मोरबी बांध दुर्घटना : आपदा प्रबंधन में मोदीजी का प्रत्यक्ष अनुभव

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   मोदी स्टोरी

गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में मोरबी अपने समृद्ध सिरेमिक व्यापार के लिए जाना जाता है। यह राजसी शहर मच्छू नदी के तट पर विकसित हुआ, जो इस क्षेत्र को उपजाऊ बनाती है।

11 अगस्त, 1979 का वह मनहूस दिन था, जब पूरे क्षेत्र में भारी बारिश हुई थी। बढ़ते जल स्तर ने मच्छू बांध को तोड़ दिया और परिणामस्वरूप पूरा क्षेत्र कुछ ही मिनटों में जलमग्न हो गया। तबाही ऐसी थी कि पूरे जिले को जलमग्न होने में 15 मिनट से भी कम समय लगा। इस क्षेत्र में बहुत से लोगों की दु:खद मृत्यु हुई। कई शव फूल गये थे और बुरी तरह विघटित अवस्था में थे। इस क्षेत्र में भारी आर्थिक नुकसान हुआ और हजारों लोगों की जान चली गई।

मोरबी को तत्काल राहत की जरूरत थी

श्री नरेन्द्र मोदी, जो उस समय 29 वर्ष के थे, ने आरएसएस के युवा प्रचारक के रूप में लोगों की सहायता के लिए काम किया। श्री मोदी ने मोरबी में राहत एवं बचाव कार्य का नेतृत्व किया।

श्री नरेन्द्र मोदी व स्वयंसेवकों को पैदल ही मोरबी पहुंचना पड़ा, क्योंकि सड़कों और गलियों में पानी भरा हुआ था। श्री मोदी ने आरएसएस स्वयंसेवकों के साथ मिलकर स्थिति का आकलन किया और बचाव एवं राहत कार्य के लिए एक विस्तृत योजना बनाई।

श्री मोदी ने सड़कों की सफाई, घरों से गंदगी साफ करने और शवों को बाहर निकालकर उनका दाह-संस्कार करने के लिए स्वयंसेवकों की अलग-अलग टीमें तैनात कीं। एक बड़ी चुनौती शवों को कीचड़ से बाहर निकालना था, क्योंकि अधिकांश शव विघटित अवस्था में थे। श्री मोदी ने शवों को कपड़े में लपेटने का विचार दिया, ताकि वे विघटित न हों। उनका दाह संस्कार करना भी एक चुनौती थी क्योंकि सूखी लकड़ी उपलब्ध नहीं थी। इसलिए श्री मोदी ने स्वयंसेवकों से उचित व्यवस्था करने और शवों का दाह संस्कार करने को कहा।

लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की

उन्होंने स्वयंसेवकों के साथ मिलकर जीवित बचे लोगों के लिए भोजन की भी व्यवस्था की। श्री नरेन्द्र मोदी ने टीमों से प्रत्येक घर का सर्वेक्षण करने और बचे लोगों की गरिमा को बनाए रखते हुए भोजन वितरित करने को कहा।

श्री मोदी ने चिकित्सा सहायता के लिए गुजरात के विभिन्न हिस्सों से डॉक्टरों की टीमों की व्यवस्था की।
श्री मोदी द्वारा एक बाढ़ पीड़ित राहत समिति का गठन किया गया, जिसने बाढ़ से बचे लोगों की मदद के लिए उस समय 14 लाख रुपये एकत्र किये।

मोरबी में श्री नरेन्द्र मोदी को बचाव और राहत कार्य चलाने का प्रत्यक्ष अनुभव मिला। मोरबी में हुई भयानक त्रासदी ने उनके दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी, जिसने उन्हें बाद में देश को बेहतर भारत के रूप में तैयार करने के लिए निर्देशित किया।

मोदी स्टोरी और ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन द्वारा एक पुस्तक ‘रेसिलिएंट इंडिया: हाउ मोदी ट्रांसफॉर्म्ड इंडियाज डिजास्टर मैनेजमेंट पैराडाइम’ प्रकाशित की गई है, जिसमें एक बेहतर भारत तैयार करने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों का विवरण है। इसमें प्रधानमंत्री श्री मोदी के आपदा प्रबंधन के अनुभवों का विवरण भी है।