वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की मजबूत स्थिति

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कई देश आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं— कुछ सॉवरेन डिफॉल्ट के कगार पर हैं और कुछ पहले ही डिफॉल्ट कर चुके हैं। दूसरी ओर, भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। भारत अब सकल घरेलू उत्पाद के मापदंड में विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और निकट भविष्य में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है

गोपाल कृष्ण अग्रवाल

कोविड महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक स्तर पर आर्थिक मुद्दों को केंद्र में ला दिया है। कई देश आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं— कुछ सॉवरेन डिफॉल्ट के कगार पर हैं और कुछ पहले ही डिफॉल्ट कर चुके हैं। दूसरी ओर, भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। भारत अब सकल घरेलू उत्पाद के मापदंड में विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और निकट भविष्य में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

इस स्थिति के कई सकारात्मक संकेतक हैं:

• खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई)- सेवाएं और विनिर्माण विस्तार मोड में हैं। सितंबर में सर्विस सेक्टर इंडेक्स (पीएमआई) 54.3 और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (पीएमआई) 55.1 रहा।
• बैंक ऋण लगातार बढ़ रहा है- अगस्त में; साल दर साल वृद्धि का आंकड़ा 15.5 प्रतिशत है। यह पिछले 9 साल में सबसे ज्यादा है।
• बुनियादी ढांचे में केंद्र सरकार का खर्च लगातार बढ़ रहा है। पीएसयू का कैपेक्स एक्सपेंडिचर भी बढ़ रहा है।
• कॉपोरेट क्षेत्र का वार्षिक लाभ भी बढ़ रहा है।
• वर्तमान वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और सितंबर में जीएसटी संग्रह 1.47 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है।

साथ में कई महत्वपूर्ण रिकवरी ट्रैकर सकारात्मक संकेत दिखा रहे हैं:

•• हवाई यातायात बढ़ रहा है
•• खुदरा व्यापार और मनोरंजन के लिए आवागमन बढ़ रहा है

न केवल आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया गया है, बल्कि पिछले आठ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी जी ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), जन धन खाते, आधार कार्ड जैसे प्रौद्योगिकी एकीकरण के माध्यम से सामाजिक कल्याण योजनाओं को भ्रष्टाचार से मुक्त किया जाए

•• भारत का निर्यात मार्च में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है और लगातार बढ़ रहा है
•• रक्षा निर्यात क्षेत्र, भारत की सफलता की कहानी का उदाहरण है। घरेलू रूप से विकसित और निर्मित तेजस हवाई जहाज की बिक्री अन्य देशों में की जा रही है
•• शहरों का यातायात वापस सड़क पर आ रहा है

आर्थिक विकास की संभावनाओं का विश्लेषण अकेले चुनौतियों के माध्यम से नहीं किया जा सकता है, बल्कि यह उन्हें नियामित करने वाले संस्थानों की मजबूती पर निर्भर करता है। हमारे सामने चुनौतियां हैं लेकिन हमारी ताकत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी), भारतीय दिवालियापन और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) आदि जैसे संस्थान हैं, जिनको सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों में स्वतंत्र और काफी निर्णायक बनाया गया है।

यह सब इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि आज मजबूत नेतृत्व वाली एक निर्णायक सरकार केंद्र में है, जो राष्ट्रहित में फैसले ले रही है, चाहे वैश्विक दबाव के बावजूद राष्ट्रहित में कच्चे तेल की रूस, यूक्रेन और ईरान से खरीद नीति हो या अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार रुपये के माध्यम से करने की बात हो, मजबूत और पूर्ण रूप से पूंजीकृत पीएसबी बैंकों की दिशा में काम करना हो या गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के समाधान के लिए पारिस्थितिकी तंत्र बनाना हो। इसके अतिरिक्त भारतीय दिवालियापन और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के माध्यम से व्यवस्थाओं को पारदर्शी एवं कानून आधारित बनाया जा रहा है।

न केवल आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया गया है, बल्कि पिछले आठ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी जी ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), जन धन खाते, आधार कार्ड जैसे प्रौद्योगिकी एकीकरण के माध्यम से सामाजिक कल्याण योजनाओं को भ्रष्टाचार से मुक्त किया जाए। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों का लीकेज प्रूफ संग्रह हो, जिसका प्रमाण है कि कर दरों में कमी के बावजूद भी कर संग्रह में वृद्धि हो रही है।

नई लॉजिस्टिक नीति, रेल मार्गों, राष्ट्रीय राजमार्गों और ग्रामीण सड़कों की राष्ट्रव्यापी कनेक्टिविटी, सागरमाला जैसे जलमार्ग और नए हवाई अड्डे, वायुमार्ग, डिजिटल इंडिया के तहत की गई पहलों जैसे— भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, डेटा पारदर्शिता आदि विश्व में अद्वितीय डिजिटल अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रही हैं। वर्तमान में भारत दुनिया में सबसे अधिक डिजिटल लेनदेन कर रहा हैं। अकेले सितंबर, 22 में 678 करोड़ लेनदेन हुए हैं, जिसका सकल मूल्य लगभग 11.84 लाख करोड़ रुपये है। भारत भर में पंचायत स्तर पर लगभग 6,25,000 गांवों में इंटरनेट पहुंचाया गया है। 5जी सेवाओं की शुरुआत भी की जा रही है।

उपर्युक्त पहलों के साथ देश के सामने आने वाली सभी आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए हम बेहतर स्थिति में है। हालांकि, महंगाई एक बड़ी चुनौती है, लेकिन यह नियंत्रण में है। भारत में महंगाई दर लगभग 7 प्रतिशत पर है, जो अमेरिका और यूरोपीय के विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है और रिजर्व बैंक इसे 6 प्रतिशत के अपने लक्षित स्तर तक लाने के लिए काम कर रहा है। मुद्रास्फीति की चुनौती का सामना करने के लिए, जो समाज के गरीब वर्गों को बहुत अधिक प्रभावित करती है, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सामाजिक कल्याण योजनाएं महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। सरकार की ऐसी प्रमुख योजनाएं हैं— पीएम किसान सम्मान निधि, आयुष्मान भारत, पीएम आवास योजना, मनरेगा के तहत 200 दिन का वेतन, भारत के लोगों को 220 करोड़ से अधिक मुफ्त टीकाकरण, लगभग 80 करोड़ लोगों को नियमित आधार पर मुफ्त राशन आदि की मदद कर रही हैं। महामारी के बाद दुनिया भर के संस्थानों द्वारा प्रधानमंत्रीजी के सामाजिक कल्याण कार्यों की सराहना की गई है।

देश की कामकाजी आबादी को रोजगार उपलब्ध कराने की चुनौती से निपटने के लिए सराकर द्वारा उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है, ऐसे व्यापारों को सरकारी सहायता भी दी जा रही है। आसान शर्तों पर एमएसएमई को ऋण सहायता प्रदान करना; 45 करोड़ से अधिक छोटे उद्यमियों को मुद्रा ऋण; प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत लगभग 13 मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स को 4 लाख करोड़ रुपये का सहयोग दिया जा रहा है। सरकार ने घरेलू निर्माताओं से रक्षा उपकरणों की 65 प्रतिशत खरीद का लक्ष्य रखा है। साथ में सभी 200 करोड़ रुपये से कम के सरकारी टेंडर केवल

देश की कामकाजी आबादी को रोजगार उपलब्ध कराने की चुनौती से निपटने के लिए सराकर द्वारा उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है, ऐसे व्यापारों को सरकारी सहायता भी दी जा रही है। आसान शर्तों पर एमएसएमई को ऋण सहायता प्रदान करना; 45 करोड़ से अधिक छोटे उद्यमियों को मुद्रा ऋण; प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत लगभग 13 मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स को 4 लाख करोड़ रुपये का सहयोग दिया जा रहा है। सरकार ने घरेलू निर्माताओं से रक्षा उपकरणों की 65 प्रतिशत खरीद का लक्ष्य रखा है। साथ में सभी 200 करोड़ रुपये से कम के सरकारी टेंडर केवल घरेलू कंपनियों के लिए आरक्षित रखे गये हैं

घरेलू कंपनियों के लिए आरक्षित रखे गये हैं। लोगों को मिशन मोड में 10 लाख सरकारी नौकरियां दी जा रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में अकेले भारत ने मजबूत स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के साथ 100 यूनिकॉर्न विकसित किये हैं।

स्वतंत्रता के बाद भारत के आर्थिक विकास के मॉडल को मैं तीन चरणों में देखता हूं। पहला, 1947 से कांग्रेस सरकार का विफल समाजवाद है, जहां निजी उद्यमिता को हतोत्साहित किया गया था और बैंकिंग से लेकर एयरलाइंस, रिफाइनरी, बीमा आदि तक बहुत से संस्थानों को राष्ट्रीयकृत किया गया, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को 1991 तक खतरे में ला दिया था। दूसरा चरण, 2004 से 2014 के दौरान यूपीए सरकार का क्रोनी सोशलिज्म था, जहां सरकारी कामकाज के हर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और लीकेज को देखा गया और यह सब समाज कल्याण के नाम पर किया जा रहा था। तीसरा चरण, सुधार उन्मुख एनडीए सरकार के कार्यकाल में देखा गया, जो पहले अटलजी के नेतृत्व में और अब श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में कार्य कर रही है। हमारी सरकार देश को भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी और मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के मार्ग पर ले जा रही है।

हाल ही में देश ने राहुल गांधी के भ्रष्ट समाजवादी रवैये को देखा है; सार्वजनिक रूप से उद्योगपतियों को गाली देना और पर्दे के पीछे उनके साथ घुलना-मिलना, और अरविंद केजरीवाल का भ्रष्टाचार; जैसे बिजली सब्सिडी घोटाला, दिल्ली जल बोर्ड घोटाला, शराब आबकारी नीति और इलेक्ट्रिक बसों की खरीद आदि में भ्रष्टाचार।

हमारे पास प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का एक मजबूत और निर्णायक नेतृत्व है, जिन्होंने समाज के सभी वर्गों (अंत्योदय) के कल्याण के साथ एक बढ़ती और सशक्त अर्थव्यवस्था सुनिश्चित की है।

(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं)