15 करोड़ से ज्यादा गरीब सरकार की योजनाओं से जुड़े : नरेन्द्र मोदी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 30 नवंबर को कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त, उज्ज्वल भारत के भविष्य और न्यू इंडिया के संकल्प को पूरा करने की दिशा में उठाए गए कदमों के लिए वह बड़ी से बड़ी राजनीतिक कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री ने यह उल्लेख कालाधन पर लगाम लगाने के लिये उठाने गए कदमों के संदर्भ में किया है।

श्री मोदी ने कहा कि हम एक ऐसी व्यवस्था की तरफ बढ़ रहे हैं जिसमें कालाधन पैदा करना, व्यवस्था की कमजोरी की वजह से भ्रष्टाचार करने की संभावना कम से कम रह जाएगी। प्रधानमंत्री ने हिन्दुस्टान टाइम्स लीडरशीफ समिट को संबोधित करते हुए कहा कि नोटबंदी के बाद देश में जिस तरह का व्यवहारिक बदलाव आया है उसे आप खुद महसूस कर रहे होंगे। स्वतंत्रता के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब भ्रष्टाचारियों को कालेधन के लेन-देन से पहले डर लग रहा है। उनमें पकड़े जाने का भय आया है। जो कालाधन पहले समानांतर अर्थव्यवस्था का आधार था, वह नोटबंदी के बाद औपचारिक अर्थव्यवस्था में आया है।

उन्होंने कहा कि जिस दिन देश में ज्यादातर खरीद-फरोख्त, पैसे के लेन-देन का एक तकनीकी और डिजिटल पता हो गया, उस दिन से संगठित भ्रष्टाचार काफी हद तक थम जाएगा। श्री मोदी ने कहा कि जब योजनाओं में गति होती है, तभी देश में प्रगति आती है। कुछ तो परिवर्तन आया होगा, जिसकी वजह से सरकार की तमाम योजनाओं की स्पीड बढ़ गई है। साधन वही हैं, संसाधन वहीं हैं, लेकिन व्यवस्था में रफ्तार आ गई है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि सरकार, नौकरशाही में भी एक नई कार्य-संस्कृति तैयार कर रही है। उसे ज्यादा जवाबदेह बना रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश के 15 करोड़ से ज्यादा गरीब सरकार की योजनाओं से जुड़ चुके हैं। इन योजनाओं के तहत गरीबों को लगभग 1800 करोड़ रुपए की क्लेम राशि दी जा चुकी है। इतने रुपए किसी और सरकार ने दिए होते तो उसे मसीहा बनाकर प्रस्तुत कर दिया गया होता, लेकिन गरीबों के लिए इतना बड़ा काम हुआ, मुझे नहीं लगता इस पर किसी ने ध्यान दिया होगा। ये भी एक सच है जिसे मैं स्वीकार करके चलता हूं। एक और उदाहरण LED बल्ब का है। पहले की सरकार में जो LED बल्ब तीन सौ-साढ़े तीन सौ का बिकता था, वो अब एक मध्यम वर्ग के परिवार को लगभग 50 रुपए में उपलब्ध है। उजाला योजना शुरू होने के बाद से देश में अब तक लगभग 28 करोड़ LED बल्ब बिक चुके हैं। इन बल्बों से लोगों को 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की अनुमानित बचत हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि ऐसा भी नहीं है कि बचत पर, बिजली बिल कम होने पर कुछ समय में फुल स्टॉप लग जाएगा। जो बचत हो रही है, वो होती ही रहेगी। ये बचत भी अब परमानेंट है। पहले ही सरकारों को ऐसा करने से किसी ने रोक रखा था या नहीं, ये मैं नहीं जानता। लेकिन इतना जानता हूं कि सिस्टम में स्थाई परिवर्तन लाने फैसले लेने से, देशहित में फैसला लेने से, किसी के रोके नहीं रुकेंगे।

श्री मोदी ने कहा कि जो लोग इस बात पर यकीन करते हैं कि देश जादू की छड़ी घुमाकर नहीं बदला जा सकता, वो हताशा और निराशा से भरे हुए हैं। ये अप्रोच हमें कुछ भी नया करने से रोकती है। ये अप्रोच हमें फैसला लेने से रोकती है। इसलिए इस सरकार की अप्रोच इससे बिल्कुल अलग है। जैसे यूरिया की नीम कोटिंग की ही बात करें। पहले की सरकार में यूरिया की 35 प्रतिशत नीम कोटिंग होती थी, जबकि पूरे सिस्टम को पता था कि 35 प्रतिशत नीम कोटिंग करेंगे तो कोई फायदा नहीं होगा। यूरिया का डायवर्जन रोकना है, फैक्ट्रियों में जाने से रोकना है, तो उसकी सौ प्रतिशत नीम कोटिंग करनी ही होगी, लेकिन ये फैसला पहले नहीं हुआ। इस सरकार ने फैसला लिया यूरिया की पूरी तरह नीम कोटिंग का। इस फैसले से ना सिर्फ यूरिया का डायवर्जन रुका है, बल्कि उसकी अपनी क्षमता बढ़ गई है। अब किसान को उतनी ही जमीन के लिए कम यूरिया डालना पड़ता है। इतना ही नहीं, कम यूरिया डालने के बावजूद उसकी पैदावार बढ़ रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हम देश में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार कर रहे हैं जिस पर आकर किसी भी जगह का किसान कहीं से भी अपनी फसल बेच सके। ये देश में बहुत बड़ा व्यवस्था परिवर्तन होने जा रहा है। e-Nam यानी इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट से अब तक देश की साढ़े चार सौ से ज्यादा मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा जा चुका है। भविष्य में ये प्लेटफॉर्म किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत दिलाने में बहुत मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में सरकार ने देश के एग्रीकल्चर सेक्टर में सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए, स्टोरेज सिस्टम को मजबूत करने के लिए “प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना” की शुरुआत की है। इस योजना का मकसद है कि खेत या बाग़ में पैदा होने के बाद जो अनाज या फल मंडी तक पहुंचने से पहले खराब हो जाता है, उसे बचाया जाए। सरकार इस योजना के तहत फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को भी मजबूत कर रही है, ताकि किसान का खेत एक इंडस्ट्रियल यूनिट की तरह भी काम करें।