जन धन योजना और एक अरब-एक अरब-एक अरब ‘जैम’ (JAM) क्रान्ति का शुभारंभ

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जैम की परिकल्पना, वास्तव में इसका लक्ष्य और भी व्यापक था, क्योंकि इसके अन्तर्गत गरीबों की वित्तीय उपेक्षा समाप्त करना प्रमुख था, जिससे उनके जीवन में आर्थिक, डिजिटल और सामाजिक तिरस्कार समाप्त हो। इससे भारत के निर्धनों का आर्थिक शोषण दूर होगा और वे सामाजिक मुख्य धारा का आधारभूत अभिन्न अंग भी बनेंगे।

अरुण जेटली

तीन वर्ष पहले आज (28 अगस्त) के दिन प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रमुख कार्यक्रम ‘प्रधानमंत्री धन जन योजना’ (PMJDY) की घोषणा की, जिसका उद्देश्य गरीबों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है। इसके अन्तर्गत गरीबों के लिए बैंक खाते खोलना, उन्हें भुगतान के इलेक्ट्रोनिक साधन (जैसे रुपे RUPAY कार्ड) प्रदान करना तथा उन्हें स्वयं ऋण एवं बीमा प्राप्त करने की स्थिति में रखना शामिल है।

इसकी परिकल्पना, वास्तव में इसका लक्ष्य और भी व्यापक था, क्योंकि इसके अन्तर्गत गरीबों की वित्तीय उपेक्षा समाप्त करना प्रमुख था, जिससे उनके जीवन में आर्थिक, डिजिटल और सामाजिक तिरस्कार समाप्त हो। इससे भारत के निर्धनों का आर्थिक शोषण दूर होगा और वे सामाजिक मुख्य धारा का आधारभूत अभिन्न अंग भी बनेंगे।
उपलब्धियों के तीन वर्ष- कई आयामों के साथ उल्लेखनीय रहे हैं:

1-प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के अन्तर्गत कुल खाते जनवरी 2015 में 12.55 करोड़ से बढ़ाकर 16 अगस्त, 2017 को 29.52 करोड़ खोले गए।

प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) अन्तर्गत कुल ग्रामीण खातों की संख्या जनवरी 2015 में 7.54 करोड़ से बढ़कर 16 अगस्त, 2017 को 17.64 करोड़ हुई।

रुपे (Rupay) कार्ड जारी करने की संख्या जनवरी 2015 में 11.08 करोड़ से बढ़कर 16 अगस्त, 2017 को 22.71 हुई।

लाभार्थी खातों में कुल देय राशि 65,844.68 करोड़ व प्रति खाते में औसत देय राशि जनवरी 2015 में 837 रुपये से बढ़कर 16 अगस्त, 2017 को 2231 रुपये हुई।

प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के अन्तर्गत कुल शून्य राशि खातों की संख्या सितम्बर 2014 में 76.81 प्रतिशत से घटकर अगस्त, 2017 में 21.41 प्रतिशत हुई।

मार्च 2014 में, 33.69 करोड़ की राशि के साथ महिलाओं के बचत खातों की संख्या 28 प्रतिशत थी। मार्च 2017 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक आर.आर.बी (RRB) व 40 शीर्ष बैंकों के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं का योगदान 40 प्रतिशत हो गया। महिलाओं के कुल 43.65 करोड़ खातों में से महिलाओं द्वारा प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अन्तर्गत 14.49 करोड़ खाते खोले गए। यह महिलाओं के वित्तीय समायोजन की बढ़त व तीव्र विकास को दर्शाता है।

वित्त समावेशन के अतिरिक्त सरकार ने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और दुर्घटना बीमा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) के अन्तर्गत गरीबों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कदम उठाए हैं। 7 अगस्त, 2017 को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) के अन्तर्गत कुल नामांकन 3.46 करोड़ था व प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) के अन्तर्गत 10.96 करोड़ था इन दोनों योजनाओं में 40 प्रतिशत तक नामांकित महिलाएं हैं।
प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के सम्पूर्ण ढांचे में मुद्रा योजना (MUDRA YOJANA) के कार्यान्वन को सफल बनाया है। 18 अगस्त, 2017 तक 8.77 करोड़ लाभार्थियों को 3.66 लाख करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं। यह राशि उनके बैंक खातों में गई हैं। किन्तु जैसे ये बदलाव आया, प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) व अन्य योजनाएं केवल शुरुआत थी, क्योंकि इन्होंने आगे ‘जैम’ (JAM) क्रान्ति की शुरुआत की।
(JAM) एक शब्द की रचना व संकल्पित दृष्टिकोण, हमारे मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार यह सामाजिक क्रान्ति से कम नहीं हैं, क्योंकि इससे आर्थिक समावेशन प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY), बायोमैट्रिक पहचान (आधार) एवं मोबाइल दूरसंचार को एकजुट किया है। आज भारत में लगभग 52.4 करोड़ आधार नम्बर 73.62 करोड़ खातों से जोड़ दिये गए हैं।
इसके परिणामस्वरूप गरीब इलेक्ट्रोनिक भुगतान करने में सक्षम है। अब प्रत्येक माह लगभग 7 करोड़ सफलतापूर्वक भुगतान आधार कार्ड के जरिए गरीबों द्वारा किए जा रहे हैं। सरकार अब 35 करोड़ लाभार्थियों के आर्थिक खातों में वार्षिक 74,000 करोड़ रुपये सीधे स्थानांतरित करती है, जो प्रतिमाह 6,000 करोड़ रुपये से अधिक है। यह स्थानांतरण विभिन्न सरकारी गरीबी उन्मूलन व समर्थन योजनाओं जैसे पहल (PAHAL) मनरेगा (MNREGA) वृद्धावस्था पेंशन (Old Age Pension), छात्रवृत्ति इत्यादि के अन्तर्गत की गई हैं।
अब भीम एप (BHIM APP) व Unified Payment Interface (UPI) के साथ, जैम पूर्णतः क्रियाशील हो सकता है। एक सुरक्षित और समेकित डिजिटल भुगतान ढांचे का निर्माण किया गया है, ताकि सभी भारतीय विशेष तौर पर निर्धन डिजिटल मुख्यधारा का हिस्सा बन सकें।
जैम (JAM) सामाजिक क्रांति, सरकार, अर्थव्यवस्था व मुख्यतः गरीबों के लिये वस्तुगत हितलाभ मुहैया कराती है। गरीबों की वित्तीय सेवाओं तक पहुंच रहेगी व जीवन के मुख्य बाधाओं से सावधानी रहेगी। अनुदान के घटने से सरकार के वित्तीय स्थिति सुधरेगी। साथ ही सरकार न्याय संगत व मजबूत होगी, क्योंकि यह नागरिकों को संसाधनों का स्थानांतरण तीव्र व अधिक विश्वसनीयता से सीधे हो सकेगा।
भारत के सन्दर्भ में, यह एक अरब-एक अरब-एक अरब दृष्टिकोण कहलाएगा। अर्थात् एक अरब आधार संख्या को एक अरब बैंक खातों व एक अरब मोबाइल फोन से जोड़ा गया है। इस तरह से समूचा भारत आर्थिक (वित्त) व डिजिटल मुख्यधारा का हिस्सा बन सकता है। जैसे अभी जीएसटी (GST) ने एक कर-एक बाजार-एक भारत की रचना की है, प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) एवं जैम (JAM) क्रांति सभी भारतीयों का एक समान वित्तीय, आर्थिक व डिजिटल समावेशन कर रही है। कोई भी भारतीय मुख्यधारा से अछूता नहीं रहेगा, यह सामाजिक क्रांति से कम नहीं है।
(लेखक केन्द्रीय वित्त मंत्री हैं)