इटली ने द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सेना के योगदान का किया सम्मान

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भारतीय सैनिकों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इतालवी अभियान में केंद्रीय भूमिका निभाई थी,
जिसमें चौथी, 8वीं और 10वीं डिविजन के 50,000 से अधिक भारतीय सेना के सैनिक शामिल थे

भारतीय सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को याद करते हुए मोनोटोन के कम्यून (इटली में) और इतालवी सैन्य इतिहासकारों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इतालवी अभियान के दौरान लड़ने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि के तौर पर और ऊपरी तिबर घाटी की ऊंचाइयों पर युद्ध में मारे गए नाइक यशवंत घाडगे, विक्टोरिया क्रॉस के सम्मान में, मोंटोन (पेरुगिया, इटली) में ‘वी.सी. यशवंत घाडगे सनडायल मेमोरियल’ का अनावरण किया है। इटली में भारत की राजदूत डॉ. नीना मल्होत्रा और भारतीय रक्षा अताशे ने समारोह के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में इतालवी नागरिक, विशिष्ट अतिथि और इतालवी सशस्त्र बलों के सदस्य भी उपस्थित थे।

रक्षा मंत्रालय द्वारा 22 जुलाई को जारी बयान के अनुसार भारतीय सैनिकों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इतालवी अभियान में केंद्रीय भूमिका निभाई थी, जिसमें चौथी, 8वीं और 10वीं डिविजन के 50,000 से अधिक भारतीय सेना के सैनिक शामिल थे। इटली में दिए गए 20 विक्टोरिया क्रॉस में से छह भारतीय सैनिकों ने जीते थे। 23,722 भारतीय सैनिक हताहत हुए, जिनमें से 5,782 भारतीय सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया और पूरे इटली में फैले 40 राष्ट्रमंडल युद्ध समाधि स्थलों में उनका स्मरण किया जाता है।
इस स्मारक को एक सहभागी प्रयास बनाने के लिए इतालवी अभियान में लड़ने वाले भारतीय सेना के सभी रैंकों के वीरतापूर्ण बलिदान की स्मृति में स्मारक पर भारतीय सेना की एक पट्टिका लगाई गई है। यह स्मारक एक कार्यरत धूपघड़ी (सनडायल) के रूप में है। स्मारक का आदर्श वाक्य ‘ओमाइंस सब ईओडेम सोल’ है, जिसका अंग्रेजी में अनुवाद ‘हम सभी एक ही सूर्य के नीचे रहते हैं’ है।

इतालवी अभियान के दौरान योगदान का सम्मान करते हुए इस स्मारक का उद्घाटन इस तथ्य का प्रमाण है कि इटली द्वितीय विश्व युद्ध के इतालवी अभियान के दौरान भारतीय सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान और योगदान का बहुत सम्मान करता है।