मोदीजी का दिव्यांगजन से वादा

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मोदी स्टोरी                                                                                -डॉ रमापति राम त्रिपाठी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में विकलांग व्यक्तियों के लिए ‘विकलांग’ के बजाय ‘दिव्यांग’ शब्द का उपयोग करने का सुझाव दिया था। इस पर कई लोगों का यह मानना हो सकता है कि यह केवल एक अलग शब्द का उपयोग है, लेकिन शब्दों में हर चीज को प्रभावित करने की अनंत शक्ति होती है। हम अब बदलाव देख सकते हैं। यह दिव्यांग लोगों के प्रति प्रधानमंत्री श्री मोदी की करुणा और भाव को भी दर्शाता है।

हालांकि, दिव्यांग लोगों के प्रति प्रधानमंत्री श्री मोदी का रवैया उनके शुरुआती दिनों में भी ऐसा ही था। उनके प्रारंभिक जीवन में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां उन्होंने किसी दिव्यांग व्यक्ति की देखभाल या मदद की। यहां 90 के दशक का एक किस्सा याद आता है, जब श्री मोदी ने एक दिव्यांग से किया वादा पूरा किया।

1999 के आम चुनावों के दौरान श्री नरेन्द्र मोदी पार्टी के काम के लिए लखनऊ आए थे। एक बार वह किसी कार्यक्रम के लिए कार से जा रहे थे। गेट पर एक दिव्यांग खड़ा था। जैसे ही वह गेट पार कर रहा था, पार्टी कार्यकर्ताओं ने दिव्यांग व्यक्ति को गेट के एक तरफ खड़ा कर दिया और गाड़ी पार हो गई, लेकिन श्री नरेन्द्र मोदी ने इस घटना को देख लिया।

उन्होंने कार रोकी और उसमें से निकलकर उस दिव्यांग शख्स के पास आए। श्री मोदी ने उससे आने का कारण पूछा। दिव्यांग व्यक्ति ने उनसे कहा कि उसे ट्राइसाइकिल की जरूरत है और इसीलिए वह आया है।

श्री नरेन्द्र मोदी के साथ डॉ. रमापति राम त्रिपाठी भी मौजूद थे, जो उत्तर प्रदेश के देवरिया से लोकसभा सांसद थे।

श्री मोदी ने डॉ. त्रिपाठी की ओर देखते हुए उनसे उस दिव्यांग व्यक्ति के लिए ट्राइसाइकिल की व्यवस्था करने का आग्रह किया। डॉ. त्रिपाठी ने उनसे अपना नाम और पता कार्यालय में लिखवाने को कहा और मोदीजी को उनकी मदद करने का आश्वासन दिया।

इस घटना के दो महीने बाद श्री नरेन्द्र मोदी पुनः लखनऊ गये। एक शाम जब वह नेताओं के साथ पार्टी कार्यों पर चर्चा कर रहे थे, तो उन्होंने डॉ रमापति राम त्रिपाठी से पूछा कि क्या उस दिव्यांग व्यक्ति के लिए ट्राइसाइकिल उपलब्ध कराई गई थी। दरअसल उस घटना के बाद डॉ. त्रिपाठी इस पर फॉलो-अप करना भूल गए थे।

अगली सुबह डॉ. त्रिपाठी उस दिव्यांग व्यक्ति के पास गये और उसे श्री नरेन्द्र मोदी के पास ले गये। डॉ. त्रिपाठी ने मोदीजी से कहा कि यह वह व्यक्ति है और आप देख सकते हैं कि वह ट्राइसाइकिल चला रहा है।

इस घटना के बारे में बताते हुए डॉ. रमापति राम त्रिपाठी ने कहा कि जब वह इस घटना को भूल गए थे, तब भी श्री नरेन्द्र मोदी को महीनों बाद इसकी याद आई और उन्होंने दिव्यांगों से किया अपना वादा निभाया। इससे पता चलता है कि दिव्यांगों के लिए उनके दिल में कितनी करुणा है।