श्रद्धेय कैलाशपति मिश्र जन्मशताब्दी समारोह, पटना (बिहार)
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने 5 अक्टूबर, 2023 को बापू सभागार, पटना में बिहार भाजपा के भीष्म पितामह श्रद्धेय कैलाशपति मिश्रजी की 100वीं जयंती के अवसर पर आयोजित जन्मशताब्दी समारोह को संबोधित किया और पार्टी कार्यकर्ताओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेने की सीख दी। उन्होंने श्रद्धेय कैलाशपति मिश्रजी की प्रतिमा का शिलान्यास भी किया। बापू सभागार कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री सम्राट चौधरी, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय सिन्हा, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद श्री रवि शंकर प्रसाद, सांसद एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री सुशील मोदी, केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय मंत्री श्री नित्यानंद राय, केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी चौबे सहित कई पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित थे।
श्री नड्डा ने कहा कि श्रद्धेय कैलाशपति मिश्रजी पार्टी की प्रथम पीढ़ी और प्रथम पंक्ति के नेता थे। उन्होंने अपना बाल्यकाल आजादी के लड़ाई में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन में लगाया। 1945 में उन्होंने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रचारक के रूप में अपना जीवन संघ को समर्पित कर दिया। संघ एवं जनसंघ के विस्तार के लिए और बाद में भारतीय जनता पार्टी के लिए उन्होंने अपना सब कुछ अर्पित कर दिया।
बिहार में मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के मंत्रिमंडल में वे वित्त मंत्री थे, तब उन्होंने ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था। कैलाशपति मिश्रजी दलितों एवं सामाजिक न्याय के लिए निरंतर लड़ते रहे
श्रद्धेय कैलाशपति मिश्रजी जब राजनीतिक क्षेत्र में काम कर रहे थे, तब उस समय खोने के लिए सब कुछ था लेकिन पाने के लिए कुछ नहीं था। उस दौर में कैलाशपति मिश्रजी ने अपना सर्वस्व जीवन पार्टी के लिए समर्पित कर दिया। बिहार के संदर्भ में कहे, तो वे बिहार में भारतीय जनता पार्टी के लिए भीष्म पितामह थे। जब राज्य सभा के लिए उनका नाम चयनित किया गया, तब उन्होंने सहज भाव से कहा कि मुझे संगठन में ही रहने दीजिए। दलितों में काम को आगे बढ़ाना है तो रामेश्वर पासवान को राज्यसभा भेजिए। ऐसी बात सिर्फ भारतीय जनता पार्टी में ही हो सकती है, किसी और पार्टी में नहीं। इसलिए श्रद्धेय कैलाशपति मिश्र से हमलोगों को प्रेरणा लेकर पार्टी के कामों को मजबूती से आगे बढ़ाना है।
उन्होंने कहा कि मुझे याद आता है कि जब मेरी उम्र 11-12 साल की थी, तो 1971 का लोकसभा चुनाव हो रहा था। तब कैलाशपति मिश्रजी पटना लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे। वे अक्सर हमारे घर आते थे।
दीये की निशान वाली जनसंघ की टोपी पहनकर आते थे, वे हमेशा कहते थे कि हम चुनाव जीतेंगे। जब ये चर्चा होती थी कि हमारी स्थिति अच्छी होगी, किंतु हम जीत नहीं पाएंगे तो वे कहते थे कि हम विचारधारा के लिए लड़ते हैं और समर्पित रहते हैं। यह कोई पूर्ण विराम नहीं है, हम और आगे बढ़ेंगे। विधानसभा चुनाव के वक्त मैंने उनसे एक सवाल पूछा था कि क्या सभी सीटों पर लड़ेंगे? तब उन्होंने जवाब दिया था कि हमलोग सिर्फ जीतने के लिए चुनाव नहीं लड़ते हैं, बल्कि दीया का निशान घर-घर पहुंचाने के लिए चुनाव लड़ते हैं।
श्री नड्डा ने कहा कि विचारधारा की बात करें तो कैलाशपति मिश्रजी अपने आप में एक संस्थान थे। आज यहां उपस्थित हम सब उनके हाथों के बनाए कार्यकर्ता हैं। कैलाशपति मिश्रजी दलितों के उत्थान के लिए निरंतर काम करते रहे। आज जातीयता और जाति जनगणना की बात होती है, लेकिन कैलाशपति मिश्रजी ने सदैव समाज के हर वर्ग को आगे बढ़ाने का काम किया। मुझे याद है कि बिहार में मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के मंत्रिमंडल में वे वित्त मंत्री थे, तब उन्होंने ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था। कैलाशपति मिश्रजी दलितों एवं सामाजिक न्याय के लिए निरंतर लड़ते रहे। कैलाशपतिजी ने जिस बात के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, वही बात भारतीय जनता पार्टी की सोच, विचारधारा, कार्य करने का तरीका है।
श्री नड्डा ने कहा कि मेरा मानना है कि भारत में सबसे बड़ी जाति गरीबी की है। गरीबों की सच्ची सेवा करने का काम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया है। पिछले पांच साल में 12 करोड़ से अधिक गरीबों को गरीबी रेखा से निकाल करके मध्यम आय वर्ग में पहुंचाया गया है। श्री नरेन्द्र मोदी सरकार में लगभग 12 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ गए हैं। देश में अति गरीबी एक प्रतिशत से भी निचले स्तर पर है। गरीबों का सही मायने में सशक्तीकरण हुआ तो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में हुआ है। जिन लक्ष्यों के लिए श्रद्धेय कैलाशपति मिश्र ने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया, उसे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने साकार किया है। हमारी ओर से उन्हें अपनी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि बिहार में 2024 में कमल खिलाएं।