्रोजेक्ट्स में निवेश के लिये दीर्घ अवधि ऋण वित्तपोषण योजना का माध्यम था।
 इस योजना ने 7677 करोड़ रुपये (1.08 बिलियन डॉलर) की कुल सहायता के साथ तकरीबन 10,394 परियोजनाओं की मदद की।
 चौथी योजना; किसान क्रेडिट कार्ड, एक ऐसी योजना थी जिसमें पीएम-किसान लाभार्थियों के कवरेज पर विशेष ध्यान देने के साथ पशुपालन, डेयरी तथा मत्स्य पालन करने वाले किसानों सहित सभी किसानों को संस्थागत रियायती ऋण तक सार्वभौमिक पहुंच पदान करने की परिकल्पना की गयी।
 यह योजना लगभग 2,00,000 करोड़ रुपये (28.21 बिलियन डॉलर) के परिव्यय के साथ लगभग 1,35,000 करोड़ रुपये (19.04 बिलियन डॉलर) की स्वीकृत क्रेडिट सीमा के साथ तकरीबन 2.5 करोड़ लाभार्थियों को कवर करती है।
 पांचवीं योजना; ऑपरेशन ग्रीन योजना का उद्देश्य फलों और सब्जियों के उत्पादकों को लॉकडाउन के कारण संकट में बिक्री करने से बचाना और फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करना था।
 इसमें दो घटकों की लागत के 50 फीसदी की दर से सब्सिडी शामिल है; अधिशेष उत्पादन क्लस्टर से उपभोग केन्द्र तक पात्र फसलों का परिवहन और पात्र फसलों के लिये। उपयुक्त भंडारण सुविधाओं को किराये पर लेना (अधिकतम 3 महीने की अवधि के लिये)।
 महामारी से पहले, इस योजना में टमाटर, प्याज और आलू शामिल थे; हालांकि महामारी को देखते हुए इस योजना का विस्तार 41 अधिसूचित फलों और सब्जियों (अल्पावधि) तथा फलों और सब्जियों (दीर्घकालिक) तक किया गया।
 संख्या के संदर्भ में योजना को 38.22 करोड़ रुपये (5.39 मिलियन डॉलर) का आवंटन मिला, जिसमें से 38.21 करोड़ रुपये (5.38 मिलियन डॉलर) वितरित किये गए।
 छठी योजना; राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन तथा शहद मिशन के तहत 88 करोड़ रुपये (12.41 मिलियन डॉलर) की राशि वाली 45 परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी।
49.4 अरब डॉलर के रूप में कुल राशि आवंटित की गयी।
प्राप्त/वितरित कुल राशि: 23.7 बिलियन डॉलर।

कोविड-19 टीकाकरण का प्रभाव

 भारत अभूतपूर्व पैमाने पर राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान चलाकर 34 लाख से अधिक लोगों की जान बचाने में सक्षम था।
 प्रत्यक्ष प्रभाव- टीकाकरण के कारण सुरक्षित जीवन से उत्पन्न संभावित आय: 1.5 बिलियन डॉलर (11,000 करोड़ रुपये) (न्यूनतम मज़दूरी पद्धति के उपयोग पर आधारित)।
 कुल प्रभाव- टीकाकरण के कारण जीवन रक्षा के गुणक प्रभावः 3.87 बिलियन डॉलर (27,000 करोड़ रुपये) (न्यूनतम मज़दूरी पद्धति के उपयोग पर आधारित)।

जीडीपी प्रति व्यक्ति नियोजित

स्थिर मूल्यों पर, नियोजित प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में जीवन रक्षा का प्रत्यक्ष प्रभावः 5.2 बिलियन डॉलर (37,000 करोड़ रुपये)।
शुद्ध लाभ/लागतः 2.44 अरब डॉलर।
 मौजूदा कीमतों पर- नियोजित प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में जीवन रक्षा का प्रत्यक्ष प्रभावः 7.2 बिलियन डॉलर (51,200 करोड़ रुपये)।
शुद्ध लाभ/लागतः 4.44 अरब डॉलर
 स्थिर कीमतों पर कुल प्रभाव- नियोजित प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में जीवन रक्षा से गुणक प्रभावः 13 बिलियन डॉलर (92,600 करोड़ रुपये)।
शुद्ध लाभ/लागतः 10.28 अरब डॉलर।
मौजूदा कीमतों पर, नियोजित प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में जीवन रक्षा से गुणक प्रभावः 18 बिलियन डॉलर।
शुद्ध लाभ/लागतः 15.28 अरब डॉलर।

प्रमुख सीख

 यदि न्यूनतम मजदूरी को आयु वितरण श्रेणी के साथ माना जाये तो टीकाकरण का प्रत्यक्ष तथा कुल प्रभाव तकरीबन 1.03 अरब डालर से 2.58 अरब डॉलर के बीच है।
 हालांकि, यह तकरीबन 3.49 बिलियन डॉलर से 8.7 बिलियन डॉलर के बीच भिन्न था, यदि प्रति व्यक्ति नियोजित (स्थिर) सकल घरेलू उत्पाद पर विचार किया जाये।
 टीकाकरण (कार्यशील आयु वर्ग में) के माध्यम से बचाये गये जीवन की संचयी जीवन भर की कमाई 21.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गयी।
 इसके अलावा, चूंकि टीकाकरण ने बुजुर्गों के जीवन को भी बचाया, इसने अप्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को चरमराने से रोकने में मदद की और इस तरह मौजूदा स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के अधिक विवेकपूर्ण उपयोग के अवसर प्रदान किये।
 इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जीवन और आजीविका की सुरक्षा के दोहरे उद्देश्य को हासिल करने में टीकाकरण प्रभावशाली रहा।