सौभाग्य योजना के तहत 2 करोड़ से अधिक बिजली कनेक्शन जारी

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विश्वसनीय और किफायती ऊर्जा आपूर्ति तक पहुंच किसी भी देश में जीवन की गुणवत्ता और आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। इसलिए सरकार 31 मार्च, 2019 तक सभी के लिए 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस लक्ष्य के तहत कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल कर लिए गए हैं और वर्ष 2018 दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) के तहत 28 अप्रैल, 2018 को हर गांव में बिजली के लिए ऐतिहासिक रहा है। अब सौभाग्य योजना के तहत हर घर के विद्युतीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। 9 राज्य पहले से ही 100% घरेलू विद्युतीकरण के लक्ष्य को प्राप्त कर चुके हैं। ये लक्ष्य भी अपनी समय सीमा से पहले हासिल किए जाएंगे।

विद्युत उत्पादन, संचरण और वितरण समेत बिजली क्षेत्र को सुधारने और मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें न केवल क्षमता वृद्धि में उपलब्धियां शामिल हैं, बल्कि ऊर्जा दक्षता में वृद्धि और उत्तरदायित्व और पारदर्शिता बढ़ने जैसे प्राप्ति, एश ट्रैक इत्यादि लॉन्च करके महत्वपूर्ण सुधार भी किए जा रहे हैं।

बिजली मंत्रालय की वार्षिक उपलब्धियां निम्न हैं:

सौभाग्य

सितंबर, 2017 में यह योजना सार्वभौमिक विद्युतीकरण के लिए शुरू की गई।

गांव के स्तर पर शिविर आयोजित किए गए, जिसमें न्यूनतम दस्तावेज आवश्यक हैं।

ग्राम स्वराज अभियान के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए विशेष अभियान चलाया गया।

11 अक्टूबर, 2017 से 2.1 करोड़ से ज्यादा परिवार विद्युतीकृत हुए।

9 राज्यों मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, बिहार, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, मिजोरम, सिक्किम, तेलंगाना और पश्चिम बंगालने सौभाग्य योजना के तहत घरेलू विद्युतीकरण में 100% संतृप्ति हासिल की है।

इस प्रकार देश में कुल 16 राज्यों में अब 100% घरेलू विद्युतीकरण है।

महाराष्ट्र, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ इत्यादि जैसे कई राज्यों को गैर-विद्युतीकृत घर बाकी रह गए हैं और इनके किसी भी समय विद्युतीकृत होने की उम्मीद है।

राष्ट्र को 31 दिसंबर, 2018 तक 100% घरेलू विद्युतीकरण प्राप्त करने की उम्मीद है।

दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीजीजीवाई)

100 प्रतिशत गांवों का विद्युतीकरण हुआ

इस पर 75,893 करोड़ रुपये खर्च हुए

2,58,870 किमी एचटी और एलटी लाइनें बिछाई गईं

जनरेशन क्षमता

अप्रैल 2014 से अक्टूबर 2018 तक 1,07,000 मेगावॉट उत्पादन क्षमता बढ़ी है।

अखिल भारतीय स्तर पर जनरेशन क्षमता 39.2% बढ़कर 31.10.2018 तक 3,46,048 मेगावाट हो गई है, जो 31.3.2014 तक 2,48,554 मेगावॉट थी।

भारत बिजली के शुद्ध निर्यातक के रूप में उभरा है। वित्त वर्ष 2017-18 में 7203 एमयू नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार को आपूर्ति की गई और 468 एमयू चालू वर्ष 2018-19 (अक्टूबर 2018 तक) में आपूर्ति की गई।

वित्त वर्ष 2013-14 में ऊर्जा घाटा 4.2% से घटकर वर्तमान वित्त वर्ष 2018-19 (अक्टूबर 2018 तक) में 0.6% हो गया। वित्त वर्ष 2013-14 में मुख्य घाटा भी घटकर वित्त वर्ष 2018-19 (अक्टूबर 2018 तक) में 0.8% हो गया।

2013-14 में इसी अवधि के दौरान 1,29,1515 मेगावाट से मुख्य मांग चालू वर्ष (अप्रैल-अक्टूबर 2018) के दौरान 35.2% बढ़कर 1,75,528 मेगावाट पहुंच गई।

2013-14 में इसी अवधि के दौरान 565.698 बीयू से चालू वर्ष (अप्रैल-अक्टूबर 2018) के दौरान ऊर्जा उपलब्धता में भी 35.2% बढ़कर 764.627 बीयू हो गई है।

एक ग्रिड, एक राष्ट्र (अक्टूबर, 2018 तक उपलब्धियां)

2014-15 से 2018-19 तक 1,11,433 सीकेएम संचरण ग्रिड का विस्तार हुआ (वित्त वर्ष 2018-19 में 11,799 सीकेएम जोड़ा गया)।

2014-15 से 2018-19 तक 3,38,202 एमवीए की ट्रांसफार्मेशन क्षमता वृद्धि हुई (वित्त वर्ष 2018-19 में 41,790 एमवीए जोड़ा गया)।

2014-15 से 2018-19 तक 26 परियोजनाओं के लिए टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से 48,426 करोड़ रुपये दिए गए।

वित्त वर्ष 2010-14 में 16,000 वाली अंतर-क्षेत्रीय हस्तांतरण क्षमता बढ़कर वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान 54,700 मेगावाट गई, जबकि 2018-19 (वित्त वर्ष 2018-19 में यह 4,200 मेगावाट) हो गई।

एकीकृत विद्युत विकास योजना (आईपीडीएस)

इस पर 65,424 करोड़ रुपये का परिव्यय हुआ।

1378 कस्बे आईटी सक्षम

1,30,348 किलोमीटर में से 43,449 किमी एचटी और एलटी लाइन स्थापित कर दी गई

कुल 58,145 में से 28,193 वितरण ट्रांसफॉर्मर स्थापित किए गए

उदय

दो साल के भीतर उदय के तहत डिस्कॉम द्वारा 34,000 करोड़ रुपये से ज्यादा ब्याज लागत बचाई गई।

संचालन के दो वर्षों के भीतर 22 राज्यों में एटी और सी घाटे में कमी। वित्त वर्ष 2018 में एटी एंड सी घाटे में 18.76% की कमी आई है, जबकि यह वित्त वर्ष 2016 में 20.77% थी। उदय के दो साल के संचालन के भीतर राजस्व अंतर 72 प्रतिशत बढ़ गया। वित्त वर्ष 2018 में राष्ट्रीय स्तर पर एसीएस-एआरआर अंतराल 17 पैसे प्रति इकाई है, जबकि वित्त वर्ष 2016 में यह 60 पैसे प्रति इकाई थी।

“बिजली” प्राप्त करने के मामले में विश्व बैंक की इज ऑफ डूनिंग बिजनेस में भारत की रैंक बढ़कर 2018 में 24 हो गई, जबकि 2014 में यह 137 थी।

वर्षांत समीक्षा 2018 की मुख्य बातें

सौभाग्य के तहत 2 करोड़ से अधिक बिजली कनेक्शन जारी किए गए

डीडीयूजीजेवाई के तहत 100 प्रतिशत गांवों का विद्युतीकरण हुआ

सौभाग्य योजना के तहत 9 राज्यों में 100% घरों का विद्युतीकरण हुआ

कुल 16 राज्यों में अब 100% घरों का विद्युतीकरण हो चुका है

ऊर्जा घाटा लगभग शून्य हो गया और भारत नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार को बिजली के शुद्ध निर्यातक के रूप में उभरा है

उजाला योजना के तहत 31.68 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए और 74.7 9 लाख एलईडी स्ट्रीट लाइट स्थापित किए गए हैं

“बिजली” प्राप्त करने के मामले में विश्व बैंक की ईज ऑफ डूनिंग बिजनेस में भारत की रैंक बढ़कर 2018 में 24 हो गई, जबकि 2014 में यह 137 थी