पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ का शुभारंभ

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‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ में बढ़ई, लोहार, सुनार, मूर्तिकार, कुम्हार, मोची, दर्जी, राजमिस्त्री,
हेयरड्रेसर, धोबी आदि को शामिल किया गया है और इस पर 13,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर को नई दिल्ली में विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ शुरू की। प्रधानमंत्री ने पीएम विश्वकर्मा लोगो, टैगलाइन और पोर्टल भी लॉन्च किया। उन्होंने इस अवसर पर एक कस्टमाइज्ड स्टाम्प शीट, एक टूल किट, ई-बुकलेट और वीडियो भी जारी किया। श्री मोदी ने 18 लाभार्थियों को विश्वकर्मा प्रमाण पत्र वितरित किए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार विश्वकर्मा समुदाय के लोगों के सम्मान को बढ़ाने, क्षमताओं को बढ़ाने और उनकी समृद्धि बढ़ाने के लिए एक भागीदार के रूप में आगे आई है। कारीगरों और शिल्पकारों के 18 फोकस क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने बताया कि पीएम विश्वकर्मा योजना में बढ़ई, लोहार, सुनार, मूर्तिकार, कुम्हार, मोची, दर्जी, राजमिस्त्री, हेयरड्रेसर, धोबी आदि को शामिल किया गया है और इस पर 13,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

कुशल कारीगरों और व्यवसायों को प्रशिक्षण प्रदान करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बदलते समय में विश्वकर्मा मित्रों के लिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और उपकरण महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान विश्वकर्मा मित्रों को 500 रुपये प्रतिदिन भत्ता दिया जाएगा। श्री मोदी ने यह भी कहा कि आधुनिक टूलकिट के लिए 15 हजार रुपये का टूलकिट वाउचर भी दिया जाएगा और सरकार उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग में मदद करेगी।

विश्वकर्मा समुदाय के लिए संपार्श्विक मुक्त वित्त के प्रावधान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब गारंटी मांगी जाती है तो वह गारंटी मोदी देते हैं। उन्होंने बताया कि विश्वकर्मा मित्रों को बिना किसी संपार्श्विक के बहुत कम ब्याज पर 3 लाख रुपये तक का ऋण मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि पीएम विश्वकर्मा को 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाएगा। इस योजना के तहत बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से विश्वकर्माओं का निःशुल्क पंजीकरण किया जाएगा।

उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान-पत्र, मूलभूत और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक संपार्श्विक-मुक्त ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी ।

यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा। इनमें (i) बढ़ई; (ii) नौका निर्माता; (iii) शस्त्रसाज; (iv) लोहार; (v) हथौड़ा और टूल किट निर्माता; (vi) ताला बनाने वाला; (vii) सुनार; (viii) कुम्हार; (ix) मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला; (x) मोची (जूता/जूता कारीगर); (xi) राजमिस्त्री; (xii) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर; (xiii) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक); (xiv) नाई; (xv) माला बनाने वाला; (xvi) धोबी; (xvii) दर्जी; और (xviii) मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला शामिल हैं।