हेडगेवार जयंती मनाने के लिए मोदी का अनूठा विचार

| Published on:

मोदी स्टोरी                                                                                               – नरेश शाह

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अद्वितीय और अभिनव विचारों में एक साधारण घटना को विशेष घटना में बदलने की ताकत है। ऐसा ही एक आयोजन 1981-82 में गुड़ी पड़वा के अवसर पर हुई, जो रा.स्व.संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की जयंती भी है। गुजरात के स्वयंसेवक श्री नरेश शाह (गोपाल) बताते हैं कि कैसे इस उत्सव के लिए श्री मोदी का अनूठा विचार स्वयंसेवकों के लिए एक भावनात्मक क्षण बन गया।

रा.स्व.संघ छह त्यौहार मनाता है और ऐसा ही एक त्यौहार गुड़ी पड़वा है जो हिंदू कैलेंडर के पहले महीने का पहले दिन मनाया जाता है। यह डॉ. हेडगेवार की जयंती भी है। श्री शाह याद करते हैं कि श्री नरेन्द्र मोदी ने इस आयोजन के लिए एक अनोखे उत्सव का सुझाव दिया।

श्री नरेन्द्र मोदी ने सुझाव दिया कि जहां कार्यक्रम मनाया जा रहा है, वहां लाइट बंद करके हॉल में अंधेरा रखा जाए। इसके बाद उन्होंने पूरे कार्यक्रम में स्वयंसेवकों से मौन रहने को कहा। उनका विचार था कि हॉल में एकमात्र प्रकाश मंच पर डॉ. हेडगेवार की तस्वीर को रोशन करेगा। 1940 में डॉ. हेडगेवार के अंतिम भाषण की रिकॉर्डिंग का एक ऑडियो कैसेट उनके पास उपलब्ध था। श्री मोदी ने कहा कि यह ऑडियो रिकॉर्डिंग कार्यक्रम में चलाई जाएगी।

श्री शाह के अनुसार यह भाषण डॉ. हेडगेवार के 1940 के अंतिम भाषण की रिकॉर्डिंग मात्र थी, लेकिन वहां मौजूद स्वयंसेवकों को ऐसा लगा जैसे वे भाषण को लाइव सुन रहे हों। कार्यक्रम के दौरान पिन-ड्रॉप साइलेंस था और हॉल में डॉ. हेडगेवार की तस्वीर पर रोशनी के प्रभाव ने एक आभा पैदा की, जिससे स्वयंसेवकों को लगा जैसे डॉ. हेडगेवार उनके बीच ही हों। ऐसे आयोजन में शामिल होना स्वयंसेवकों के लिए एक भावनात्मक क्षण था और वे इस आयोजन से बहुत प्रेरित हुए।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के पास अपने शुरुआती दिनों से ही अभिनव विचारों के माध्यम से रा.स्व.संघ के कार्यक्रम आयोजित करने की दृष्टि थी। उनके सुझाव अक्सर एक साधारण कार्यक्रम को यादगार बना देते थे। उनकी यह कार्यशैली तब भी जारी रही, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने और अब भी जारी है जब वे इस देश के प्रधानमंत्री हैं।